डीजल की कीमत में बढ़ोतरी के कारण बढ़े अतिरिक्त बोझ को कम करने के इरादे से रेलवे मालभाड़े में मामूली बढ़ोतरी करने पर विचार कर रहा है. सूत्रों ने बताया कि खाद्यान्न, नमक, चीनी, प्याज, आलू, वनस्पति जैसे आवश्यक वस्तुओं को छोड़कर सीमेंट, कोयला और इस्पात जैसे अन्य वस्तुओं के भाड़े में मामूली बढ़ोतरी पर विचार किया जा रहा है.
रेलवे ने पिछले साल मार्च में माल भाड़े में तकरीबन 20 फीसदी की बढ़ोतरी की थी. यह पूछे जाने पर कि क्या माल भाड़े में बढ़ोतरी से परिवहन बाजार में रेलवे की प्रतिस्पर्धा पर असर पड़ेगा, सूत्रों ने कहा कि सभी मुद्दों को ध्यान में रखा जायेगा और इस बात का पूरा प्रयास रहेगा कि हमारी दरें प्रतिस्पर्धात्मक रहें.
मालभाड़े में कांट छांट किये जाने के अलावा रेलवे द्वारा इस बजट में कई योजनाओं की घोषणा किये जाने की संभावना है ताकि सड़क मार्ग की अपेक्षा रेल से माल की ढुलाई को तरजीह मिले. पिछले साल माल भाड़े में बढ़ोतरी किये जाने के बावजूद रेलवे के माल राजस्व प्राप्ति के अपने लक्ष्य से दूर रहने की संभावना है. अप्रैल 2012 से इस साल जनवरी तक के दस महीने में रेलवे ने माल ढुलाई से करीब 70 हजार करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया है जबकि इस वित्तीय वर्ष के अब दो ही महीने और बचे हैं. रेलवे ने इस वित्तय वर्ष के लिए तकरीबन 89 हजार करोड़ रूपये का लक्ष्य तय किया था.