बेंगलुरु के रियल एस्टेट बाजार में पिछले कुछ वक्त से गिरावट देखी जा रही है, क्योंकि नौकरियों के बाजार में अनिश्चितता बनी हुई है. प्रमुख आईटी कंपनियों द्वारा छंटनी की घोषणाओं और अमेरिका के प्रौद्योगिकी क्षेत्र के घटनाक्रमों से भारत के आईटी निर्यात पर पड़ने वाले असर के कारण, लोग घर या फ्लैट खरीदने की अपनी योजनाओं को टाल रहे हैं. इस बार का फेस्टिव सीजन में रियल एस्टेट मार्केट के लिए मंंदा ही रहा.
व्हाइटफ़ील्ड, सरजापुरा रोड, और केंपेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास के इलाके जैसे लोकप्रिय रियल एस्टेट हॉटस्पॉट कभी प्रॉपर्टी खरीदने के लिए गुलजार रहते थे. उनकी अपील का कारण मजबूत कनेक्टिविटी, बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रमुख आईटी हब से उनकी निकटता थी, लेकिन अब ये रफ़्तार काफी धीमी पड़ गई है.
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रियल एस्टेट एक्सपर्ट का मानना है कि पिछले दो महीनों में, घर खरीदने वालों की पूछताछ में करीब 20-25% की गिरावट आई है. यहां तक कि त्योहारों का मौसम, जब प्रॉपर्टी की सेल बढ़ जाती है, उसमें भी माहौल ठंडा रहा. आमतौर पर दशहरा और दिवाली के दौरान भीड़ रहती है, लेकिन इस बार लोग शांत हैं.
बेंगलुरु का रियल एस्टेट बाजार काफी हद तक शहर के संपन्न आईटी पेशेवरों पर निर्भर करता है. प्रमुख आईटी कंपनियों द्वारा लागत में कटौती के नाम पर की जा रही बड़ी छंटनियों और नई भर्तियों पर रोक ने बाजार में भय और अनिश्चितता का माहौल बना दिया है. कई पेशेवर जो पहले ही घर खरीदने की योजना बना चुके थे या बुकिंग कराने वाले थे, उन्होंने अपने फैसलों को फिलहाल टाल दिया है. हांलाकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह मंदी अस्थायी हो सकती है, लेकिन वर्तमान में इसका प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है.
बेंगलुरु में वो घर या फ्लैट जो बिक नहीं पाए हैं, उनका स्टॉक हर साल 30% बढ़ गया है. यह भारत के टॉप सात प्रॉपर्टी बाज़ारों में सबसे ज़्यादा है. इंडस्ट्री के डेटा के हिसाब से, पिछले साल तक करीब 45,400 यूनिट्स नहीं बिक पाई थीं, जो अब बढ़कर करीब 58,900 यूनिट्स हो गई हैं. साफ है, बिल्डरों के पास ढेर सारे घर खाली पड़े हैं.