116 साल पहले हुआ था भारत का पहला ट्रेन एक्सीडेंट, कोट लखपत में टकरा गई थी पैसेंजर ट्रेन से मालगाड़ी

ओडिशा ट्रेन दुर्घटना में 275 लोगों की मौत हो गई है जबकि 1100 लोग अभी जख्‍मी हैं. मामले की सीबीआई जांच शुरू हो गई है जिसमें इन सवालों के जवाब तलाशे जाएंगे कि कैसे मालगाड़ी के ट्रैक पर पैसेंजर ट्रेन को ग्रीन सिग्‍नल मिल गया. हादसे के पीछे कौन जिम्‍मदेदार और सैकड़ों लोगों की मौत के पीछे किसकी चूक शामिल है.

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Train Accident History Train Accident History

aajtak.in

  • नई दिल्‍ली,
  • 06 जून 2023,
  • अपडेटेड 12:45 PM IST

Train Accident History: रेलगाड़ी का सफर आज भी देश में सबसे सुरक्षित सफर का तरीका माना जाता है. मगर ओड़‍िशा के बालासोर में हुए भीषण रेल हादसे ने लोगों की नींद तोड़ दी है. इस दुर्घटना में 275 लोगों की मौत हो गई है जबकि 1100 लोग अभी जख्‍मी हैं. मामले की सीबीआई जांच शुरू हो गई है जिसमें इन सवालों के जवाब तलाशे जाएंगे कि कैसे मालगाड़ी के ट्रैक पर पैसेंजर ट्रेन को ग्रीन सिग्‍नल मिल गया. हादसे के पीछे कौन जिम्‍मदेदार और सैकड़ों लोगों की मौत के पीछे किसकी चूक शामिल है.

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हालांकि, रेल हादसों का इतिहास देश में पुराना है. 1981 में बिहार की बागमती नदी पर हुए ट्रेन हादसे ने पूरे देश को झ‍िंझोड़कर रख दिया था. नदी पर बने पुल को पार करते हुए ट्रेन पटरी से उतर गई थी और पूरी गाड़ी यात्रियों समेत नदी में समा गई थी. इस हादसे में 750 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी.

देश में रेल दुर्घटनाओं का इतिहास खंगालें तो पहली बार साल 1907 में दो ट्रेनों के टकराने से 11 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. 24 अक्‍टूबर की तारीख को कोट लखपत (जो अब पाकिस्‍तान में है) में एक पैसेंजर ट्रेन मालगाड़ी से टकरा गई थी. यात्री गाड़ी के कई डिब्‍बे एक के ऊपर एक चढ़ गए थे. इस हादसे में 11 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 27 लोग घायल हुए थे. 

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रेल दुर्घटना में लोगों की जान जाना एक गंभीर मामला है. सवाल उठता है कि ट्रैक पर मौजूद गाड़ी की जानकारी के बिना दूसरी गाड़ी उसी ट्रैक पर कैसे आ जाती है. सवाल ये है कि इसका समाधान क्‍या है. बीते 8 वर्षों में ही 2 ट्रेनों के आपस में टकराने के 22 मामले आ चुके हैं. अब देखना ये होगा कि मामले में दोषी अधिकारियों पर कोई सख्‍त एक्‍शन लिया जाएगा या कर्मचारियों पर कार्रवाई कर खानापूर्ति कर दी जाएगी.

 

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