कोरोना वायरस की पहली वैक्सीन बनाने के दावे को लेकर कुछ दिन पहले ही रूस का नाम सुर्खियों में आया था. चीन, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों की आगे चल रही वैक्सीन के बीच रूस का अचानक नाम आने से लोग काफी हैरान भी थे. लेकिन रूस के हेल्थ मिनिस्टर के हालिया बयान से लग रहा है कि कोविड-19 की वैक्सीन जल्द ही सामने आ सकती है.
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Sputnik News की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के हेल्थ मिनिस्टर ने कहा कि तीसरे और
अंतिम चरण के क्लिनिकल ट्रायल को मंजूरी देने से पहले ही कोरोना वायरस की वैक्सीन आम जनता के लिए
उपलब्ध होगी. इस वैक्सीन का एडिशनल क्लिनिकल रिसर्च भी एक ही समय पर होगा.
सेंट्रल रशिया के येकातेरिन्बर्ग की यात्रा के दौरान मिखाइल मुराश्को ने
इसकी जानकारी दी.
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ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रशियन
डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (RDIF) के चीफ एग्जीक्यूटिव किरिल दिमित्रीव ने
कहा, 'रूस में शोधकर्ता इम्यूनिटी को लेकर दो अलग-अलग प्रकार की वैक्सीन
को टेस्ट कर रहे हैं.' अगस्त में शुरू होने वाले वैक्सीन के तीसरे चरण में
हजारों वॉलंटियर्स को शामिल किया जाएगा.
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3 अगस्त से शुरू होने वाला
वैक्सीन ट्रायल रूस के अलावा सऊदी अरब और यूएई में भी होगा. दिमित्रीव
ने यह भी कहा कि रूस साल 2020 में वैक्सीन की तकरीबन तीन करोड़ (30 मिलियन) डोज का
घरेलू उत्पादन कर सकता है. कई और देशों ने भी इसमें दिलचस्पी जाहिर की है,
जिनके साथ मिलकर रूस वैक्सीन की लगभग 17 करोड़ (170 मिलियन) डोज तैयार कर सकता है.
इसके
अलावा, रिसर्च इंस्टिट्यूट के प्रमुख ने यह भी कहा कि कोविड-19 की यह
वैक्सीन पश्चिमी देशों की वैक्सीन की तुलना में ज्यादा बेहतर और उन्नत
है. अपने विदेशी सहयोगियों के साथ इस टेक्नोलॉजी को साझा करने में हमें
बेहद खुशी होगी, अगर उन्हें इसकी जरूरत है.
बता दें कि इससे
पहले रूस की सेचेनोव यूनिवर्सिटी ने कोरोना वायरस की वैक्सीन के क्लिनिकल
ट्रायल में सफलता मिलने की जानकारी दी थी. इस वैक्सीन का निर्माण रूस की
डिफेंस मिनिस्ट्री के गमाली इंस्टिट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड
माइक्रोबायोलॉजी ने किया था.
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न्यूज एजेंसी TASS के मुताबिक,
'सेचेनोव मेडिकल यूनिवर्सिटी द्वारा इस वैक्सीन को टेस्ट किया गया है. 18
जून को वैक्सीन टेस्ट के पहले चरण की शुरुआत हुई थी, जिसमें 18 वॉलंटियर्स
के समूह को वैक्सीनेट किया गया था. इसके बाद 23 जून को वैक्सीन टेस्ट का
दूसरा चरण शुरू हुआ जिसमें 20 लोगों के समूह को वैक्सीनेट किया गया.'
हालांकि
ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा की सरकार ने रूस के स्टेट इंटेलिजेंस पर उनके
बनाए वैक्सीन फॉर्मूले को चुराने का आरोप भी लगाया. ब्रिटेन के नेशनल
साइबर सिक्योरिटी सेंटर (एनसीएससी) ने कहा है कि रूस के हैकर्स उन संगठनों
को निशाना बना रहे हैं, जो कोरोना वायरस की वैक्सीन विकसित करने की कोशिश
कर रहे हैं. रूस ने इन आरोपों का खारिज कर दिया था.
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