अमेरिका और चीन में भले ही बात बन गई हो, लेकिन बीते कुछ समय में China ने लगातार रेयर अर्थ मिनरल्स को लेकर दुनिया को डराने का काम किया है. ऐसा हो भी क्यों न आखिर Rare Earth पर उसका दबदबा जो है, जिसके चलते उसने इन मिनरल्स पर प्रतिबंध बढ़ाकर अमेरिका से लेकर भारत तक सबकी टेंशन बढ़ गई थी. हालांकि, ट्रंप-जिनपिंग की साउथ कोरिया में हुई मुलाकात के बाद चीन रेयर अर्थ पर बैन हटाने को राजी हो गया है, लेकिन भारत ने सबक लेते हुए अब इस सेक्टर में बड़ा निवेश कर ड्रैगन पर निर्भरता कम करने की बड़ी तैयारी कर ली है.
चीन का रेयर अर्थ पर दबदबा
Rare Earth को लेकर चीन अक्सर दुनिया को आंखें दिखाता नजर आता है. ट्रंप के टैरिफ वॉर के दौरान भी इसका उदाहरण दिखा. अमेरिकी राष्ट्रपति ने China Tariff बढ़ाने की धमकी दी, तो पलटवार करते हुए चीन ने रेयर अर्थ मिनरल्स पर प्रतिबंध लगा दिए. ड्रैगन के इस फैसले ने जहां अमेरिका समेत कई बड़े देशों की चिंता बढ़ाई, तो भारत ने अलग ही तैयारी करना शुरू कर दिया था और पूरा फोकस इन दुर्लभ धातुओं में निवेश बढ़ाने पर कर दिया. सरकार इसे लेकर कदम अप्रैल 2025 में चीन द्वारा इसपर निर्यात नियंत्रण कड़ा करने के बाद से ही उठाने लगी थी.

ड्रैगन को टक्कर के लिए भारत का प्लान
अब ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत रेयर अर्थ मैग्नेट मैन्युफैक्चरिंग के लिए अपने प्रोत्साहन कार्यक्रम को बढ़ाकर तीन गुना करने जा रहा है. इसे 788 मिलियन डॉलर (करीब 7,000 करोड़ रुपये) से अधिक करने की तैयारी की गई है.नाम न छापने की शर्त पर रिपोर्ट में मामले से परिचित एक व्यक्ति ने बताया है कि योजना के तहत फिलहाल 290 मिलियन डॉलर की रकम रखी है.लेकिन, सरकार जो अंतिम रकम तय करने की तैयारी में है, उसमें बदलाव भी हो सकता है.
प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार
भारत का ये मेगा प्लान इलेक्ट्रिक व्हीकल, रिन्यूएबल एनर्जी से लेकर डिफेंस प्रोडक्ट्स तक के लिए सबसे जरूरी रेयर अर्थ मिनरल्स की आपूर्ति सुनिश्चित करने से जुड़ा एक बड़ा कदम है. इसके साथ ही इसका उद्देश्य इस महत्वपूर्ण चीज के बाजार में चीन के प्रभुत्व पर निर्भरता को कम करना भी है.

हालांकि, इस प्रस्ताव को अभी कैबिनेट की मंजूरी मिलना मुश्किल है. भले ही भारत की स्ट्रेटजी चीन की पकड़ को चुनौती देने के लिए आगे आ रहे अन्य देशों के प्रयासों के समान है, लेकिन इसमें सीमित वित्तपोषण से लेकर अपर्याप्त विशेषज्ञता और पर्यावरणीय प्रभाव से संबंधित चुनौतियां भी हैं.
इन चुनौतियों से निजात पाने के लिए ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस सेक्टर को गति देने के लिए सरकार प्रोडक्शन संबंधी और पूंजीगत सब्सिडी के माध्यम से लगभग 5 कंपनियों को मदद मुहैया कराएगी. इसमें ये भी बताया गया है कि China ने हाल ही में भारतीय इस्तेमाल के लिए Rare Earth Import License जारी करने के हालिया निर्णय के बाद भी भारतीय मूल की कंपनियों को कोई भी लाइसेंस नहीं दिया गया है.