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'जितनी मर्जी FD कर लें, कुछ नहीं होने वाला...' एक्‍सपर्ट ने कहा- ये एक साइलेंट वेल्थ ट्रैप!

फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट को लेकर एक्‍सपर्ट ने चेतावनी दी है. उनका कहना है कि जबतक महंगाई कम है तबतक तो यह एक सेफ कम रिटर्न वाला निवेश हो सकता है, लेकिन जैसे ही इसका रिटर्न महंगाई से कम होता है, यह आपके वेल्‍थ की वैल्‍यू घटा सकता है.

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फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट में निवेश एक वेल्‍थ ट्रैप. (Photo: File/ITG)
फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट में निवेश एक वेल्‍थ ट्रैप. (Photo: File/ITG)

भारत में एक बड़ा वर्ग फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट (FD) में निवेश करता है. कोई पोस्‍ट ऑफिस की एफडी में निवेश करता है तो कोई बैंक या NBFC के FD में पैसा लगाता है. एफडी पर 6 फीसदी से लेकर 9 फीसदी तक का सालाना रिटर्न मिलता है. लेकिन क्‍या ये रिटर्न आपके वेल्‍थ क्रिएशन के लिए पर्याप्‍त है? इसी को लेकर एक CA ने कहा है कि FD एक 'साइलेंट वेल्‍थ ट्रैप' की तरह है. 

सोशल मीडिया पोस्‍ट पर चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन कौशिक ने भारतीय बचतकर्ताओं को 'साइलेंट वेल्थ ट्रैप' के बारे में चेतावनी दी है. उन्‍होंने कहा कि लोग महंगाई के प्रभाव और विकास के छूटे हुए अवसरों पर विचार किए बिना अपना ज्‍यादा पैसा सावधि जमा (FD) में जमा कर देते हैं. आज FD की दरें लगभग 6.3-7% प्रति वर्ष हैं, जबकि महंगाई करीब 2.1% है. ऐसे में आपका रियल रिटर्न 4.2 से 4.9 प्रतिशत बनता है. 

10 लाख एक साल में सिर्फ इतना ही देगा लाभ
सीए ने बताया कि कैसे FD में रखे गए ₹10 लाख की रियल परचेजिंग पावर एक साल बाद बढ़कर केवल ₹10.42 लाख ही रह जाती है. इस लिमिटेड प्रॉफिट के बावजूद करीब 70 भारतीय परिवार अभी भी FD को अपनी फर्स्‍ट सेविंग च्‍वॉइस समझता है. कौशिक इसका श्रेय 'गारंटीड सेफ्टी' के आराम फाइनेशियल एजुकेशन की कमी और बाजार की अस्थिरता को देते हैं. 

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उन्‍होंने चेतावनी दी कि एफडी में फाइनेंशियल सेफ्टी तभी तक सही है, जबतक महंगाई कम है. अगर मान लीजिए महंगाई आपके एफडी रिटर्न से ज्‍यादा हो जाती है, तो आपकी निवेश की गई रकम की वैल्‍यू समय के साथ कम होती जाएगी. 

एफडी ना करें तो फिर क्‍या ऑप्शन? 
कौशिक ने एक संतुलित निवेश का सुझाव दिया. उन्‍होंने कहा कि अपने निवेश पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइड करने की आवश्‍यकता है. FD के पैसे को इक्विटी ( अनुमानित 12-15% सीएजीआर), डेट फंड (6.5-8%), और महंगाई से बचाव के उपायों जैसे सोना या अन्‍य मेटल में निवेश करना चाहिए. उन्होंने सलाह दी है कि एक ही परिसंपत्ति वर्ग में स्थिर नहीं रहना चाहिए. इससे रिस्‍क के साथ ही आपकी वेल्‍थ कम हो सकती है. 

विशेषज्ञ उनकी इस चिंता को दोहराते हैं कि पैसे को बेकार छोड़ देने या किसी एक सेफ विकल्प तक सीमित रखने से समय के साथ चक्रवृद्धि ब्याज की क्षमता कम हो सकती है और परचेजिंग पावर कम हो सकती है. उनका कहना है कि वास्तविक संपत्ति बनाने के लिए रणनीतिक डायवर्सिफिकेशन, समय-समय पर पोर्टफोलियो की जांच और बदलती बाजार स्थितियों के अनुकूल ढलने की इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है. 

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