ज्योतिषाचार्य अंशु पारीक ने ज्योतिष की प्रारंभिक शिक्षा अपने दादाजी, स्वर्गीय ज्योतिषाचार्य रघुनाथ प्रसाद पारीक से प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखा और करीब डेढ़ दशक तक कई प्रतिष्ठित संस्थानों से जुड़ी रहीं. इस दौरान ज्योतिष से संबंधित उनके अनेक लेख प्रकाशित हुए, जिनमें ग्रहों की चाल, गोचर का प्रभाव, ग्रहों के स्वभाव, तीज-त्योहारों का महत्व और पूजन विधियों पर विशेष लेख शामिल हैं. बाद में ज्योतिषाचार्य उषा पारीक के मार्गदर्शन में उन्होंने अपनी ज्योतिषीय दक्षता को और निखारा. वर्ष 2015 से वे पूर्णकालिक रूप से ज्योतिष के क्षेत्र में सक्रिय हैं और पाराशरी, कृष्णमूर्ति पद्धति तथा प्रश्न कुंडली पर विशेष रूप से कार्य कर चुकी हैं. उन्हें वैदिक ज्योतिष में गहन विशेषज्ञता प्राप्त है.