40 एंबुलेंस, गैस मास्क, स्ट्रेचर, 15 डॉक्टरों की टीम, हेलिकॉप्टर की तैनाती... सुरंग की आखिरी दीवार गिरने से पहले की गईं ये तैयारियां

उत्तरकाशी के सिल्क्यारा बचाव अभियान अब अंतिम चरण में है. मजदूरों को बचाने के लिए एनडीआरएफ की टीम तैनात है. इसके अलावा सुरंग के अंदर एक एम्बुलें तैनात की गई है. यहां से  श्रमिकों को स्वास्थ्य परीक्षण के लिए चिन्यालीसौड़ स्थित सीएचसी में ले जाया जाएगा.

Advertisement
उत्तरकाशी में बचाव और राहत कार्य का आज 12 दिन है उत्तरकाशी में बचाव और राहत कार्य का आज 12 दिन है

आशुतोष मिश्रा / ओंकार बहुगुणा / अंकित शर्मा

  • उत्तरकाशी,
  • 23 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 11:16 AM IST

उत्तरकाशी के सिल्क्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को बचाने के लिए चलाए जा रहे राहत और बचाव कार्य का आज 12वां दिन है.देर रात ड्रिलिंग के दौरान मशीन के सामने लोहे की सलाखों ने रास्ता रोका जिसे स्पेशल कटर लगाकर उसे काटने की कोशिश की गई और इसके लिए गैस कटर का भी इस्तेमाल किया गया गया. इसके बाद ऑगर मशीन की बिट खराब हो गई.

Advertisement

ऑगर मशीन के बिट को ठीक करने के लिए हेलिकॉफ्टर से मशीन लाई गई. ऐसे में जब रेस्क्यू ऑपरेशन अब अपने अंतिम चरण में है और इसी के मद्देनजर एम्बुलेंस भी तैयार रखी गई हैं.और एनडीआरएफ की टीम भी मौके पर मौजूद है. रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए एनडीआरएफ अतिरिक्त स्ट्रेचर तैयार कर रही है जिसमें बेरिंग और पहिया लगाए जा रहे हैं ताकि मजदूरों को लंबी पाइप में क्रॉल ना करना पड़े बल्कि उन्हें पहिए वाले स्ट्रेचर से खींचकर निकल जाए. 

 40 एंबुलेंस तैनात

सिल्क्यारा सुरंग स्थल पर 'ऑक्सीजन सिलेंडर, मास्क, स्ट्रेचर से लेकर बीपी उपकरण तक' सभी चिकित्सा सहायता मशीनें मौजूद हैं.NDRF के बचाव कर्मी गैस मास्क और स्ट्रेचर लेकर के अंदर जा रहे हैं. हाथों में कई तरह के इक्विपमेंट है जिसमें कटर भी शामिल है. पाइप जैसे ही मलबा पार करेगी सबसे पहले एनडीआरएफ कर्मी पाइप में से घुसकर मजदूरों की तरफ जाएंगे. 12 एंबुलेंस यहां स्टैंडबाई पर रखी गई हैं. एम्बुलेंस स्टाफ सदस्य हरीश प्रसाद ने कहा, "सभी व्यवस्थाएं की गई हैं. हमारी 40 एंबुलेंस यहां तैनात रहेंगी जिन्हें देहरादून, हरिद्वार और टिहरी यहां भेजा जा रहा है. सुरंग के बाहर चेस्ट स्पेशलिस्ट सहित 15 डॉक्टरों की एक टीम को सुरंग के बाहर तैनात किया गया है.'

Advertisement
सुरंग के बाहर तैनात की गई एंबुलेंस

विशेष पहिये वाले स्ट्रेचर लेकर गई एनडीआरएफ  

एनडीआरएफ की टीम पहले से मौके पर मौजूद है और बचाव तथा राहत कार्यों में जुटी हुई है. जैसे ही टनल के अंदर तक पाइप चला जाएगा तो सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को एनडीआरएफ के जवान ही यहां बाहर निकालेंगे.यहां टनल के बाहर प्राथमिक उपचार की भी तैयारी तेज कर दी गई है. टनल के बाहर अस्थायी अस्पताल में आठ बेड लगाए गए हैं.

