अंतरिक्ष में भारतीय सेना की नई ताकत, ISRO ने बाहुबली रॉकेट से लॉन्च किया नौसेना का सैटेलाइट... अब दुश्मनों की खैर नहीं

ISRO ने भारतीय नौसेना के लिए CMS-03 सैटेलाइट सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है. अब नौसेना बेहतर संचार कर सकेगी. दुश्मन के इलाकों पर नजर रख सकेगी. यह भारत का अब तक सबसे भारी सैटेलाइट है. इसे इसरो ने अपने बाहुबली रॉकेट LVM3-M5 से लॉन्च किया है. देसी तकनीक से बना यह नौसेना के जहाजों, विमानों व पनडुब्बियों को जोड़ेगा.

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ISRO ने सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से भारतीय नौसेना का सैटेलाइट लॉन्च किया. (Photo: ISRO) ISRO ने सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से भारतीय नौसेना का सैटेलाइट लॉन्च किया. (Photo: ISRO)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 02 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:08 PM IST

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने भारतीय नौसेना के लिए CMS-03 (GSAT-7R) कम्युनिकेशन सैटेलाइट सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है. ये सैटेलाइट नौसेना का अब तक का सबसे एडवांस्ड (उन्नत) सैटेलाइट है. इससे नौसेना की स्पेस-बेस्ड कम्युनिकेशन (अंतरिक्ष से संचार) और समुद्री इलाके की निगरानी (मैरिटाइम डोमेन अवेयरनेस) की क्षमता मजबूत हो जाएगी.

CMS-03 (GSAT-7R) क्या है ये सैटेलाइट?

GSAT-7R एक कम्युनिकेशन सैटेलाइट है, यानी ये संचार का माध्यम बनेगा. ये पूरी तरह से भारत में ही डिजाइन और बनाया गया है. ये सैटेलाइट नौसेना के जहाजों, हवाई जहाजों, पनडुब्बियों और समुद्री ऑपरेशंस सेंटर्स के बीच तेज और सुरक्षित संचार करेगा. 

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सबसे खास बात ये है कि ये भारत का अब तक का सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट है. इसका वजन लगभग 4400 किलोग्राम है. इसमें कई देसी तकनीक वाले पार्ट्स लगे हैं, जो खास तौर पर नौसेना की जरूरतों के लिए बनाए गए हैं. ये आत्मनिर्भर भारत का एक बड़ा उदाहरण है, जहां हम अपनी ही तकनीक से मजबूत हो रहे हैं.

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लॉन्च कैसे हुआ?

ये सैटेलाइट 2 नवंबर 2025 को सतीश धवन स्पेस सेंटर (SDSC- SHAR) श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) के दूसरे लॉन्च पैड से शाम 5:26 मिनट पर लॉन्च होगा. ISRO का ये सेंटर रॉकेट लॉन्च करने के लिए मशहूर है. ISRO के वैज्ञानिकों ने इसे महीनों की मेहनत से तैयार किया है.  

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सैटेलाइट की तकनीकी खासियतें

GSAT-7R को बनाने में भारतीय इंजीनियरों ने कमाल किया है. आइए, इसके मुख्य फीचर्स को समझें... 

  • वजन और साइज: 4400 किलोग्राम वजन वाला ये सैटेलाइट भारत का सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट है. इससे पहले के सैटेलाइट इससे हल्के थे.
  • ट्रांसपोंडर्स: इस सैटेलाइट के अंदर के संचार उपकरण हैं. ये आवाज (वॉइस), डेटा और वीडियो लिंक को कई तरह के बैंड्स (फ्रीक्वेंसी रेंज) पर सपोर्ट करेंगे. मतलब, नौसेना के लोग जहाज पर हो या हवा में, आसानी से बातचीत कर सकेंगे.
  • कवरेज एरिया: ये भारतीय महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region) में मजबूत टेलीकम्युनिकेशन कवरेज देगा. यानी, हिंद महासागर के बड़े हिस्से में सिग्नल मजबूत रहेगा.
  • हाई-कैपेसिटी बैंडविड्थ: ये सैटेलाइट ज्यादा डेटा ट्रांसफर करेगा. इससे जहाजों, विमानों, पनडुब्बियों और कंट्रोल सेंटर्स के बीच सुरक्षित और बिना रुकावट वाला कनेक्शन बनेगा.

इन सबके कारण नौसेना को समुद्र में अपनी मौजूदगी और मजबूत होगी. अगर कोई खतरा आए, तो तुरंत जानकारी मिल जाएगी.

भारतीय नौसेना के लिए क्यों महत्वपूर्ण?

आज के समय में समुद्री सुरक्षा की चुनौतियां बहुत बढ़ गई हैं. चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की वजह से हिंद महासागर में तनाव रहता है. GSAT-7R नौसेना को अंतरिक्ष से नजर रखने और तुरंत कार्रवाई करने की ताकत देगा. नौसेना के चीफ ने कहा है कि ये सैटेलाइट राष्ट्र की समुद्री हितों की रक्षा के लिए एक बड़ा कदम है.

  • संचार मजबूत: पहले सैटेलाइट्स से कम्युनिकेशन सीमित था. अब ये ज्यादा तेज और सुरक्षित होगा.
  • निगरानी बढ़ेगी: समुद्री इलाके में दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखना आसान हो जाएगा.
  • आत्मनिर्भरता: ये सैटेलाइट 100% भारतीय तकनीक से बना है. इससे हम विदेशी सैटेलाइट्स पर निर्भर नहीं रहेंगे.
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