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एक्सपर्ट की चेतावनी, रियल एस्टेट में ये 4 जोखिम कर सकते हैं आपका पैसा बर्बाद

रियल एस्टेट में "जोखिम" का मतलब शायद ही कभी बाजार के नीचे जाने से होता है, बल्कि इसका मतलब उन चीजों से है जो आपने पहले नहीं देखीं.

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प्रॉपर्टी निवेशकों को क्यों हो रहा नुकसान ( Photo-ITG))
प्रॉपर्टी निवेशकों को क्यों हो रहा नुकसान ( Photo-ITG))

भारत के तेजी से बढ़ते रियल एस्टेट बाजार में, कई निवेशक करोड़ों का नुकसान झेल रहे हैं. रियल एस्टेट सलाहकार ऐश्वर्या श्री कपूर का कहना है कि ऐसा इसलिए नहीं हो रहा कि कीमतें गिर गई हैं, बल्कि इसलिए क्योंकि वे जोखिमों को सही से समझ नहीं पाए.

कीमतों में उतार-चढ़ाव से हटकर, कपूर ने बताया है कि प्रॉपर्टी में "जोखिम" को अक्सर एक ही नजरिए से देखा जाता है, जबकि असल में इसकी कई परतें होती हैं. उन्होंने चार ऐसे मुख्य जोखिमों की पहचान की है, जिन्हें निवेशक अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं.

 

1. नियामक जोखिम (Regulatory Risk)

जोनिंग में बदलाव या मंज़ूरी में देरी से एक बढ़िया प्लॉट भी बेकार हो सकता है. कपूर सलाह देती हैं कि निवेशक सिर्फ अंतिम मंजूरी के भरोसे न रहें, बल्कि सरकारी नीतियों के ड्राफ्ट पर भी नजर रखें. साथ ही, RERA और शहरी विकास से जुड़ी बैठकों के अपडेट भी देखते रहें, क्योंकि कई लोग इन बातों पर तब तक ध्यान नहीं देते, जब तक बहुत देर नहीं हो जाती.

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2. लिक्विडिटी रिस्क (Liquidity Risk)

कोई प्रॉपर्टी भले ही फायदे का सौदा लगे, लेकिन सवाल यह है कि आप उसे कितनी जल्दी बेच सकते हैं? कपूर बताती हैं कि गुरुग्राम जैसे बाजारों में बिक्री में 6 से 9 महीने की देरी आपके आधे मुनाफ़े (IRR) को ख़त्म कर सकती है. उनका सुझाव है कि नए प्रोजेक्ट्स के प्रचार पर भरोसा करने की बजाय, आपको प्रॉपर्टी बेचने के समय की योजना बनानी चाहिए और पुराने प्रोजेक्ट्स की बिक्री पर भी नजर रखनी चाहिए.

3. बुनियादी ढांचा जोखिम (Infrastructure Risk)

योजनाबद्ध इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत अच्छा लगता है, जब तक कि उसमें देरी न हो जाए. अगर एक मेट्रो लिंक तीन साल लेट हो जाए, तो आपके सारे कमाई के अनुमान हिल सकते हैं. कपूर सलाह देती हैं कि आप टेंडर और फंडिंग की स्थिति की जांच करें. साथ ही, यह भी देखें कि उस जगह पर आने-जाने के कई रास्ते हों (जैसे सड़क और मेट्रो दोनों), ताकि आपका निवेश सुरक्षित रहे.

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4. प्रतिपक्ष जोखिम (Counterparty Risk)

आपका डेवलपर पर भरोसा करना बहुत जरूरी है. अगर वह आर्थिक रूप से कमज़ोर है, तो सबसे अच्छी जगह वाली प्रॉपर्टी भी परेशानी खड़ी कर सकती है. कपूर सलाह देती हैं कि निवेश करने से पहले डेवलपर की क्रेडिट रेटिंग, पुराने प्रोजेक्ट्स को समय पर पूरा करने का रिकॉर्ड और जमीन के मालिकाना हक की जानकारी जरूर जांच लें.

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कपूर लिखती हैं कि रियल एस्टेट में "जोखिम" का मतलब शायद ही कभी बाजार के नीचे जाने से होता है, बल्कि इसका मतलब उन चीजों से है जो आपने पहले नहीं देखीं. वह आगे कहती हैं कि इन चारों जोखिमों को समझने से आप गुरुग्राम के ज़्यादातर निवेशकों से आगे निकल जाएगें.

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