दिल्ली-NCR के पॉल्यूशन का 'कोल्ड काल' क्यों हो सकता है खतरनाक, CSE रिपोर्ट में डराने वाली चेतावनियां

CSE की नई रिपोर्ट कहती है कि इस साल प्रदूषण फैलाने में पराली का योगदान सिर्फ 5-22% रहा, फिर भी दिल्ली-NCR का AQI बहुत खराब-गंभीर है. PM2.5 के साथ NO₂ और CO का जहरीला मिश्रण बढ़ा. मुख्य वजह गाड़ियां और स्थानीय स्रोत. प्रदूषण के हॉटस्पॉट बढ़े. छोटे शहरों में स्मॉग ज्यादा हो रहा है. लंबे ट्रेंड में कोई सुधार नहीं. अब गाड़ी, इंडस्ट्री, कचरे पर बड़े कदम जरूरी.

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ये तस्वीर सुबह सूरज उगते समय यमुना नदी का है, जिसमें जहरीली झाग और धुंध साफ देखी जा सकती है. (Photo: PTI) ये तस्वीर सुबह सूरज उगते समय यमुना नदी का है, जिसमें जहरीली झाग और धुंध साफ देखी जा सकती है. (Photo: PTI)

आजतक साइंस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 01 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 3:27 PM IST

सर्दियों की शुरुआत होते ही दिल्ली-NCR की हवा फिर से जहरीली हो गई है. हर साल पराली जलाने का बहाना बनता था, लेकिन इस बार पराली की घटनाएं 71% कम हुईं, फिर भी AQI बहुत खराब से गंभीर के बीच घूम रहा. 

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (CSE) की नई रिपोर्ट कहती है – असली वजह स्थानीय स्रोत हैं. गाड़ियां, फैक्ट्रियां, कचरा जलाना और धूल. वैज्ञानिक कारण? ठंडी हवा में प्रदूषक फंस जाते हैं, जो सांस की बीमारियां बढ़ाते हैं. आइए, रिपोर्ट को समझतें हैं. 

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पराली का बहाना अब नहीं चलेगा

इस साल पंजाब-हरियाणा में बाढ़ से पराली जलाने की संख्या घटी. CPCB के डेटा से – 12-13 नवंबर को सिर्फ 22% योगदान, बाकी दिन 5% से कम. फिर भी नवंबर में PM2.5 औसत 174 माइक्रोग्राम/घन मीटर रहा, जो WHO स्टैंडर्ड (5 µg/m³) से 35 गुना ज्यादा है.

वैज्ञानिक कारण: PM2.5 बारीक कण हैं जो फेफड़ों में घुसकर सूजन पैदा करते हैं. रिपोर्ट कहती है – स्थानीय स्रोत 80% जिम्मेदार. पीक 18 नवंबर को 602 µg/m³ – 4 साल का रिकॉर्ड टूटा है. 

जहरीला मिश्रण: PM2.5 के साथ NO₂ और CO का हमला

सुबह 7-10 बजे और शाम 6-9 बजे ट्रैफिक बढ़ता है, तो PM2.5, NO₂ (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड) और CO (कार्बन मोनोऑक्साइड) एक साथ ऊपर चढ़ जाते हैं. NO₂ तेजी से बढ़ता है क्योंकि गाड़ियों के एग्जॉस्ट से निकलता है, जो सांस की नली को जलाता है. CO खून में ऑक्सीजन रोकता है, जिससे सिरदर्द और बेहोशी होती है.

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सर्दियों में उथली वायु सीमा (boundary layer) प्रदूषकों को फंसा लेती है – ये इनवर्शन लेयर कहलाती है, जो ठंडी हवा के नीचे गर्म हवा फंसाकर धुआँ फैलाती है. 22 स्टेशनों पर CO 30+ दिन ऊपर रहा, द्वारका सेक्टर-8 सबसे खराब (55 दिन).

वैज्ञानिक तथ्य: ये टॉक्सिक कॉकटेल कैंसर और हार्ट अटैक का खतरा 20-30% बढ़ाता है. CSE कहती है – गाड़ियों पर कंट्रोल कमजोर है. 

प्रदूषण के नए हॉटस्पॉट उभर रहे

2018 में 13 हॉटस्पॉट थे, अब ज्यादा. जहांगीरपुरी का PM2.5 औसत 119 µg/m³, बावना-वजीरपुर 113 µg/m³. नए हॉटस्पॉट हैं -  विवेक विहार (101), नेहरू नगर, अलीपुर, सिरीफोर्ट (90+ µg/m³). NCR के छोटे शहर जैसे बहादुरगढ़ में 10 दिन का स्मॉग – 9-18 नवंबर.

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वैज्ञानिक कारण: शहरीकरण से धूल और उत्सर्जन बढ़ा. PM10 (मोटे कण) 25 दिन प्रमुख प्रदूषक रहा. ये कण त्वचा और आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं. NCR अब एक एयरशेड है – प्रदूषण पूरे इलाके में फैलता है. गाजियाबाद, दिल्ली, फरीदाबाद सबसे गंदे; मानेसर-बागपत ने नोएडा-गुरुग्राम को पछाड़ा.  

लंबे समय का ट्रेंड: सुधार रुका, PM2.5 बढ़ा

2018-2020 में PM2.5 घटा था (लॉकडाउन से), लेकिन 2022 से स्थिर. 2024 का वार्षिक औसत 104.7 µg/m³ – 2023 से 3.4% ज्यादा. सर्दी में 1% बढ़ा.

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वैज्ञानिक कारण: उत्सर्जन स्रोतों में कमी नहीं – वाहन 50% योगदान देते. ओजोन 13 दिन रहा, जो सूरज की रोशनी से NO₂ और VOC (वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड्स) से बनता है. ये फेफड़ों को कमजोर करता है. छोटे कदम जैसे धूल कंट्रोल काफी नहीं; संरचनात्मक बदलाव चाहिए. 

CSE के सुझाव: अब गंभीर कदम उठाओ

रिपोर्ट कहती है – छोटे-छोटे कदम काम नहीं आएंगे. उत्सर्जन कम करने से AQI 50% गिर सकता है. मुख्य सुझाव हैं... 

  • गाड़ियों को इलेक्ट्रिक बनाओ, पुरानी स्क्रैप करो.
  • पब्लिक ट्रांसपोर्ट बढ़ाओ, साइकिल-वॉकिंग पाथ बनाओ.
  • पार्किंग लिमिट, कंजेशन टैक्स लगाओ.
  • फैक्ट्रियों में क्लीन फ्यूल, पावर प्लांट्स पर सख्त स्टैंडर्ड.
  • कचरा अलग करो, रिसाइकल करो, जलाना बंद.
  • कंस्ट्रक्शन वेस्ट रिसाइकल, धूल कंट्रोल मॉनिटरिंग.
  • घरों में क्लीन कुकिंग गैस, पराली को बायो-मेथेनेशन से एथनॉल बनाओ.

CSE की अनुमिता रॉयचौधरी कहती हैं किपराली के बिना भी हवा खराब – स्थानीय स्रोतों पर फोकस करना होगा. NCR में स्मॉग फैल रहा, छोटे शहर भी प्रभावित हो रहे हैं. दिल्ली-NCR 2025 में 17 गंभीर दिन देख चुका – 2 स्मॉग घटनाएं. वैज्ञानिक चेतावनी है कि लंबे प्रदूषण से बच्चों में अस्थमा, बड़ों में स्ट्रोक बढ़ेगा. सरकार को चाहिए – GRAP से आगे सोचो. 

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