दुनिया का फ्रिज कहलाने वाला आर्कटिक क्षेत्र जलवायु संकट की वजह से तेजी से गर्म हो रहा है. अमेरिकी एजेंसी NOAA की 20वीं सालाना आर्कटिक रिपोर्ट कार्ड 2025 ने चिंताजनक बातें सामने आई हैं. अक्टूबर 2024 से सितंबर 2025 तक आर्कटिक में 125 साल के रिकॉर्ड में सबसे ज्यादा गर्मी दर्ज की गई.
पिछले 10 साल आर्कटिक के सबसे गर्म साल रहे. आर्कटिक वैश्विक औसत से 4 गुना तेज गर्म हो रहा है, जिससे समुद्री बर्फ पिघल रही है. बारिश बढ़ रही है और इकोसिस्टम बदल रहा है. वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी कि आर्कटिक में सर्दी का पूरा मतलब बदल रहा है.
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2025 में आर्कटिक समुद्री बर्फ की न्यूनतम और अधिकतम सीमा के ग्राफ
ये बदलाव स्थानीय लोगों और वन्यजीवों पर असर डाल रहे – बारिश से बर्फ पर क्रस्ट बनता है, जानवरों को भोजन ढूंढना मुश्किल होगा. बाढ़ और लैंडस्लाइड का खतरा बढ़ा. आर्कटिक की गर्मी पूरी दुनिया को प्रभावित करती है – ज्यादा गर्मी सोखना और कार्बन रिलीज.
एक नई स्टडी (Nature Climate Change, दिसंबर 2025) ने ग्लेशियरों की 'पीक एक्सटिंक्शन' का अनुमान लगाया – सबसे ज्यादा ग्लेशियर गायब होने का पीक साल.
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कई जगहों पर ग्लेशियरों का 'अंतिम संस्कार' हो रहा. वैज्ञानिक लैंडर वैन ट्रिच्ट ने कहा कि हर ग्लेशियर एक जगह, कहानी और लोगों से जुड़ा है. हम इन्हें बचाने की कोशिश कर सकते हैं. आर्कटिक की रिकॉर्ड गर्मी और ग्लेशियरों का तेज पिघलना जलवायु संकट की गंभीर याद दिलाता है. फॉसिल फ्यूल उत्सर्जन कम करना जरूरी, वरना प्रभाव और बढ़ेंगे.
ऋचीक मिश्रा