100,000 डॉलर फीस और वेज-टियर सिस्टम… क्या अब अमेरिका से कटेगा भारतीयों का रास्ता?

अमेरिका में H-1B वीज़ा को लेकर ट्रंप सरकार ने बड़ा बदलाव प्रस्तावित किया है. अब लॉटरी सिस्टम की बजाय ज्यादा सैलरी और ज्यादा स्किल वाले कर्मचारियों को वरीयता दी जाएगी. साथ ही, H-1B वीजा की फीस अचानक बढ़ाकर 100,000 डॉलर कर दी गई है. नए नियमों को लेकर बहस छिड़ गई है. क्या इससे अमेरिकी नौकरियों की रक्षा होगी या विदेशी टैलेंट दूसरे देशों की राह पकड़ेगा?

Advertisement
 Over 70% of H-1B visas go to Indian tech professionals. Over 70% of H-1B visas go to Indian tech professionals.

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 23 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:50 PM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने H-1B वीजा नियमों में बड़ा बदलाव प्रस्तावित किया है. इसके तहत अब ऐसे विदेशी कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जाएगी जिनके पास ज्यादा स्किल्स हों और जिन्हें बेहतर सैलरी मिलेगी. ये फैसला उस आदेश के बाद आया है जिसमें शुक्रवार को H-1B वीजा की फीस अचानक बढ़ाकर 100,000 डॉलर (लगभग 83 लाख रुपये) कर दी गई. पहले ये फीस कंपनी के आकार के हिसाब से 215 डॉलर से 5,000 डॉलर तक होती थी.

Advertisement

सरकार का कहना है कि इस कदम से वीजा प्रोग्राम के दुरुपयोग पर रोक लगेगी और कंपनियों को अमेरिकी कर्मचारियों को प्राथमिकता देने की दिशा में मजबूर किया जाएगा.

क्या होगा नया सिस्टम?

अगर किसी साल वीजा की डिमांड सप्लाई से ज्यादा हो गई तो अब लॉटरी की बजाय वेज टियर सिस्टम लागू होगा. यानी जिन नौकरियों में ज्यादा वेतन ऑफर होगा, उन्हें H-1B वीजा मिलने की संभावना ज्यादा होगी. अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (DHS) के अनुमान के मुताबिक साल 2026 से H-1B वर्कर्स को दी जाने वाली कुल सैलरी 502 मिलियन डॉलर तक बढ़ जाएगी. फिर 2027 में ये 1 अरब डॉलर, 2028 में 1.5 अरब डॉलर और 2029 से 2035 के बीच 2 अरब डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है.

छोटे कारोबार पर पड़ेगा असर

DHS का कहना है कि करीब 5,200 छोटे बिजनेस जो फिलहाल H-1B वर्कर्स पर निर्भर हैं, इस नियम से बुरी तरह प्रभावित होंगे क्योंकि उन्हें लेबर लॉस का सामना करना पड़ेगा.

Advertisement

हाई स्क‍िल हाई सैलरी के नियम पर छ‍िड़ी बहस 

USCIS (यूएस सिटीजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज) ने कहा है कि इस प्रस्ताव पर जनता 30 दिनों तक अपनी राय दे सकती है. H-1B वीजा अमेरिका की टेक इंडस्ट्री और दूसरी कंपनियों के लिए बेहद अहम है, क्योंकि इससे उन्हें भारत और चीन जैसे देशों से टैलेंटेड वर्कर्स मिलते हैं. 1990 से ये वीजा अमेरिकी इमिग्रेशन सिस्टम का अहम हिस्सा रहा है. फीस में अचानक हुई भारी बढ़ोतरी और नए नियमों ने अब बड़ी बहस छेड़ दी है.

समर्थक कहते हैं कि इससे अमेरिकी नौकरियों की रक्षा होगी और कंपनियां सस्ते विदेशी कर्मचारियों को कम हायर करेंगी. विरोधी मानते हैं कि इससे इनोवेशन रुक जाएगा और टैलेंटेड वर्कर्स अमेरिका छोड़कर कनाडा और यूके जैसे देशों में जाएंगे. 

ट्रंप सरकार का इमिग्रेशन एक्शन

जनवरी में पद संभालने के बाद से ही ट्रंप प्रशासन ने इमिग्रेशन पर कड़ा रुख अपनाया है. उन्होंने बड़े पैमाने पर डिपोर्टेशन (विदेशियों को निकालने) की कोशिश की और अवैध प्रवासियों के बच्चों को नागरिकता देने पर रोक लगाने की पहल की. हाल के दिनों में ट्रंप प्रशासन ने खास तौर पर H-1B वीज़ा प्रोग्राम को निशाना बनाया है, जिसे अमेरिकी टेक और आउटसोर्सिंग कंपनियां स्किल्ड वर्कर्स को हायर करने के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल करती हैं.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement