निर्यात में 70% कमी, 60.2 अरब डॉलर का नुकसान... ट्रंप टैरिफ के भारत पर असर को 10 points में समझें
अमेरिका ने भारत पर आज से 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया है, जिसे लेकर एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि भारत के निर्यात में भारी गिरावट आने वाली है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के एक्सपोर्ट में 70 फीसदी की कमी आ सकती है. साथ ही 60 अरब डॉलर से ज्यादा का निर्यात प्रभावित हो सकता है.
Advertisement
X
अमेरिकी टैरिफ से भारत का एक्सपोर्ट प्रभावित होगा. (Photo: File/ PTI,AP)
भारत पर अमेरिका का 50 फीसदी टैरिफ आज से लागू हो चुका है, जो भारत के निर्यात को प्रभावित करेगा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ये टैरिफ इस कारण लगाया है, क्योंकि भारत ने रूसी तेल की खरीद से पीछे हटने से इनकार किया है. एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि इस नए शुल्क से भारत की विकास संभावनाएं भी प्रभावित होंगे.
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार अमेरिकी टैरिफ से 60.2 अरब डॉलर प्राइस के भारतीय एक्सपोर्ट पर असर पड़ने की आशंका है. कपड़ा, जेम्स एंड ज्वेलरी, झींगा, कालीन और फर्नीचर जैसे सेक्टर्स में एक्सपोर्ट में 70 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है, जिससे लाखों नौकरियों पर संकट आ सकता है. आइए समझते हैं टैरिफ से 10 बड़े नुकसान क्या-क्या हो सकते हैं.
रॉयटर्स के अनुसार, एक्सपोर्ट्स ग्रुप्स का अनुमान है कि टैरिफ ग्रोथ से अमेरिका को भारत के करीब 55 प्रतिशत ट्रेड एक्सपोर्ट पर असर पड़ सकता है, जिसकी वैल्यू करीब 87 बिलियन डॉलर है, जबकि इससे बांग्लादेश, चीन और वियतनाम जैसे देशों को बढ़त मिलेगी.
GTRI की रिपोर्ट के अनुसार, ये शुल्क भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात का लगभग 66 प्रतिशत कवर करते हैं, जिसका मूल्य वित्त वर्ष 2025 में 86.5 बिलियन डॉलर होगा. अगर ये टैरिफ बने रहते हैं, तो अगले साल निर्यात घटकर 49.6 बिलियन डॉलर रह सकता है. वहीं चीन, वियतनाम और मैक्सिको जैसे देशों को लाभ पहुंच सकता है.
मूडीज एनालिस्टिक्स के एक एक्सपर्ट ने चेतावनी दी है कि भारतीय वस्तुओं पर नए टेरिफ से निर्यात की मांग में भारी कमी आएगी. मूडीज ने आगे कहा कि कुछ कंपनियां बिक्री की मात्रा बनाए रखने के लिए कीमतों में कटौती कर सकती हैं, लेकिन ऐसा करने से मार्जिन कम हो सकता है. वहीं अगर कटौती नहीं करती हैं तो इनके कस्टमर्स की संख्या घट जाएगी.
एक्सपर्ट का कहना है कि दवा, स्मार्टफोन और स्टील क्षेत्र अमेरिकी टैरिफ से बच सकते हैं. ऐसे में टैरिफ की मार झेलने में ये सेक्टर्स भारत की मदद कर सकते हैं.
अहमदाबाद में कई परियोजनाओं का उद्घाटन करने के बाद बोलते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत किसानों, छोटे उद्योगों और घरेलू उत्पादकों के हितों से समझौता नहीं करेगा. पीएम मोदी ने आगे कहा कि उनकी सरकार अमेरिका के आर्थिक दबाव की परवाह किए बगैर कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेगी.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारतीय वस्तुओं पर एक्स्ट्रा 25 फीसदी टैरिफ लगाने वाले एक एग्जिक्यूटिव ऑर्डर पर साइन किया है, जिससे 27 अगस्त 2025 तक कुल टैरिफ हो जाएगा.
भारत ने अभी तक रूस से तेल खरीद पर कोई निर्देश जारी नहीं किया है. मॉस्को में नई दिल्ली के दूत ने कहा कि भारतीय वस्तुओं पर बढ़ते अमेरिकी टैरिफ के बावजूद, भारत 'सबसे अच्छे सौदे' वाले सोर्स से तेल खरीदना जारी रखेगा.
उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य भारत के 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा है और रूस के साथ-साथ कई अन्य देशों के साथ भारत के सहयोग से वैश्विक तेल बाजार में स्थिरता लाने में मदद मिली है.
अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने एनबीसी के मीट द प्रेस कार्यक्रम में इस रणनीति का बचाव करते हुए इसे रूस के खिलाफ 'आक्रामक आर्थिक दबाव' बताया. उन्होंने आगे कहा कि हो सकता है कि हम अतिरिक्त दबाव डालें या हो सकता है हम उस दबाव को कम कर दें. लेकिन हमारे पास अभी भी बहुत सारे दांव खेलने बाकी हैं.
मार्च और जुलाई 2025 के बीच भारतीय अधिकारियों के साथ 5 दौरे की गहन चर्चा ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है. वार्ता के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 30 जुलाई को भारतीय आयातों पर 25 फीसदी टैरिफ लगा दिया. अब ये टैरिफ 50 फीसदी हो चुका है. ऐसे में व्यापारिक तनाव बढ़ने से ट्रेड डील में और बाधाएं आ सकती हैं.