NDRF की टीम मजदूरों को सुरंग से बाहर निकालने के लिए विशेष पहिये वाले स्ट्रेचर लेकर गई है जिसमें पहिए और बेरिंग लगे हुए हैं. बताया जा रहा है कि श्रमिक अपनी शारीरिक स्थिति के कारण 60 मीटर तक चलने में असमर्थ होंगे. इसलिए ये कदम उठाया गया है. टीम एक विशेष ऑक्सीजन पैक मास्क भी सुरंग में लेकर गई है. 

41 बेड का अस्पताल तैयार

श्रमिकों को सुंरग से बाहर निकालने के बाद तुरंत  श्रमिकों की चिकित्सा जांच और देखभाल के लिए एंबुलेंस के जरिए सीधे चिन्यालीसौड़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाया जाएगा. चिन्यालीसौड़ में 41 बेड का विशेष वार्ड तैयार किया गया है. यहां डॉक्टरों की एक टीम तैनात की गई है जो श्रमिकों के स्वास्थ्य की जांच करेगी और जरूरत पड़ी तो फिर उन्हें उच्च उपचार के लिए दूसरी जगह भेजा जा सकता है. अधिकारियों ने कहा कि जिले के सभी अस्पतालों के साथ-साथ एम्स, ऋषिकेश को भी अलर्ट पर रखा गया हैं.

Advertisement

हेलीकॉप्टर भी तैयार

 श्रमिकों के लिए जिस चिन्यालीसौड़ में विशेष अस्पताल तैयार किया गया है वहां हेलीकॉप्टर भी तैनात किए जाएंगे. सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूरों में से किसी को स्वास्थ्य कारणों से अगर एयरलिफ्ट करने की जरूरत होगी तो इसके लिए उन्हें दूसरे अस्पताल में ले जाया जाएगा.

चिन्यालीसौड़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैयार किया गया है विशेष वार्ड

आपको बता दें कि छह इंच की नई पाइपलाइन के माध्यम से भेजे गए एंडोस्कोपिक कैमरे की मदद से मंगलवार तड़के फंसे हुए श्रमिकों की पहली तस्वीर और वीडियो सामने आया था. एक अन्य पाइप के जरिये रोटी, सब्जी, खिचड़ी, दलिया, संतरे और केले जैसे खाद्य पदार्थों की पर्याप्त आपूर्ति की जा रही है.  

मौके पर मौजूद एनडीआरएफ की टीम

सुरंग में रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होने में लोहे का स्ट्रक्चर रेस्क्यू ऑपरेशन में बाधा बन गया था. इसी वजह से अभियान में देरी हो हुई. इस लोहे की संरचना को हटाने के लिए एनडीआरएफ द्वारा गैस कटर का उपयोग किया गया और काटकर इसे हटा दिया गया.

12 नवंबर को हुआ था हादसा

आपको बता दें कि उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिलक्यारा सुरंग केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी चारधाम ‘ऑल वेदर सड़क' परियोजना का हिस्सा है. ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही यह सुरंग 4.5 किलोमीटर लंबी है. 12 नवंबर को सुरंग का एक हिस्सा ढह गया. इससे मजदूर सुरंग के अंदर ही फंस गए. इन्हें निकलने के लिए 12 दिन से रेस्क्यू अभियान जारी है. 

Advertisement

उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल में 8 राज्यों के 41 मजदूर फंसे हैं. इसमें उत्तराखंड के 2, हिमाचल प्रदेश का 1, यूपी के 8, बिहार के 5, पश्चिम बंगाल के 3, असम के 2, झारखंड के 15 और ओडिशा के 5 मजदूर फंसे हैं. 

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement