गहरे समुद्र में भी पनडुब्बियों को किया जा सकेगा तबाह, भारत-अमेरिका में जल्द फाइनल हो सकती है P8I डील

भारत और अमेरिका के बीच 6 अतिरिक्त P-8I एयरक्राफ्ट की डील लगभग अंतिम चरण में है. 16 से 19 सितंबर के बीच अमेरिकी डेलिगेशन दिल्ली आकर बातचीत करेगा. यह 4 अरब डॉलर की डील भारतीय नौसेना की इंडियन ओशियन रीजन में निगरानी और एंटी-सबमरीन वॉरफेयर क्षमता को और मजबूत करेगी. नौसेना के पास पहले से 12 P-8I मौजूद हैं.

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P8I एयरक्राफ्ट डील पर बातचीत के लिए अमेरिकी डेलिगेशन भारत आने वाला है. (फाइल फोटो) P8I एयरक्राफ्ट डील पर बातचीत के लिए अमेरिकी डेलिगेशन भारत आने वाला है. (फाइल फोटो)

शिवानी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 13 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:51 PM IST

भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग एक नए स्तर पर पहुंचने वाला है. सूत्रों का मानना है कि भारतीय नौसेना के लिए 6 अतिरिक्त P-8I मैरीटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट की डील को लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत लगभग तय हो चुकी है. यह डील करीब 4 अरब डॉलर की है और इसके लिए 16 से 19 सितंबर के बीच एक अमेरिकी डेलिगेशन दिल्ली आएगा.

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यह डेलिगेशन यूएस डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस और बोइंग के प्रतिनिधियों के अलावा कई अहम संस्थाओं के अधिकारी शामिल होंगे. इनमें ऑफिस ऑफ द अंडर सेक्रेटरी ऑफ डिफेंस फॉर पॉलिसी, नेवी इंटरनेशनल प्रोग्राम्स ऑफिस (NIPO), मैरीटाइम पेट्रोल एंड रिकग्निशन एयरक्राफ्ट प्रोग्राम ऑफिस (PMA 290) और डिफेंस सिक्योरिटी कोऑपरेशन एजेंसी (DSCA) शामिल हैं. NIPO का दायित्व वैश्विक मैरीटाइम साझेदारियों को संभालना है जबकि PMA 290 मैरीटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट के अधिग्रहण और सपोर्ट से जुड़ा हुआ है.

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भारत के पास फिलहाल 12 P-8I एयरक्राफ्ट हैं और नौसेना को इंडियन ओशियन रीजन (IOR) में अपनी निगरानी और एंटी-सबमरीन वॉरफेयर क्षमता को मजबूत करने के लिए 6 और एयरक्राफ्ट की जरूरत है. हाल के वर्षों में इस क्षेत्र में चीन के युद्धपोतों और पनडुब्बियों की मौजूदगी बढ़ी है, चाहे वह सर्वे के नाम पर हो या एंटी-पाइरेसी ऑपरेशन्स के तहत. यही वजह है कि भारतीय नौसेना लगातार अपनी निगरानी क्षमताओं को अपग्रेड कर रही है.

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टैरिफ का डिफेंस डील पर कोई असर नहीं

गौरतलब है कि हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर हाई टैरिफ लगाए थे, जिसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि रक्षा सौदों पर असर पड़ेगा, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, इन टैरिफ का भारत-अमेरिका के रक्षा समझौतों पर कोई असर नहीं पड़ा है.

फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान जारी एक जॉइंट स्टेटमेंट में साफ हुआ था कि 6 अतिरिक्त P-8I एयरक्राफ्ट की डील अपने अंतिम चरण में है और शर्तों पर सहमति बन चुकी है.

भारत ने पहली बार 2008 में खरीदी थी P-8I एयरक्राफ्ट

भारत की यात्रा P-8I एयरक्राफ्ट के साथ 2009 में शुरू हुई थी जब नौसेना ने पहली बार 8 एयरक्राफ्ट खरीदे थे. इसके बाद 2016 में 4 और एयरक्राफ्ट लिए गए. नौसेना ने कुल 10 अतिरिक्त एयरक्राफ्ट की मांग की थी, लेकिन 2019 में 6 P-8I की मंजूरी मिली. इस फैसले को मई 2021 में अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट से हरी झंडी मिली.

P-8I एयरक्राफ्ट की क्या है खासियत?

ये एयरक्राफ्ट लंबी दूरी की निगरानी के लिए डिजाइन किए गए हैं और गहरे समुद्र में भी पनडुब्बियों का पता लगाकर उन्हें निष्क्रिय करने की क्षमता रखते हैं. P-8I एयरक्राफ्ट 41,000 फीट की ऊंचाई से उड़ान भर सकता है और एक सॉर्टी में 8,300 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकता है. इसमें 11 हार्ड पॉइंट्स हैं, जिनमें एंटी-शिप मिसाइल, क्रूज मिसाइल, लाइटवेट टॉरपीडो और एंटी-सबमरीन वॉरफेयर चार्ज लगाए जा सकते हैं.

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MQ-9B ड्रोन भी खरीग रहा भारत

इसी के साथ भारतीय नौसेना MQ-9B ड्रोन की क्षमता भी बढ़ा रही है. नौसेना को 2029 तक कुल 31 MQ-9B ड्रोन मिलेंगे, जो इंडियन ओशियन रीजन की रियल-टाइम निगरानी में मदद करेंगे. इस क्षेत्र में वर्तमान में 50 से अधिक नेवल वेसल और 20,000 मर्चेंट शिप मौजूद रहते हैं.

P-8I और MQ-9B ड्रोन मिलकर भारतीय नौसेना की रणनीतिक क्षमताओं को और मजबूत करेंगे और इंडियन ओशियन में भारत की समुद्री सुरक्षा को नए स्तर तक ले जाएंगे.

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