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TATA का बड़ा कदम! खरीद लिया FIAT से इस ख़ास इंजन के डेवलपेंट का लाइसेंस, जानें क्या होगा फायदा

Tata Fiat Engine License: टाटा मोटर्स ने फिएट के 2.0-लीटर मल्टीजेट डीजल इंजन को डेवलप और अपग्रेड करने का लाइसेंस प्राप्त कर लिया है. कंपनी इस इंजन का इस्तेमाल अपनी मशहूर एसयूवी कारों Safari और Harrier जैसे मॉडलों में करती है.

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Tata Fiat Engine License Agreement
Tata Fiat Engine License Agreement

Tata Fiat Engine Agreement: देश की प्रमुख वाहन निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स ने आज एक बड़ी सफलता हासिल की है. कंपनी ने फिएट के 2.0-लीटर मल्टीजेट डीजल इंजन को डेवलप और अपग्रेड करने का लाइसेंस प्राप्त कर लिया है. ऑटो इंडस्ट्री में टाटा के इस फैसले को कंपनी का एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. क्योंकि टाटा मोटर्स लंबे वक्त से इस मल्टीजेट इंजन का इस्तेमाल अपने हैरियर और सफारी एसयूवी जैसे वाहनों में करता रहा है. 

ऑटोकार की रिपोर्ट के अनुसार टाटा मोटर्स ने अब इस इंजन का लाइसेंस खरीद लिया है. यह इंजन फिएट इंडिया ऑटोमोबाइल प्राइवेट लिमिटेड (FIAPL) द्वारा स्टेलेंटिस से लाइसेंस के तहत निर्मित किया जाता है. इसका निर्माण रंजनगांव में स्थित टाटा मोटर्स और स्टेलेंटिस के ज्वाइंट वेंचर प्लांट में किया जाता है. अब इस इंजन को आगे डेवलप करने के अधिकार टाटा मोटर्स को दिए गए हैं, जिससे कंपनी स्वतंत्र रूप से इस इंजन को अपने उपयोग के अनुसार डिज़ाइन और डेवलप कर सकती है.

टाटा मोटर्स के प्रवक्ता ने कहा, "टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स (TMPV) और स्टेलेंटिस ने वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में लाइसेंस टेक्नोलॉजी एग्रीमेंट किया है. यह एग्रीमेंट अपनी आवश्यकताओं के लिए FAM B 2.0-लीटर डीजल इंजन में कुछ डेवलपमेंट और तकनीकी बदलाव करने के अधिकार देता है."

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Tata Plant

इससे टाटा मोटर्स को क्या लाभ होगा?

टाटा मोटर्स के लिए ये डील बहुत ही मौके पर हुई है. क्योंकि टाटा मोटर्स इस 2.0-लीटर मल्टीजेट डीजल इंजन के उपयोग को और भी आगे बढ़ाने की योजना बना रही है. बताया गया है कि इस वित्तीय वर्ष में लॉन्च होने वाली आगामी सिएरा भी इस डीजल इंजन के साथ बाजार में उतारी जाएगी. टाटा को इस डीजल इंजन का लाइसेंस मिलने के साथ, कार निर्माता के पास अब भविष्य के उत्सर्जन मानदंडों के अनुसार इंजन को मॉडिफाई करने और अपग्रेड करने की पूरी स्वतंत्रता है.

सख्त इमिशन नॉर्म्स के बावजूद डीजल वाहनों की मांग लगातार बढ़ रही है. पहले, इस पावरट्रेन पर किसी भी अपग्रेड या री-कैलिब्रेशन के लिए स्टेलेंटिस से मंजूरी लेनी पड़ती थी, जिसकी कीमत बहुत ज़्यादा होती थी. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ECU मैपिंग में मामूली से बदलाव के लिए भी टाटा को 10 मिलियन यूरो (लगभग 96.92 करोड़ रुपये) तक का खर्च उठाना पड़ता था. 

इन गाड़ियों में भी इस्तेमाल होता है ये इंजन:

बता दें कि, फिएट इस इंजन का उपयोग जीप कम्पास और मेरिडियन के लिए करता है तथा एमजी मोटर इंडिया को हेक्टर और हेक्टर प्लस के लिए इसकी सप्लाई करता है. फिलहाल अभी इस बात की जानकारी नहीं मिली है कि एमजी मोटर इंडिया को टाटा मोटर्स द्वारा डेवलप किए गए अपग्रेडेड इंजन की सप्लाई मिलेगी या नहीं. ये भी ख़बर है कि, अगले साल तक एमजी मोटर डीजल इंजन वेरिएंट को बंद कर दे.

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