scorecardresearch
 

US ने जिस B-2 बॉम्बर से ईरानी परमाणु साइट को बनाया निशाना, जानिए उसकी लागत कितनी

US Air Strike On Iran: अमेरिका ने ईरान की तीन परमाणु साइट्स को निशाना बनाकर ध्वस्त कर दिया और 40 घंटे से ज्यादा चले इस मिशन को अंजाम देने के लिए America ने अपने B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर का इस्तेमाल किया था.

Advertisement
X
अमेरिका ने अपने बी-2 बॉम्बर से बनाया ईरानी परमाणु साइट्स का निशाना
अमेरिका ने अपने बी-2 बॉम्बर से बनाया ईरानी परमाणु साइट्स का निशाना

इजरायल और ईरान जंग (Israel-Iran War) के बीच अमेरिका द्वारा Iran की तीन परमाणु साइट्स पर एयर स्ट्राइक की गई है और इससे तनाव और भी चरम पर पहुंच गया है. इस बीच अमेरिका का वो हथियार भी खासा चर्चा में है, जिसका नाम B-2 स्पिरिट स्टील्थ और इसने ईरान में पहाड़ों के नीच 80 फीसदी की गहराई में स्थित फोर्डो परमाणु साइट को भी निशाना बनाया. इंडियन एयरफोर्स के पूर्व अधिकारी अजय अहलावत ने रविवार को एक एक्स पोस्ट के जरिए बताया कि अमेरिका के B-2 Bomber विमानों ने मिसौरी से कैसे ईरान तक उड़ान भरकर हथियार गिराए और इस बॉम्बर की लागत कितनी है? 

40 घंटे की उड़ान भरकर किया हमला  
US B-2 Bomber विमानों ने अमेरिका के मिसौरी से उड़ान भरी और ईरान की तीन परमाणु साइट्स- फोर्डो, नतांज और इस्फहान- के ऊपर हथियार गिराने के बाद सुरक्षित वापस लौट आए. खास बात ये है कि यह सब तब हुआ, जबकि पूरी दुनिया ने इसकी लाइव रिपोर्टिंग की गई. अहलावत ने अपनी एक्स पोस्ट में US Air Strike का जिक्र करते हुए इस बॉम्बर की खासियत बताई. उन्होंने कहा कि B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर एक अदृश्य विनाशक है और अमेरिकी वायुसेना का सबसे उन्नत और महंगा हथियार है. इसकी खासियत ये है कि यह रडार की पकड़ में नहीं आ पाता है. 

इतनी है B-2 बॉम्बर की लागत
अब बात करते हैं कि अमेरिका के सबसे महंगे हथियारों में शामिल नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन द्वारा तैयार किए गए B-2 Bomber की लागत आखिरी कितनी है, तो अहलावत ने बताया कि ऐसी क्षमता के लिए बहुत अधिक धन की आवश्यकता होती है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हर बी-2 विमान पर 2.2 अरब डॉलर (करीब 19000 करोड़ रुपये) से अधिक की लागत आई. यही नहीं इसके जरिए 200 फीट गहरे कंक्रीट बंकरों को भेदने की क्षमता रखने वाले 13600 किलो के जो बंकर बस्टर बम GBU-57 गिराए गए, उनमें से प्रति बम की लागत करीब 20 मिलियन डॉलर (करीब 173 करोड़ रुपये) है.

Advertisement

40 घंटे से ज्यादा चला मिशन
अहलावत के अलावा एक अमेरिकी अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमलों में बी-2 बमवर्षक विमान शामिल थे. इन विमानों ने मिसौरी के व्हाइटमैन एयर फोर्स बेस से उड़ान भरी थी, जो इस विमान का एकमात्र संचालन बेस था, यह मिशन 40 घंटे से ज्यादा देर तक चला. उन्होंने डिटेल देते हुए कहा कि इन B-2 Bomber के जरिए ईरान की परमाणु साइट्स को बंकर-बस्टर बमों से निशाना बनाया, जिन प्रमुख तौर पर जीबीयू-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर बम शामिल रहे, जिन्हें खासतौर पर फोर्डो जैसी भूमिगत साइट्स पर हमला करने के लिए डिजाइन किया गया है. 

US B 2 Bomber Aircraft

डोनाल्ड ट्रंप बोले- 'फोर्डो चला गया...'
B-2 बॉम्बर की खासियत पर संक्षेप में गौर करें, तो ये 69 फीट लंबा, 172 फीट चौड़ा और 17 फीट ऊंचा है. इसका खाली वजन 71,700 किलोग्राम, जबकि हथियारों से लैस होने के बाद 1.70 लाख किलोग्राम तक होता है और इतने वजन के साथ ये आसानी से उड़ान भरकर अपने निशाने को भेदने में सक्षम है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिलहाल अमेरिका के पास सिर्फ 20 B-2 बॉम्बर हैं. शीत युद्ध के बाद लंबी दूरी के बमवर्षकों की डिमांड कम होने के बाद केवल 21 बी-2 बॉम्बर बनाए गए थे और इसकी पहली इकाई, स्पिरिट ऑफ मिसौरी, 1993 में वितरित की गई थी. इसकी स्पीड 1010 किलोमीटर प्रति घंटा होती है, जबकि रेंज 11000 किलोमीटरक है. 

Advertisement

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरानी परमाणु साइट्स पर किए गए इस बी-2 हमले को एक शानदार सैन्य सफलता करार दिया है और कहा है कि ईरान की परमाणु संवर्धन क्षमता पूरी तरह से नष्ट हो गई है. ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट के जरिए भी उन्होंने हमले के बाद घोषणा करते हुए कहा, 'फोर्डो चला गया है'.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement