सरकार ने जीएसटी को लेकर बड़ा बदलाव लेकर आ रही है, जो दिवाली पर लागू किया जा सकता है. उम्मीद है कि छोटे कार खरीदारों के लिए 28% लगने वाला GST रेट घटकर 18 फीसदी हो जाएगा, लेकिन इसके बाद भी बहुत से मिडिल क्लास के लिए राहत भरी बात नहीं है. एक CA का दावा है कि अगर आप एक कार खरीदते हैं तो आप उतना ही पैसा सरकार को टैक्स के तौर पर देते हैं.
लिंक्डइन पर एक पोस्ट में, CA कपिल गुप्ता ने प्रस्तावित टैक्स सुधार का विश्लेषण किया है. नए सुधार के तहत छोटी कारों पर जीएसटी 28% से घटकर 18% होने की उम्मीद है. मिड साइज की कारों और SUV पर, जिन पर पहले क्रमशः 43% और 50% टैक्स लगता था, संभवतः 40% का रेट लग सकता है.
बड़ी कारों के लिए मामूली कटौती!
गुप्ता ने कहा कि छोटी कारों के लिए कटौती से एंट्री लेवल कारों की कीमत में कमी आ सकती है, लेकिन मिड साइज और बड़ी कारों के लिए कटौती मामूली है. खासकर उन लोगों के लिए जो पहले से ही ज्यादा टैक्स और लाइफस्टाइल कॉस्ट से जूझ रहे हैं.
कार की कीमत जितना टैक्स?
गुप्ता ने लिखा कि एक व्यक्ति जो सालाना 24 लाख रुपये से थोड़ा अधिक कमाता है, पहले से ही 31% इनकम, लगभग हर उत्पाद पर ज्यादा GST, महंगा प्राइवेट एजुकेशन और मेडिकल कॉस्ट का भुगतान कर रहा है. एक मिड साइज की SUV खरीदना अभी भी ऐसा लगता है जैसे पहले सरकार को एक कार का भुगतान किया और फिर अपने लिए एक रख लिया.
GST के अलावा, गुप्ता ने अतिरिक्त खर्चों की ओर भी इशारा किया, जिसमें ईंधन, टोल और राज्य सड़क टैक्स शामिल है और इनकी दरें 5% से 21% तक हैं. अगर राज्य इन्हें और बढ़ा देते हैं, तो जीएसटी का लाभ खत्म हो सकता है.
क्यों इन कारों पर वसूला जा रहा लग्जरी टैक्स?
सीए ने सवाल उठाते हुए कहा कि मिड साइज और SUVs कारों पर लग्जरी टैक्स लगाने के पीछे आखिर क्या औचित्य है? बड़े परिवारों को अक्सर ऐसी कारों की आवश्यकता होती है, न कि लग्जरी लाइफ जीने वालों को.
मिडिल क्लास को अभी भी राहत नहीं
कारों को लेकर टैक्स में बदलाव की यह पॉलिसी ऐसे वक्त में सामने आई है, जब विदेशी कंपनियों के लिए मार्केट में एंट्री आसान होने की उम्मीद है. हालांकि इससे कंपनियों को फायदा हो सकता है, लेकिन गुप्ता का तर्क है कि एवरेज भारतीय खरीदारों को इस बदलाव का ज्यादा लाभ नहीं मिलेगा. उन्होंने लिखा कि इस सुधार से उद्योग जगत को लाभ हो सकता है, लेकिन मध्यम वर्ग को वास्तविक राहत अभी भी नहीं मिलेगी.