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भगवान महावीर पर PHD और मुख्तार की सुपारी... बीजेपी में एंट्री करने वाले सुनील पांडे कौन हैं?

बिहार के बाहुबली तीन बार के पूर्व विधायक सुनील पांडे ने अपने बेटे विशाल प्रशांत के साथ बीजेपी का दामन थाम लिया है. भगवान महावीर पर पीएचडी सुनील पांडे का नाम मुख्तार अंसारी की सुपारी देने को लेकर भी चर्चा में रहा था. सुनील पांडे कौन हैं?

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बीजेपी में शामिल हुए सुनील पांडे
बीजेपी में शामिल हुए सुनील पांडे

बिहार के बाहुबली और पूर्व विधायक सुनील पांडे अब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो चुके हैं. सुनील पांडे ने बेटे विशाल प्रशांत के साथ पटना में बिहार बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की और जय श्रीराम के नारे लगाए. सुनील पांडे बीजेपी में एंट्री के पहले लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) में थे. पार्टी जब चिराग पासवान और पशुपति पारस की अगुवाई वाले दो धड़ों में बंट गई तब सुनील पांडे , पशुपति पारस के साथ हो लिए थे. ठेकेदारी से सियासत में आए सुनील पांडे का अब तक का सफर कैसा रहा है?

5 मई 1966 को भूमिहार परिवार में जन्मे सुनील पांडे के पिता कमलेशी पांडे ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद सोन नदी से बालू खनन की ठेकेदारी में हाथ आजमाया. दबंग छवि के कमलेशी पांडे चाहते थे कि सुनील भी पढ़-लिखकर इंजीनियर बनें. पिता ने सुनील को इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए बेंगलुरु भी भेज दिया. बेंगलुरु में एक लड़के से लड़ाई हुई तो सुनील ने उसे चाकू मार दिया और पढ़ाई-लिखाई छोड़कर घर लौट आए. तब शहाबुद्दीन के करीबी माने जाने वाले बिहार के ही आरा निवासी सिल्लू मियां से सुनील की दोस्ती हो गई और कहा जाता है कि सुनील ने जरायम की दुनिया का ककहरा सिल्लू से ही सीखे.

गुजरते समय के सिल्लू और सुनील के संबंधों में दरार आ गई. दोनों की दुश्मनी बढ़ी और इसी बीच सिल्लू की हत्या हो गई जिसमें सुनील का ही नाम आया. हालांकि, सबूतों के अभाव में केस दर्ज नहीं हुआ और बालू खनन के ठेके पर सुनील का एकछत्र राज हो गया. भगवान महावीर पर पीएचडी कर चुके सुनील नाम के आगे डॉक्टर भी लगाते हैं. सुनील पर यूपी के बाहुबली विधायक रहे मुख्तार अंसारी की हत्या के लिए 50 लाख की सुपारी देने का भी आरोप लगा था. सुनील की रणवीर सेना के प्रमुख ब्रह्मेश्वर मुखिया से भी अदावत चली.

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सुनील पांडे को लेकर कहा जाता है कि एक वक्त वह रणवीर सेना के कमांडर भी बन गए थे लेकिन 1993 मं एक ईंट भट्टा मालिक की हत्या के बाद दोनों में दुश्मनी हो गई. जनवरी 1997 को बोजपुर के तरारी प्रखंड के बागर गांव में तीन लोगों की हत्या में ब्रह्मेश्वर गुट का नाम आया जो भूमिहार जाति से थे. मृतकों में सुनील की करीबी रिश्तेदार एक महिला भी थी. ब्रह्मेश्वर मुखिया की 1 जून 2012 को हत्या तक दोनों गुटों की अदावत जारी रही.

साल 2000 में किया था सियासी सफर का आगाज

तीन बार के पूर्व विधायक सुनील पांडे ने साल 2000 में समता पार्टी से सियासत में कदम रखा था. मार्च 2000 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में समता पार्टी ने सुनील को पीरो सीट से उम्मीदवार बनाया था. सुनील ने लालू यादव की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनता दल के काशीनाथ को हरा दिया और पहली बार विधानसभा पहुंचे. इस चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था. बीजेपी और समता पार्टी का गठबंधन था. तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के कहने पर नीतीश कुमार ने गठबंधन सरकार बनाई और तब सुनील पांडे ने राजन तिवारी, मुन्ना शुक्ला, रामा सिंह, अनंत सिंह, धूमल सिंह और सूरजभान जैसे निर्दलीय बाहुबलियों की फौज को नीतीश के खेमे में खड़ा कर दिया. इससे सुनील का कदम बढ़ गया और 2015 में जेडीयू के महागठबंधन में शामिल होने तक वह पार्टी में बने रहे. सुनील बाद में लोक जनशक्ति पार्टी में शामिल हो गए थे.

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लंबी है सुनील पर जुर्म के आरोप की फेहरिस्त

तीन बार के पूर्व विधायक सुनील पांडे का लंबा समय जेल में या फरारी में बीता है. उनके खिलाफ जुर्म के आरोप की फेहरिस्त भी लंबी है. 

- मई 2003 में पटना के एक नामी न्यूरो सर्जन रमेश चंद्रा का अपहरण कर 50 लाख की फिरौती मांगी गई. पुलिस ने नौबतपुर इलाके से डॉक्टर रमेश को बरामद कर लिया था. इस मामले में सुनील का नाम आया. साल 2008 में सुनील को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी. हालांकि, सुनील ने पटना हाईकोर्ट में फैसले को चुनौती दी और हाईकोर्ट ने उन्हें इस केस में बरी कर दिया था.

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- 28 जून 2006 को सुनील पांडे पटना के होटल मौर्या में रुके और चेकआउट कर गए लेकिन बिल का भुगतान नहीं किया. सुनील ने दावा किया कि होटल मालिक ने उनके दोस्त से 47 लाख रुपये लिए हैं. इस मामले में सवाल पर सुनील ने एक टीवी चैनल के पत्रकार को जान से मारने की धमकी दी जो कैमरे में रिकॉर्ड हो गई. नीतीश कुमार ने इसके बाद सुनील को पार्टी से निकाल दिया. हालांकि, नीतीश की पार्टी ने 2010 के चुनाव में भी सुनील को टिकट दिया.

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- 1 जून 2012 को रणवीर सेना के प्रमुख ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या के मामले में भी पुलिस ने सुनील के ड्राइवर को गिरफ्तार किया था. सुनील के भाई और तत्कालीन एमएलसी हुलास पांडे को भी पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ की थी. 

- 23 जनवरी 2015 को आरा के सिविल कोर्ट में हुए धमाके में दो लोगों की मौत हो गई थी और दो कैदी लंबू शर्मा और अखिलेश उपाध्याय फरार हो गए. इस धमाके में लंबू का नाम आया. दिल्ली पुलिस ने 2015 में लंबू को गिरफ्तार कर लिया था. लंबू ने पूछताछ में ये बताया था कि जेल से फरार होने में सुनील पांडे ने मदद की थी. सुनील को इस मामले में गिरफ्तार भी किया गया था. लंबू ने ही पूछताछ में पुलिस को ये भी बताया था कि सुनील ने मुख्तार अंसारी की हत्या के लिए 50 लाख रुपये की सुपारी दी थी.

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