कोविड महामारी के खत्म होने के बाद भी एजुकेशन की दुनिया पूरी तरह से बदल जाने वाली है. पूरी तरह से ऑनलाइन सिस्टम तो नहीं हो सकता, लेकिन एजुकेशन सेक्टर में ऑनलाइन और ऑफलाइन का हाइब्रिड सिस्टम जरूर विकसित हो सकता है. बिजनेस टुडे टेक कॉनक्लेव (BT Tech Conclave) में एजुकेशन पर आयोजित एक महत्वपूर्ण सत्र में शामिल वक्ताओं ने यह राय रखी.
क्या एजुकेशन का भविष्य ऑनलाइन ही है, इस विषय पर शुक्रवार को डिजिटली आयोजित सत्र में आईआईएम उदयपुर के डायरेक्टर जनत शाह, upGrad के सीईओ (इंडिया) अर्जुन मोहन, Coursera के मैनेजिंग डायरेक्टर (इंडिया एवं एपीएसी) राघव गुप्ता और Bhavan's SPJIMR की एसोसिएट डीन डॉ. प्रीता जॉन शामिल हुईं.
ऑनलाइन की अहम भूमिका रहेगी
डॉ. प्रीता जॉन ने कहा, 'पिछले डेढ़ साल से हमें कुछ नहीं पता था कि आगे क्या होगा, लेकिन डिजिटल लर्निंग और ऑनलाइन एजुकेशन ने यह संकेत दे दिया है कि एजुकेशन का भविष्य क्या हो सकता है. हमने काफी रोचक चीजें देखीं. स्टूडेंट को ऑनलाइन क्लास में कैसे इंगेज रखा जाए आगे इसको लेकर काफी इनोवेशन होगा. शॉर्ट टाइम कोर्सेज में ऑनलाइन की काफी अहम भूमिका रहेगी. एग्जीक्यूटिव एमबीए और डिप्लोमा कोर्सेज में ऑफलाइन का चलन बना रहेगा. ऐसे कोर्स में एटीट्यूड बिल्डिंग, टीम वर्क आदि के लिए फिजिकल प्रजेंस की जरूरत होती है. सप्लाई साइड में भी काफी इनोवेशन होगा. ज्यादा से ज्यादा स्टूडेंट कोर्स को एक्सेस करें यह कैसे सुनिश्चित किया जाए, इस पर ध्यान होगा. वर्चुअल रियल्टी और AI जैसी टेक्नोलॉजी को अपनाया जा सकता है.'
उन्हाेंने कहा, 'SPJIMR में हमने अपने क्लासरूम में हाइब्रिड इन्फ्रास्ट्रक्चर की व्यवस्था की है. हमारे स्टूडेंट और टीचर्स दुनिया में कहीं भी रहकर क्लास से जुड़ सकते हैं. यही भविष्य में हो सकता है. क्लासरूम में डायवर्सिटी आ सकती है. फ्यूचर क्लासरूम ऐसा हो सकता है कि दो या तीन फैकल्टी मिलकर एक साथ पढ़ाएं.'
आगे हाइब्रिड मॉडल होगा
अरुण मोहन ने कहा, ' हम पूरी तरह से ऑनलाइन पहलू पर फोकस रखे हुए हैं. हम ऐसी सर्विस उपलब्ध करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि यूनिवर्सिटीज का 90 फीसदी काम ऑनलाइन ही हो सके. हम ऐसे मॉडल बना रहे हैं जो किसी एमबीए स्कूल के नेटवर्क सेशन को सिमुलेट कर सकें. आगे हाइब्रिड मॉडल होगा, लेकिन धीरे-धीरे लोग ऑनलाइन की ताकत को समझेंगे और इसे मेन स्ट्रीम मूवमेंट की तरह अपनाएंगे. हमने कई यूनिवर्सिटी से टाईअप किया. ऐसी यूनिवर्सिटी जिन्हें यह पता नहीं था कि स्टूडेंट से ऑनलाइन कैसे जुड़ना है.'
