जब बिपिन रावत को नहीं पहचान पाया था एक सैनिक, तो कहा था- मैं तो COAS हूं

आर्मी चीफ बिपिन रावत गैर सैन्य वेशभूषा में ही अपनी निजी कार से दोस्त के घर पहुचें थे. लेकिन आर्मी एरिया में उनके पहुंचते ही जो कुछ हुआ, वो किस्सा बड़ा रोचक है. ये कहानी हमें बताती है कि आर्मी चीफ बिपिन रावत अपनी ड्यूटी निभाने वाले एक छोटे सैन्य स्टाफ की कितनी इज्जत करते थे.

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जनरल बिपिन रावत जनरल बिपिन रावत

पन्ना लाल

  • नई दिल्ली,
  • 09 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 7:23 AM IST
  • जब आर्मी कैंटोनमेंट में सेना के जवान ने बिपिन रावत को घुसने से रोक दिया था
  • हालांकि नाराज होने की जगह बिपिन रावत ने की थी उस जवान की तारीफ

सीडीएस बिपिन रावत के असामयिक निधन से लोग गमगीन हैं, आंखें नम हैं. 130 करोड़ की आबादी वाले देश का सेनानायक इस तरह एक हादसे में चला गया, ये किसी को यकीन नहीं हो रहा है.

देश की जनता नम आंखों से उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित कर रही है. इसके अलावा देश उन 12 दूसरे अफसरों को भी श्रद्धांजलि दे रहा है, जो इस हेलिकॉप्टर हादसे में असमय ही मृत्यु को प्राप्त हो गए. 

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अब हमारे बीच इस अफसरों के किस्से कहानियां हैं. ऐसी ही एक कहानी है सीडीएस बिपिन रावत की. तब जनरल बिपिन रावत देश के आर्मी चीफ थे. दिल्ली में एक बार देर रात उन्हें अपने आर्मी दोस्त के यहां जाना था.

किताब में भी किस्से का जिक्र

आर्मी चीफ बिपिन रावत गैर सैन्य वेशभूषा में ही अपनी निजी कार से दोस्त के घर पहुचें. लेकिन आर्मी एरिया में उनके पहुंचते ही जो कुछ हुआ वो किस्सा बड़ा रोचक है. ये कहानी हमें बताती है कि आर्मी चीफ बिपिन रावत अपनी ड्यूटी निभाने वाले एक छोटे सैन्य स्टाफ की कितनी इज्जत करते थे. 

सैनिकों से जुड़ी कहानियों पर किताब लिखने वाली लेखिका रचना बिष्ट रावत ने अपनी किताब में इस घटना का जिक्र किया है. बता दें कि 31 दिसंबर 2016 से लेकर 30 दिसंबर 2019 बिपिन रावत तक थल सेना के अध्यक्ष थे. 

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जनरल रावत को एक बार रात को अपने दोस्त के घर जाना था. उनका दोस्त भी आर्मी में ही था. उस रात को 11 बजे जनरल रावत अपनी पत्नी मधुलिका रावत के साथ निकले. दिन भर की ड्यूटी के बाद जनरल रावत सादी पोशाक में थे, यानी कि एक आम शहरी की तरह थे. उस रात उन्होंने तय किया था कि वे सरकारी गाड़ी की जगह निजी कार से ही अपने दोस्त के यहां जाएंगे. 

आर्मी चीफ बिपिन रावत को आर्मी कैंट में रोक दिया गया था

थोड़ी ही देर में बिपिन रावत अपनी कार से अपनी पत्नी के साथ दिल्ली के आर्मी कैंटोनमेंट में स्थित अपने दोस्त के घर में पहुंचते हैं. जैसे ही उनकी कार कैंट के दरवाजे पर पहुंचती है, उन्हें आर्मी जवान द्वारा रोक लिया जाता है. बिपिन रावत पहले तो ये बताते हैं कि उनका आर्मी का एक दोस्त यहां रहता है और वे उनसे मिलने आए हैं. लेकिन जवान उनकी कार को अंदर ले जाने से साफ इनकार कर देता है. 

'मैं चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बिपिन रावत हूं'

गार्ड पर तैनात जवान अपने सामने मौजूद आर्मी चीफ बिपिन रावत को कहना है कि प्लीज आप अपनी कार गेट के किनारे पार्क करें. इसके बाद वो पूछता है कि आप कौन हैं? इतनी रात आर्मी एरिया में क्या कर रहे हैं? बिपिन रावत आखिरकार उन्हें अपनी पहचान बताते हैं और कहते हैं कि वो भारत के आर्मी चीफ बिपिन रावत हैं. 

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'आप अपने मित्र को गेट पर मिलाइए'

असली कहानी अभी बाकी है. गार्ड बिपिन रावत को पहचानने से इनकार कर देता है. बता दें कि इस वक्त बिपिन रावत सिविल यूनिफॉर्म में थे. अब गेट पर तैनात सिक्योरिटी ऑफिसर बिपिन रावत से कहता है कि कृपया करके वो अपने उस दोस्त को गेट पर बुलाएं, जिनसे मिलने वो यहां आए हैं. बिपिन रावत आखिरकार अपने दोस्त को फोन करते हैं और उन्हें गेट पर बुलाते हैं. 

जब तक जनरल बिपिन रावत का दोस्त गेट पर आया, वो इंतजार करते रहे. आखिरकार उनका दोस्त वहां आया और उन्हें रिसीव किया. उन्होंने गेट पर तैनात सिक्योरिटी ऑफिसर से पूछा क्या तुम इन्हें नहीं पहचानते हो? तुम्हारे सामने मौजूद व्यक्ति भारत का थल सेनाध्यक्ष है. 

तभी जनरल रावत अपना रास्ता रोकने वाले सिक्योरिटी ऑफिसर का मुस्कुराते हुए पीठ थपथपाते हैं और उसकी तारीफ करते हुए कहते हैं कि ये तो अपना काम कर रहा था जो सेना के जवान का सबसे बड़ा फर्ज है. 

अगली सुबह जनरल रावत ने जवान की प्रशंसा में पत्र लिखा

बात यही नहीं खत्म हो गई. जनरल बिपिन रावत इस जवान की कर्तव्यपरायणता से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अगली सुबह आर्मी मुख्यालय को पत्र लिखा और इस सिक्योरिटी ऑफिसर की तारीफ की. जनरल रावत एक सैनिक के लिए कर्तव्य के फर्ज को सबसे बड़ा मानते थे.

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