अगर सरकार देशद्रोहियों के खिलाफ स्पाइवेयर का इस्तेमाल करती है तो गलत नहीं है: पेगासस पर सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस स्पाइवेयर मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि नेशनल सिक्योरिटी के लिए किसी देश के पास स्पाइवेयर होना कोई गलत बात नहीं है.

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अनीषा माथुर / संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 29 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 2:11 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पेगासस स्पाइवेयर मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मकसद से किसी देश के पास स्पाइवेयर होना कोई गलत बात नहीं है. असली चिंता यह है कि इसका इस्तेमाल कैसे और किसके खिलाफ किया जाता है. हालांकि, अदालत ने कहा कि आम लोगों के खिलाफ स्पाइवेयर के इस्तेमाल के आरोपों की जांच की जाएगी.

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इजरायली स्पाइवेयर पेगासस का उपयोग करके पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और राजनेताओं की कथित निगरानी की स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए 2021 में रिट याचिकाएं दायर की गई थीं. इन याचिकाओं पर जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि कोई देश अपनी नेशनल सिक्योरिटी से समझौता नहीं कर सकता है.

'इसमें गलत क्या है...'

Live Law की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस कांत ने सीनियर एडवोकेट दिनेश द्विवेदी को जवाब देते हुए कहा, "अगर देश स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर रहा है तो इसमें क्या गलत है. स्पाइवेयर होना, कुछ भी गलत नहीं है. इसका इस्तेमाल किसके खिलाफ किया जाता है, यह सवाल है. हम देश की सिक्योरिटी से समझौता हीं कर सकते." 

दिनेश द्विवेदी ने तर्क दिया कि बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार के पास पेगासस स्पाइवेयर था और क्या वह इसका इस्तेमाल कर रही थी. जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, "आतंकवादी निजता के अधिकार का दावा नहीं कर सकते." वहीं, जस्टिस कांत ने कहा, "एक नागरिक व्यक्ति जिसके पास निजता का अधिकार है, संविधान के तहत उसकी हिफाजत की जाएगी." 

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कपिल सिब्बल ने क्या दलील दी?

याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने अमेरिकी जिला न्यायालय के एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि इजरायल स्थित स्पाइवेयर फर्म एनएसओ ग्रुप ने व्हाट्सएप को हैक करने के लिए पेगासस मैलवेयर का इस्तेमाल किया था और कहा कि फैसले में भारत को प्रभावित देशों में से एक के रूप में पहचाना गया था.

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है और आरोपों की जांच के लिए जस्टिस रवींद्रन की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है. अदालत ने आगे कहा कि स्पाइवेयर के कथित दुरुपयोग पर एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट को पब्लिक नहीं किया जा सकता, क्योंकि ऐसा करने से मामला सड़क स्तर की बहस का मुद्दा बन जाएगा.

कोर्ट ने कहा, "हां, व्यक्तिगत आशंकाओं पर बात की जानी चाहिए, लेकिन इसे सड़कों पर चर्चा के लिए एक दस्तावेज नहीं बनाया जा सकता है."

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