उन्होंने कहा, 'यह सही है कि जब चीजें खुलेंगी तो ऑफलाइन सिस्टम तो पहले जैसा हो जाएगा, लेकिन ऑफलाइन यूनिवर्सिटी में भी ऑनलाइन की तमाम विशेषताओं को अपनाया जाएगा. ऑनलाइन काम करने से यदि मेरा काम आसान होता है तो क्यों न अपनाया जाए.?'
बहुत तरह के रोचक आइडिया सामने आएंगे
प्रोफेसर जनत शाह ने कहा, 'कैंपस आधारित पढ़ाई हमारे लिए मुख्य धारा बनी रहेगी. हम यह श्योर करेंगे कि हमारे कोर प्रोग्राम, फ्लैगशिप प्रोग्राम कैम्पस में ही रहें. ऑनलाइन के दौरान हमारा फोकस यह था कि स्टुडेंट का क्वालिटी एक्सपीरियंस पहले जैसा ही हो. काफी कुछ सीखने को था. टॉप 30 इंस्टीट्यूट के लिए हो सकता है जैसा अनुभव हो, अगले 300 इंस्टीट्यूट के लिए उससे अलग हो. यह सवाल स्टूडेंट उठा सकते हैं कि यदि किसी ऑनलाइन कोर्स में उनको बहुत कम पैसे में डिग्री मिल रही है तो वे ऑफलाइन वालों को ज्यादा पैसा क्यों दें?'
उन्होंने कहा, 'नए हाइब्रिड सिस्टम से इंस्टीट्यूशन, कॉरपोरेट को भी फायदा होगा. लोग लर्निंग और रीलर्निंग में मजबूर होंगे. टेक्नोलॉजी की मदद से टियर टू इंस्टीट्यूट भी अपेन स्टूडेंट को वर्ल्ड क्लास की फैक्ल्टी की सुविधा दे सकते हैं. यह हमारे लिए काफी कुछ सीखने का टाइम है. मान लीजिए 30 स्टूडेंट क्लास में हैं और 30 स्टूडेंट ऑनलाइन तो उन्हें कैसे मैनेज करना है. किस तरह का मटीरियल यूज करना है, बहुत तरह के रोचक आइडिया सामने आ सकते हैं.'
वर्क फ्रॉम होम जैसा रिमोट वर्क बना रहेगा
राघव गुप्ता ने कहा, 'बिजनेस में पहले से ही डिजिटाइजेशन होने से काफी कुछ डेटा जनरेट हो रहा है. कोविड चला जाए तो भी वर्क फ्रॉम होम जैसा रिमोट वर्क बना रहेगा. कंपनियां परमानेंट वर्क फ्रॉम होम का ऑप्शन दे सकते हैं. भविष्य के आकर्षक करियर डिजिटल प्रोडक्ट मैनेजमेंट हो सकते हैं. एआई और मशीन लर्निंग, फिनटेक, डेटा हैंडलिंग सबको सीखना पड़ सकता है. अब स्टूडेंट्स को एसईओ, सोशल मीडिया मार्केटिंग सीखनी पड़ सकती है. टेक्नोलॉजी हमेशा बदलती रही है, लेकिन इस बार थोड़ी तेजी से हुई है.'
उन्होंने कहा, 'ऑनलाइन लेक्चर नए टेक्स्टबुक की तरह है, जो कैम्पस की पढ़ाई को आगे बढ़ा रहे हैं. मेरे फैकल्टी मेंबर मेरे संस्थान के हैं तो दूसरे संस्थानों के भी. हम अमेरिका के हायर स्टडीज को देखें तो वहां 12 फीसदी मास्टर्स प्रोग्राम और 36 फीसदी स्टूडेंट पूरी तरह से ऑनलाइन हैं. यानी अमेरिका में हर तीन में से एक स्टूडेंट कैंपस में नहीं जा रहा. भारत में यह धारणा है कि ऑनलाइन स्टडी प्रोग्राम अच्छी क्वालिटी का नहीं होता. '