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World Cup Revenue: हो गया वर्ल्ड कप का आगाज... खूब बरसेगा पैसा, भारत के लिए बल्ले-बल्ले, 10 प्वाइंट्स में समझें

नवंबर के मध्य तक चलने वाले क्रिकेट के इस मेगा इवेंट (Mega Events) के दौरान घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी संख्या में खेल प्रेमियों के आने की उम्मीद है. 10 शहरों में खेले जाने वाले मैचों से सबसे ज्यादा फायदा टूर एंड ट्रैवल इंडस्ट्री को मिलेगा.

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क्रिकेट से जोरदार कमाई की उम्मीद
क्रिकेट से जोरदार कमाई की उम्मीद

गुरुवार से देश में क्रिकेट के सबसे बड़े मेले ODI वर्ल्ड कप की शुरुआत हो गई है. भारत में क्रिकेट की दीवानगी किसी से छुपी नहीं है और जब इसके महाकुंभ का आयोजन भारत में हो रहा है तो फिर लोगों का उत्साह आसानी से समझा जा सकता है. इसके असर से भारत की इकोनॉमी को जबरदस्त बूस्टर डोज मिलने का अनुमान जताया जा रहा है.

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि क्रिकेट विश्व कप मेजबान देश भारत की अर्थव्यवस्था को 2.4 अरब डॉलर यानी 22 हज़ार करोड़ रुपये तक बढ़ा सकता है. इसके असर से भारतीय इकोनॉमी की ग्रोथ रेट में 10 बेसिस प्वाइंट्स का इजाफा हो सकता है. नवंबर के मध्य तक चलने वाले क्रिकेट के इस मेगा इवेंट (Mega Events) के दौरान घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी संख्या में खेल प्रेमियों के आने की उम्मीद है. 10 शहरों में खेले जाने वाले मैचों से सबसे ज्यादा फायदा टूर एंड ट्रैवल इंडस्ट्री को मिलेगा. 

वर्ल्ड कप भरेगा सरकार की झोली!

टूर्नामेंट के टिकटों की बिक्री, होटल में रुकने, रेस्तरां में खाने के साथ-साथ दूसरे खर्चों पर लगने वाला टैक्स सरकारी खजाने को 7 से 8 हजार करोड़ का फायदा पहुंचा सकता है. इसके अलावा वर्ल्ड कप के दौरान क्रिकेट मैच दिखाने के लिए पब और स्पोर्ट्स बार वगैरह में बड़ी टीवी स्क्रीन लगाई जाएंगी, जिसमें लोग अलग से मैच का लुत्फ लेने के लिए डाइनिंग पर रकम खर्च करेंगे जो सरकार को बतौर GST मोटी रकम दिलाने में मददगार हो सकता है. भारत में एंटरटेनमेट, संस्कृति, रेस्तरां और होटलों पर निजी खर्च कुल GDP का करीब 1.4% है. अनुमान है कि क्रिकेट विश्व कप से इसे बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा ब्रॉडकास्टिंग सेवाओं और ट्रांसपोर्ट सेक्टर को भी इससे फायदा मिलना तय है. 

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विज्ञापन पर 2 हजार करोड़ खर्च होंगे!

दुनियाभर की कंपनियों की नजरें इस बार के वर्ल्ड कप पर लगी हैं. इसकी वजह भारत की 140 करोड़ की आबादी है जो इन कंपनियों के लिए एक बड़ा बाजार है. ऐसे में वर्ल्ड कप के बहाने ये कंपनियां भारतीय कंज्यूमर्स को लुभाने के इस बड़े मौके को पुरजोर तरीके से भुनाने की कोशिश में हैं. इनमें टेक दिग्गज गूगल से लेकर ब्रेवरेज किंग कोका कोला और जापान की ऑटोमेकर निसान से लेकर कच्चे तेल की सरताज सऊदी अरामको तक शामिल हैं. 

फेस्टिव सीजन-वर्ल्ड कप-खरीफ सीजन का कॉकटेल!

क्रिकेट के इस महाआयोजन के साथ-साथ भारत में इस बार त्योहारों का मौसम भी साथ-साथ चलेगा. दहशरा से लेकर दिवाली तक सारे मुख्य त्योहार भी नवंबर के मध्य तक ही पड़ेंगे. ऐसे में दुनियाभर की कंपनियां भारतीय बाजार में छाने के इस शानदार अवसर को छोड़ना नहीं चाहती हैं. फेस्टिव सीजन और वर्ल्ड कप के क्रेज को कैश करने के लिए कंपनियों ने 2 हजार करोड़ रुपये केवल विज्ञापनों पर खर्च करने की योजना तैयार कर ली है. पिछले वर्ल्ड कप के मुकाबले कंपनियां एक सेकंड के स्लॉट के लिए 40 प्रतिशत ज्यादा रकम खर्च करेंगी जो करीब 3 लाख रुपये है. 

चीन की टेंशन ने भी भारत में बढ़ाई कंपनियों की दिलचस्पी

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चीन में आर्थिक मंदी और पश्चिमी देशों के साथ चल रहे भू-राजनीतिक तनाव ने भी भारत को MNCs के बीच बेहद लोकप्रिय बाजार बना दिया है. जिस तरह से ग्लोबल सुस्ती और घटते निर्यात के दौर में भी अपनी घरेलू खपत के दम पर भारत की आर्थिक ग्रोथ सबसे आगे दौड़ रही है उससे भी दुनियाभर की कंपनियों के लिए ये एक बेहद आकर्षक बाजार बन गया है. भारतीय इकॉनमी के अगले एक दशक में 5 और 10 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने का अनुमान भी हर किसी को यहां की ग्रोथ स्टोरी का हिस्सा बनने के लिए तैयार कर रहा है. वैसे भी भारत में क्रिकेट का यहां के कुल मीडिया खर्च में 85 फीसदी हिस्सेदारी है. यहां पर 1.5 अरब डॉलर से ज्यादा रकम खेलों के स्पांसर्स और मीडिया एक्सपेंडिचर पर खर्च की जाती है यानी 12.75 अरब डॉलर की रकम अकेले क्रिकेट की झोली में जाती है.

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