अमेरिका की ओर से लगाए गए टैरिफ के प्रभावों (US Tariff Impact) के बारे में बीटी इंडिया@100 समिट में एक्सपर्ट्स ने अपनी राय रखी और इसे लेकर भारत के रुख की तारीफ की. दिल्ली में शुक्रवार को आयोजित हुए इस कार्यक्रम में ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के फाउंडर अजय श्रीवास्तव समेत ईवाई इंडिया में ट्रेड स्ट्रेटजी चीफ अग्नेश्वर सेन, FIRO सीईओ डॉ. अजय सहाय और IKDHVJ एडवाइजर्स एलएलपी के अध्यक्ष डॉ. हर्षवर्धन सिंह शामिल हुए. ट्रंप के टैरिफ को लेकर इन एक्सपर्ट्स ने कहा कि ऐसे माहौल में देश नई संभावनाओं और बाजारों की ओर बढ़ रहे हैं.
टैरिफ झटका, लेकिन भारत का रुख अडिग
GTRI के फाउंडर अजय श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिका ने भारत पर पहले 25% और फिर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया है, लेकिन बातचीत जारी है और जल्द ही कुछ न कुछ निकलकर सामने आना चाहिए. उन्होंने Trump के टैरिफ अटैक के बीच भारत सरकार ने अपना रुख साफ रखा है, ये तारीफ के काबिल है और सरकार बधाई की पात्र है. जबकि लगभग हर कोई ट्रंप से डरा हुआ है. उन्होंने इस बात को स्वीकारा कि Trump Tariff उद्योग के लिए एक झटका हैं, लेकिन भारत बिल्कुल भी घबराया नहीं है.
नई विश्व व्यवस्था के संकेत
अमेरिकी टैरिफ और उसके बाद के प्रभावों पर बात करते हुए बिजनेस एक्सपर्ट्स ने आगे कहा कि US Market में हाई टैरिफ रेट्स के बाद पहुंच सीमित होने के कारण भारत समेत सहित दुनिया के तमाम देश विविधीकरण की ओर रुख करेंगे. उन्होंने इसे टैरिफ का एक सकारात्मक परिणाम करार दिया और कहा कि इससे उद्योग को विविधता लाने और नई संभावनाओं की तलाश करने की ओर बढ़ रहे हैं. जहां हर कोई डरा हुआ है, वहीं भारत और चीन जैसे देश विविधता लाने की कोशिश करेंगे', जो 'नई विश्व व्यवस्था' का संकेत है.
शॉर्ट टर्म में टैरिफ से नुकसान
इस मुद्दे पर बोलते हुए डॉ. हर्षवर्धन सिंह ने कहा कि Tariff War से विश्व व्यापार संगठन पहले जैसा नहीं रहेगा, बल्कि बहुपक्षीय हो जाएगा और एक नई विश्व व्यवस्था होगी. अमेरिका उन सभी लाभों को जारी रखना चाहेगा जो उसे लगता है कि आज उसके पास हैं, लेकिन दुनिया नई साझेदारियां बनाना शुरू कर देगी. पैनल में मौजूद डॉ. अजय सहाय ने टैरिफ के प्रभाव के बारे में बात करते हुए कहा कि ज्यादातर व्यवसायों के लिए 50% का नुकसान सहना संभव नहीं है. सप्लाई चेन को इतनी जल्दी बदलना भी आसान नहीं है, इसलिए हमें शॉर्ट टर्म में नुकसान उठाना पड़ेगा, लेकिन लॉन्ग टर्म के लिहाज से हम विविधीकरण करेंगे.
वहीं अग्नेश्वर सेन ने कहा कि सेन ने आगे कहा कि अब हर कोई विविधीकरण की ओर देखेगा और हो सकता है कि कुछ वो बाजार थोड़े महंगे हों, जिन्हें पहले नजरअंदाज कर दिया गया था, लेकिन अब उन देशों के साथ साझेदारियों पर भी विचार किया जाएगा. अजय सहाय ने टैरिफ के साइड इफेक्ट के बारे में बात करते हुए कहा कि कई ऑर्डर जो पहले से ही पाइपलाइन में हैं, उन्हें रद्द करना पड़ेगा, इसके साथ ही कई एसएमई को नुकसान होगा. लेकिन अच्छी बात ये है कि उद्योग को वैकल्पिक बाजार तलाशने पर जोर दे रहे हैं.