मराठा आंदोलन: मनोज जरांगे पाटिल को मुंबई पुलिस का समन, 10 नवंबर को पेश होने का आदेश

मुंबई पुलिस ने मराठा आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल को 10 नवंबर को आजाद मैदान थाने में पूछताछ के लिए बुलाया है. यह समन आंदोलन के दौरान नियमों के उल्लंघन और बॉम्बे हाई कोर्ट की गाइडलाइंस का पालन न करने के आरोप में भेजा गया है.

Advertisement
मराठा आंदोलन केस में चार्जशीट फाइल की तैयारी (Photo: PTI) मराठा आंदोलन केस में चार्जशीट फाइल की तैयारी (Photo: PTI)

दीपेश त्रिपाठी

  • मुंबई,
  • 08 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:08 PM IST

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन से जुड़े प्रमुख नेता मनोज जरांगे पाटिल को मुंबई पुलिस ने पूछताछ के लिए समन जारी किया है. पुलिस ने उन्हें 10 नवंबर को सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे के बीच आज़ाद मैदान पुलिस स्टेशन में उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं.

पुलिस ने मनोज जरांगे पाटिल के साथ-साथ पांडुरंग तारक, गंगाधर कालकुटे, चंद्रकांत भोसले, वीरेंद्र पवार और प्रशांत सावंत को भी समन भेजा है. इन सभी से मराठा आंदोलन के दौरान किए गए कथित नियम उल्लंघन के मामले में पूछताछ की जाएगी.

Advertisement

नोटिस में आज़ाद मैदान पुलिस स्टेशन के निरीक्षक ज्ञानेश आव्हाड के हस्ताक्षर हैं. इसमें कहा गया है कि भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 35(3) के तहत दिए गए अधिकारों के अनुसार यह कार्रवाई की जा रही है.

पुलिस के अनुसार, मनोज जरांगे पाटिल और उनके साथियों ने आज़ाद मैदान में अनशन के दौरान आंदोलन से जुड़े नियमों और बॉम्बे हाईकोर्ट की गाइडलाइंस का उल्लंघन किया. इसी को लेकर अपराध क्रमांक 214/2025 के तहत विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया था.

यह भी पढ़ें: 'पहले सड़कें खाली करें...', मुंबई में मनोज जरांगे के मराठा आरक्षण आंदोलन पर हाईकोर्ट सख्त

अब मुंबई पुलिस इस मामले में चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी में है, जिसके लिए FIR में नामजद आरोपियों के बयान दर्ज करना आवश्यक है. इसी कारण सभी को समन जारी किया गया है.

Advertisement

मराठा आरक्षण आंदोलन: 29 अगस्त से शुरू हुई हड़ताल, 2 सितंबर को हुई समाप्त

मनोज जरांगे पाटिल ने अगस्त 2025 में मुंबई के आज़ाद मैदान में बड़ा आंदोलन शुरू किया था. उन्होंने 29 अगस्त से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की घोषणा की, जिसमें उनकी मुख्य मांग थी कि मराठा समाज को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के तहत आरक्षण दिया जाए.

जरांगे के आंदोलन को पूरे महाराष्ट्र से भारी जनसमर्थन मिला. हजारों की संख्या में मराठा समुदाय के लोग मुंबई पहुंचे और आंदोलन में शामिल हुए. आंदोलन के दौरान जरांगे ने महाराष्ट्र सरकार के सामने छह प्रमुख मांगें रखीं, जिनमें आरक्षण को लेकर कानूनी और प्रशासनिक कदमों की तत्काल घोषणा भी शामिल थी.

चार दिनों तक चले इस आंदोलन ने राज्य सरकार पर कड़ा राजनीतिक दबाव बनाया. आखिरकार सरकार ने जरांगे की कई मांगों को मानने का आश्वासन दिया, जिसके बाद उन्होंने 2 सितंबर को अपनी भूख हड़ताल समाप्त कर दी.

जरांगे का यह आंदोलन मराठा समुदाय के अधिकारों की लड़ाई में ऐतिहासिक मोड़ माना जा रहा है. इसने न सिर्फ राज्य सरकार को नीति स्तर पर फैसले लेने के लिए मजबूर किया, बल्कि आरक्षण को लेकर नई राह भी प्रशस्त की.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement