बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र के कामकाज में हमेशा केवार्इसी का जिक्र होता है. खासकर बैंक अपने ग्राहकों की पहचान के लिए केवार्इसी का प्रयोग करता है. लेकिन आपके मन में सवाल उठता होगा कि ये KYC है क्या, और क्यों जरूरी है? (Photo: getty)
KYC यानी (Know Your Customer) को साधारण हिंदी में परिभाषित करें तो कहेंगे कि कस्टमर के बारे में पूरी जानकारी. केवाईसी कराना सभी के लिए जरूरी है. एक तरह से बैंक और ग्राहक के बीच KYC रिश्ते को मजबूत करता है. बिना केवाईसी निवेश मुमकिन नहीं है, इसके बगैर बैंक खाता भी खोलना आसान नहीं है. (Photo: getty)
दरअसल बैंक में खाता खुलवाना, म्यूचुअल फंड में निवेश, बैंक लॉकर्स लेने पर, या फिर पुरानी कंपनी की पीएफ राशि निकालनी हो तो ऐसे वित्तीय लेन-देन में केवाईसी के बारे में पूछा जाता है. केवाईसी के जरिए यह सुनिश्चित किया जाता है कि कोई बैंकिंग सेवाओं का दुरुपयोग तो नहीं कर रहा है. (Photo: getty)
इन सबके अलावा जब आप सिम कार्ड खरीदते हैं तो अपनी पहचान के लिए आधार कार्ड वैरीफाई करते हैं, इस प्रक्रिया को भी KYC कहते हैं. केवाईसी फॉर्म ऑनलाइन भी भरे जाते हैं लेकिन डॉक्यूमेंट्स और फोटो वैरीफिकेशन के लिए एक बार बैंक जाना जरूरी होता है. (Photo: getty)
केवाईसी फॉर्म के साथ ग्राहक को अपनी पहचान और एड्रेस प्रूफ जमा करने होते हैं. आईडी प्रूफ के लिए आधार कार्ड, वोटर आईडी और पैन कार्ड जैसे कई विकल्प हैं. एड्रेस प्रूफ के लिए आधार कार्ड का इस्तेमाल किया जा सकता है. एड्रेस का कोई प्रूफ न होने पर एफिडेविट भी दिया जा सकता है. (Photo: getty)
अगर आवेदक की केवाईसी प्रक्रिया पूरी हो जाती है तो इससे जालसाजी या धोखाधड़ी की संभावना कम हो जाती है. इसलिए केवाईसी के साथ दस्तावेज देते समय कोताही न बरतें. इस प्रक्रिया से व्यक्ति की असली पहचान सुनिश्चित हो जाती है. (Photo: getty)