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इस देश में इमाम बोले- मुस्लिमों का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा कोरोना, डॉक्टर परेशान

aajtak.in
  • 12 मई 2020,
  • अपडेटेड 2:41 PM IST
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कोरोना से बचाव में इम्युनिटी की भूमिका बहुत अहम मानी जा रही है. डॉक्टर से लेकर वैज्ञानिक तक लोगों को इम्यून सिस्टम मजबूत बनाने की सलाह दे रहे हैं वहीं इम्युनिटी को लेकर सोमालिया के कुछ इमामों का बयान सुर्खियों में आ गया है. इमामों का दावा है कि मुसलमानों की इम्युनिटी पहले से ही इतनी मजबूत है कि कोरोना वायरस उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा.

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इमामों के ये बयान उन वरिष्ठ मुस्लिम विद्वानों के ठीक उलट हैं जिन्होंने कोरोना वायरस को पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर खतरा बताया था. यहां के एक चिकित्साकर्मी ने Al Arabiya न्यूज चैनल को बताया कि इमामों की ऐसी बातें सोमालिया के लोगों की जिंदगी खतरे में डाल रही हैं. साथ ही यहां की आबादी को शिक्षित करने के काम में भी बाधा पहुंचा रही है.

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नाम ना बताने की शर्त पर इस  चिकित्साकर्मी ने Al Arabiya को बताया, 'कुछ मस्जिद इस तरह की अफवाह फैला रहे हैं कि कोरोना वायरस महामारी सिर्फ उन लोगों को हो रही है जो इस्लाम को नहीं मानते हैं.' उन्होंने कहा कि सोमालिया में लोग बहुत धार्मिक हैं और डॉक्टर या सरकार की बातों से ज्यादा यहां के इमाम की बातें मानते हैं.

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इमामों के बयान से पहले यहां के कुछ वरिष्ठ मुस्लिम विद्वानों लोगों से डॉक्टर्स और सरकार के दिशानिर्देशों का पालने करने की अपील की थी. मुस्लिम विद्वानों ने लोगों से रमजान के दौरान मस्जिदों में ना जाकर घर में ही नमाज पढ़ने को कहा था.

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मुस्लिम वर्ल्ड लीग (MWL) के महासचिव डॉक्टर मोहम्मद अल-इस्सा ने समुदाय के लोगों को हेल्थ गाइडलाइन का पालन करने और फिलहाल मस्जिदों में नहीं जाने का आग्रह किया था. उन्होंने कहा था कि कई मुस्लिम देशों ने महामारी के मद्देनजर मस्जिदों को कुछ समय के लिए बंद कर दिया है और लोगों को इसे एक धार्मिक कर्तव्य समझना चाहिए.

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सोमालिया में इमामों की गलत सूचना देश को कोरोना से तबाह करने का काम कर सकती है. यहां पूरे देश में टेस्टिंग की सिर्फ चार मशीनें हैं जबकि अब तक 900 कंफर्म केस सामने आ चुके हैं.

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एक अन्य चिकित्साकर्मी ने कहा कि यह झूठ कि मुस्लिमों में यह वायरस नहीं फैलेगा, वास्तव में डॉक्टरों के लिए बहुत मुश्किलें पैदा कर रहा है. यहां ज्यादातर लोग ना तो मास्क लगाते हैं और ना ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हैं. ऐसे में इस महामारी को यहां फैलने से नहीं रोका जा सकता.

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हालांकि सोमालिया से पहले भी कई दूसरे देशों के धार्मिक नेता COVID-19 के लिए दिए गए स्वास्थ्य दिशानिर्देशों में हस्तक्षेप कर चुके हैं. अमेरिका में कुछ ईसाई नेताओं ने प्रतिबंध के बावजूद सामूहिक पूजा की जबकि ईरान में स्वास्थ्य अधिकारियों के बंद के आह्वान के बावजूद इमामों ने मस्जिदों को कई हफ्तों तक खुला रखा.

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पूर्व अमेरिकी विज्ञान राजदूत  डॉक्टर पीटर होट्ज ने सोमालिया में इमामों द्वारा दिए गए बयान को 'वेक अप कॉल' बताया है. उन्होंने कहा कि अब दुनिया को यह बताने की आवश्यकता है कि विज्ञान और धर्म में भेद नहीं है.

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Al Arabiya English को दिए एक इंटरव्यू में पीटर होट्ज ने कहा, 'वैज्ञानिक और धार्मिक सोच को एकीकृत करना इंसान के लिए सबसे बड़ा चुनौती का काम है.

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