राकेश टिकैट का ऐलान- हर कीमत पर जारी रहेगा आंदोलन, एक फसल की कुर्बानी देने को तैयार किसान

केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन जारी है. दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए किसान नेताओं ने ऐलान किया है कि ये आंदोलन खत्म नहीं होगा. सरकार से लड़ाई लड़ने के लिए किसान एक फसल की कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं. 

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भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत

कुमार कुणाल

  • नई दिल्ली,
  • 19 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 6:12 PM IST
  • 20 मार्च के बाद बंगाल जाएंगे किसान नेता 
  • फसल के मौसम में आंदोलन चलाना बड़ी चुनौती 

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने रणनीतिक बैठक से पहले बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि सरकार से लड़ाई में एक फसल की कुर्बानी देने के लिए किसान तैयार हैं. फसल के मौसम में आंदोलन चलाना बड़ी चुनौती है. आज हमने सलाह-मशविरा करने के लिए मीटिंग बुलाई है. 

फसल का नहीं होने देंगे नुकसान 
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि गांव के लोग कह रहे हैं कि आंदोलन चलेगा और जो मीडिया और सरकार कह रही है कि दो महीने में आंदोलन खत्म हो जाएगा, तो बता दें कि सरकार गलतफहमी में ना रहे. अगर फसल को आधी कीमत पर बेचने की जरूरत पड़ेगी, तो वो भी करेंगे और जरूरत पड़ी तो जलाएंगे भी. अगर जरूरत पड़ी तो हम मजदूरों से फसल कटवाएंगे और नुकसान में भी बेचेंगे. फसल और आंदोलन दोनों एक साथ होना एक बहुत बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा कि भीड़ भी कम ना हो, आंदोलन भी चले और फसल की कटाई भी साथ-साथ हो यह बड़ा चुनौती है. 

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इस तरह आएंगे किसान 
किसान नेता ने कहा कि तैयारी की जा रही है कि आंदोलन चलता रहे और फसल को भी नुकसान न हो. हर जगह 20 से 25 दिनों का फसल का चक्र होता है. जिस जगह में फसल चक्र होगा, वहां के लोग नहीं आएंगे दूसरे जगह से लोग आएंगे. पहले मध्य प्रदेश के क्षेत्र किसान आएंगे. फिर सहारनपुर और अलीगढ़ की तरफ से किसान आएंगे. भौगोलिक हिसाब से हम आंदोलन तय करेंगे. एक फसल की कुर्बानी देने के लिए हम तैयार हैं. सरकार अपने मन से गलतफहमी निकाल दे. आंदोलन तभी खत्म होगा, जब बिल वापसी होगी और एमएसपी लागू होगी.

20 मार्च के बाद जाएंगे बंगाल
किसान नेता ने कहा कि 20 मार्च के बाद बंगाल जाएंगे. बंगाल में कम से कम पांच से 10 दिन लगेंगे. वहां हो रहे चुनाव से हमारा कोई मतलब नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार अपने दिमाग से खुराफात की कील और कांटे निकाल ले. 

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