श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में बड़ा उलटफेर, सबको पीछे छोड़ आगे निकले वामपंथी दिसानायके

श्रीलंका राष्ट्रपति चुनाव की पहले राउंड की मतगणना में किसी भी कैंडिडेट को 50 फीसदी से अधिक वोट नहीं मिले हैं, इसलिए अब क्रमश: पहले और दूसरे स्थान पर रहे अनुरा कुमारा दिसानायके और साजिथ प्रेमदासा में से कौन राष्ट्रपति बनेगा, इसके लिए दूसरे राउंड की मतगणना हो रही है.

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श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में अनुरा कुमारा दिसानायके (बाएं) ने रानिल विक्रमसिंघे को हराया. (PTI Photo) श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में अनुरा कुमारा दिसानायके (बाएं) ने रानिल विक्रमसिंघे को हराया. (PTI Photo)

गीता मोहन

  • कोलंबो ,
  • 22 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 2:45 PM IST

श्रीलंका के आम चुनावों में निवर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को बड़े उलटफेर का सामना करना पड़ा है. वह मतदाताओं की पहली पसंद बनने में नाकाम रहे हैं और तीसरे नंबर पर चल रहे हैं. वामपंथी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को मतदाताओं के बड़े वर्ग ने राष्ट्रपति पद के लिए अपनी पहली पसंद के रूप में चुना है, हालांकि वह भी 50 फीसदी से अधिक वोट हासिल नहीं कर सके. साजिथ प्रेमदासा मतदाताओं की दूसरी पसंद बनकर उभरे हैं. 

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चूंकि किसी भी कैंडिडेट को 50 फीसदी से अधिक वोट नहीं मिले हैं, इसलिए अब क्रमश: पहले और दूसरे स्थान पर रहे अनुरा कुमारा दिसानायके और साजिथ प्रेमदासा में से कौन राष्ट्रपति बनेगा, इसके लिए दूसरे राउंड की मतगणना हो रही है. मतगणना के शुरुआती चरण में दिसानायके 53 फीसदी वोट प्राप्त करके राष्ट्रपति पद की दौड़ में सबसे आगे नजर आ रहे थे. हालांकि, पहले दौर की मतगणना पूरी होने के बाद वह 50 फीसदी का आंकड़ा नहीं छू सके. श्रीलंका के चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक अब तक गिने गए 60 लाख वोटों में से 49% वोट के साथ वामपंथी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके राष्ट्रपति चुनाव में मतदाताओं की पहली पसंद बने हैं.

विपक्षी दल के नेता साजिथ प्रेमदासा 29.88% वोटों के साथ दूसरे स्थान पर हैं. निवर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे 16 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर चल रहे हैं. बता दें कि 2022 के आर्थिक संकट के बाद श्रीलंका में यह पहला चुनाव है. बता दें कि श्रीलंका में देश के 10वें राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए 21 सितंबर को मतदान हुआ था और वोटों की गिनती कल शाम 5 बजे के बाद शुरू हुई. श्रीलंका के 1 करोड़ 70 लाख मतदाताओं में से करीब 75 फीसदी ने राष्ट्रपति चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग किया. नवंबर 2019 में हुए पिछले राष्ट्रपति चुनाव में हुए 83 प्रतिशत मतदान रिकॉर्ड किया गया था. इस लिहाज से इस बार कम वोट पड़े.

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एनपीपी-जेवीपी गठबंधन के उम्मीदवार थे दिसानायके 

दिसानायके ने नेशनल पीपुल्स पावर (NPP) गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, जिसमें उनकी मार्क्सवादी-झुकाव वाली जनता विमुक्ति पेरेमुना (JVP) पार्टी भी शामिल है. बता दें कि 2022 के आर्थिक संकट के बाद श्रीलंका में गोटबाया सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर जन विद्रोह हुआ था. प्रदर्शनकारी कोलंबो में राष्ट्रपति भवन में घुस गए थे, जिसके बाद गोटबाया राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ा था. इस मुश्किल घड़ी में रानिल विक्रमसिंघे ने देश की बागडोर संभाली थी. मतगणना के शुरुआती चरण में दिसानायके 53 फीसदी वोट प्राप्त करके राष्ट्रपति पद की दौड़ में सबसे आगे नजर आ रहे थे. हालांकि, पहले दौर की मतगणना पूरी होने के बाद वह 50 फीसदी का आंकड़ा नहीं छू सके.

रानिल विक्रमसिंघे के विदेश मंत्री साबरी ने स्वीकारी हार

पहले चरण की मतगणना जब अपने शुरुआती दौर में थी, तब रानिल विक्रमसिंघे के विदेश मंत्री अली साबरी ने X पर एक पोस्ट में दिसानायके को उनकी जीत के लिए बधाई दी. उन्होंने लिखा, 'लंबे और थका देने वाले अभियान के बाद, राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे अब स्पष्ट हैं. मैंने राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के लिए जोरदार प्रचार किया, लेकिन श्रीलंका के लोगों ने अपना निर्णय बता दिया है और मैं अनुरा कुमारा दिसानायके के लिए उनके जनादेश का पूरा सम्मान करता हूं. एक लोकतंत्र में जनता के निर्णय का सम्मान करना महत्वपूर्ण है और मैं बिना किसी हिचकिचाहट के इसे स्वीकार कर रहा हूं. दिसानायके और उनकी टीम को जीत की हार्दिक बधाई.'

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दिसानायके की एनपीपी को पिछले चुनाव में केवल 3 प्रतिशत वोट मिले थे. श्रीलंका का आर्थिक संकट दिसानायके के लिए एक अवसर साबित हुआ है. उन्होंने यह चुनाव देश की भ्रष्ट राजनीतिक संस्कृति को बदलने के वादे के साथ लड़ा और उन पर जनता ने अपना विश्वास प्रकट किया है. श्रीलंका में मतदाता तीन उम्मीदवारों को वरीयता क्रम में रखकर एक विजेता का चुनाव करते हैं. यदि किसी उम्मीदवार को पूर्ण बहुमत प्राप्त होता है, तो उसे विजेता घोषित किया जाता है. यदि बहुमत नहीं मिलता, तो दूसरे दौर की गिनती शुरू होती है, जिसमें दूसरी और तीसरी पसंद के वोटों को ध्यान में रखा जाता है.

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