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रोड पर दिखे गड्ढा तो मोबाइल से करें शिकायत... बिहार में AI और QR कोड से बदलेगी ग्रामीण सड़कों की सूरत

बिहार में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत बनी सड़कों के रख-रखाव के लिए राज्य सरकार ने क्यूआर कोड आधारित फीडबैक सिस्टम लागू करने का फैसला किया है. क्यूआर कोड स्कैन करने पर संबंधित सड़क की पूरी जानकारी मोबाइल स्क्रीन पर उपलब्ध हो जाएगी. जैसे सड़क का नाम, निर्माण एजेंसी, रख-रखाव की अवधि और जिम्मेदार अधिकारी.

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क्यूआर कोड स्कैन करने पर संबंधित सड़क की पूरी जानकारी मोबाइल स्क्रीन पर उपलब्ध हो जाएगी. (Photo- Representational)
क्यूआर कोड स्कैन करने पर संबंधित सड़क की पूरी जानकारी मोबाइल स्क्रीन पर उपलब्ध हो जाएगी. (Photo- Representational)

बिहार में अब ग्रामीण सड़कों की हालत सुधारने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार या इंजीनियरों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इसमें आम जनता की सीधी भागीदारी होगी. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत बनी सड़कों के रख-रखाव के लिए राज्य सरकार ने क्यूआर कोड आधारित फीडबैक सिस्टम लागू करने का फैसला किया है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) तकनीक की भी मदद ली जाएगी.

इस नई व्यवस्था के तहत जैसे ही किसी ग्रामीण सड़क पर गड्ढा, टूट-फूट या अन्य कोई समस्या दिखेगी, लोग मोबाइल से फोटो खींचकर सीधे शिकायत दर्ज कर सकेंगे. शिकायत स्कैन करते ही विभागीय सिस्टम में दर्ज हो जाएगी और उस पर कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू होगी.

ग्रामीण कार्य विभाग के अभियंता प्रमुख सह विशेष सचिव ई. निर्मल कुमार ने सभी कार्य प्रमंडलों के कार्यपालक अभियंताओं को निर्देश दिया है कि ई-मार्ग (eMARG) पोर्टल से जनरेट किए गए क्यूआर कोड को सड़क किनारे लगे रख-रखाव सूचना बोर्ड पर अनिवार्य रूप से प्रदर्शित किया जाए. यह क्यूआर कोड हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में निर्देशों के साथ लगाए जाएंगे, ताकि आम लोग आसानी से इसका इस्तेमाल कर सकें.

क्यूआर कोड स्कैन करते ही मिलेगी सड़क की जानकारी

क्यूआर कोड स्कैन करने पर संबंधित सड़क की पूरी जानकारी मोबाइल स्क्रीन पर उपलब्ध हो जाएगी. जैसे सड़क का नाम, निर्माण एजेंसी, रख-रखाव की अवधि और जिम्मेदार अधिकारी. अगर सड़क पर कोई समस्या है, तो नागरिक उसी प्लेटफॉर्म पर फोटो अपलोड कर फीडबैक दे सकेंगे. यह फीडबैक सीधे विभागीय रिकॉर्ड का हिस्सा बन जाएगा.

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ई-मार्ग पोर्टल के माध्यम से पीएमजीएसवाई के तहत बनी हर सड़क के लिए अलग क्यूआर कोड तैयार किया गया है. नागरिकों द्वारा भेजे गए फोटो और शिकायतों को नियमित निरीक्षण (RI) प्रक्रिया से भी जोड़ा जाएगा, जिससे मौके की सच्चाई और विभागीय रिपोर्ट में अंतर न रहे.

AI और ML से होगा तस्वीरों का विश्लेषण

इस पहल की सबसे अहम खासियत यह है कि सड़क की स्थिति से जुड़ी तस्वीरों का विश्लेषण AI और मशीन लर्निंग तकनीक से किया जाएगा. इससे यह आकलन किया जा सकेगा कि समस्या कितनी गंभीर है और उसका समाधान कितनी जल्दी जरूरी है. साथ ही यह डेटा इंजीनियरिंग स्टाफ के प्रदर्शन मूल्यांकन में भी उपयोगी होगा.

अधिकारी इन रिपोर्ट्स के आधार पर रख-रखाव से जुड़े निर्णय लेंगे, जिससे समस्याओं का समयबद्ध और सटीक समाधान संभव हो सकेगा. इससे लंबे समय से ग्रामीण इलाकों में सड़कों के खराब रख-रखाव की शिकायतों पर भी अंकुश लगेगा.

पूरी तरह कार्यात्मक हो चुकी है व्यवस्था

अभियंता प्रमुख ने बताया कि 17 नवंबर को NRIDA (राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना विकास एजेंसी) के साथ हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में यह जानकारी दी गई थी कि क्यूआर कोड आधारित यह प्रणाली अब पूरी तरह कार्यात्मक हो चुकी है. इसके बाद निर्देश दिए गए हैं कि पीएमजीएसवाई के तहत पंचवर्षीय अनुरक्षण अवधि में आने वाली सभी सड़कों पर क्यूआर कोड तुरंत फ्लेक्स पर प्रिंट कर सूचना बोर्ड पर लगाए जाएं.

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जनभागीदारी से बदलेगा ग्रामीण सड़क तंत्र

इस पहल से ग्रामीण सड़क रख-रखाव व्यवस्था में पारदर्शिता, जवाबदेही और जनभागीदारी को नई मजबूती मिलेगी. सरकार को उम्मीद है कि तकनीक और जनता की साझेदारी से ग्रामीण सड़कों का रख-रखाव बेहतर होगा और पीएमजीएसवाई के तहत बनी सड़कों की गुणवत्ता लंबे समय तक बनी रहेगी.

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