Navratri kanya pujan 2022: नवरात्रि की अष्टमी के दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी का पूजन किया जाता है. मां दुर्गा का महागौरी स्वरूप भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरा करता है. इसलिए, अष्टमी के दिन मां दुर्गा का विशेष पूजन किया जाता है. इस दिन कन्या पूजन करने की भी परंपरा है. ऐसी मान्यता है कि कन्या पूजन करने से मां दुर्गा का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है. कन्या पूजन में 2 से 11 वर्ष तक की कन्याओं की पूजा करनी चाहिए. कन्या पूजन के लिए कम से कम नौ कन्याएं होनी चाहिए. आप इससे ज्यादा कन्याओं की भी पूजा कर सकते हैं.
कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त (Kanya Pujan Shubh Muhurt)
हिंदू पंचांग के अनुसार, महाष्टमी की पूजा 03 ,अक्टूबर सोमवार को की जाएगी. महाष्टमी का अमृत मुहूर्त सुबह 06 बजकर 15 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 44 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा, सुबह 09 बजकर 12 मिनट से सुबह 10 बजकर 41 मिनट तक भी कन्या पूजन किया जा सकता है. आप अभिजीत मुहूर्त में भी कन्या पूजन कर सकते हैं, जो सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा.
कन्या पूजन की विधि (Kanya Pujan Vidhi 2022)
अष्टमी कन्या भोज या पूजन के लिए कन्याओं को एक दिन पहले आमंत्रित किया जाता है. गृह प्रवेश पर कन्याओं का पुष्प वर्षा से स्वागत करें. नव दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारे लगाएं. इन कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह बिठाकर सभी के पैरों को दूध से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से धोएं. इसके बाद पैर छूकर आशीष लें. माथे पर अक्षत, फूल और कुमकुम लगाएं. फिर मां भगवती का ध्यान करके देवी रूपी कन्याओं को इच्छानुसार भोजन कराएं. भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य के अनुसार उपहार दें और उनके पैर छूकर आशीष लें. आप नौ कन्याओं के बीच किसी बालक को कालभैरव के रूप में भी बिठा सकते हैं.
कन्या पूजन के नियम (Kanya Pujan Vidhi 2022 rules)
नवरात्रि में सभी तिथियों को एक-एक और अष्टमी या नवमी को नौ कन्याओं की पूजा होती है. दो वर्ष की कन्या (कुमारी) के पूजन से दुख और दरिद्रता मां दूर करती हैं. तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति रूप में मानी जाती है. त्रिमूर्ति कन्या के पूजन से धन-धान्य आता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है. चार वर्ष की कन्या को कल्याणी माना जाता है. इसकी पूजा से परिवार का कल्याण होता है. जबकि पांच वर्ष की कन्या रोहिणी कहलाती है. रोहिणी को पूजने से व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है.
छह वर्ष की कन्या को कालिका रूप कहा गया है. कालिका रूप से विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्ति होती है. सात वर्ष की कन्या का रूप चंडिका का है. चंडिका रूप का पूजन करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. आठ वर्ष की कन्या शाम्भवी कहलाती है. इनका पूजन करने से वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है. नौ वर्ष की कन्या दुर्गा कहलाती है. इसका पूजन करने से शत्रुओं का नाश होता है तथा असाध्य कार्यपूर्ण होते हैं. दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती है. सुभद्रा अपने भक्तों के सारे मनोरथ पूर्ण करती है.
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