125 किलोग्राम डायनामाइट से कितना नुकसान हो सकता है? देहरादून में पकड़े गए 3 लोग

125 किलोग्राम डायनामाइट का विस्फोट देहरादून जैसे पहाड़ी क्षेत्र में छोटे इलाके को पूरी तरह तबाह कर सकता है. यह इमारतों को नष्ट कर सकता है. भूस्खलन को ट्रिगर कर सकता है. जान-माल को नुकसान पहुंचा सकता है. हालांकि, इसका सही इस्तेमाल निर्माण और विकास में फायदेमंद है, लेकिन बिना नियंत्रण के यह खतरा बन सकता है.

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डायनामाइट का इस्तेमाल विस्फोट की तरह होता है. आतंकी इससे बम बनाते हैं. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी) डायनामाइट का इस्तेमाल विस्फोट की तरह होता है. आतंकी इससे बम बनाते हैं. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)

आजतक साइंस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 11 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 12:47 PM IST

देहरादून में 11 जुलाई 2025 को तीन लोगों को 125 किलोग्राम डायनामाइट के साथ पकड़ा. एक सवाल जो लोगों के दिमाग में आ रहा है, वह है - 125 किलोग्राम डायनामाइट से कितना नुकसान हो सकता है? हाल ही में सोशल मीडिया और समाचारों में विस्फोटकों जैसे डायनामाइट के बारे में सवाल उठ रहे हैं. खासकर तब जब देहरादून जैसे पहाड़ी इलाकों में निर्माण कार्य और खनन गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं. 

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डायनामाइट क्या है और यह कैसे काम करता है?

डायनामाइट एक विस्फोटक सामग्री है, जिसे 19वीं सदी में स्वीडिश वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल ने बनाया था. यह ट्राइट्रोटोल्यूनि (TNT) और अन्य रसायनों से मिलकर बनता है, जो जब फूटता है तो बहुत सारी ऊर्जा छोड़ता है. इस ऊर्जा से इमारतें, चट्टानें और जमीन को तोड़ा जा सकता है. डायनामाइट का इस्तेमाल खनन, निर्माण और कभी-कभी गलत तरीके से विनाश के लिए भी होता है. 

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हर 1 ग्राम डायनामाइट में लगभग 4.184 किलोजूल ऊर्जा होती है. इसका मतलब है कि 125 किलोग्राम (125,000 ग्राम) डायनामाइट में करीब 523,000 किलोजूल (523 मेगाजूल) ऊर्जा होगी. यह ऊर्जा कितना नुकसान कर सकती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कहां और कैसे इस्तेमाल किया जाता है.

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देहरादून में 125 किलोग्राम डायनामाइट के साथ पकड़े गए तीन लोग. (फोटोः ITG)

125 किलोग्राम डायनामाइट से कितना नुकसान?

भौतिक नुकसान 

125 किलोग्राम डायनामाइट का विस्फोट एक छोटे से पहाड़ी क्षेत्र या इमारत को पूरी तरह नष्ट कर सकता है. अगर यह देहरादून के एक छोटे से निर्माण स्थल पर फूटे, तो आसपास की 50-100 मीटर की दूरी तक की इमारतें ढह सकती हैं. चट्टानों को तोड़ने के लिए खनन में, यह एक बड़े हिस्से को हटा सकता है, लेकिन अगर गलत जगह फूटे तो सड़कें और पुल भी क्षतिग्रस्त हो सकते हैं.

धमाका और दबाव

विस्फोट से पैदा होने वाला दबाव 100 मीटर तक हवा को हिला सकता है, जिससे खिड़कियां टूट सकती हैं. लोग सुनने की क्षमता खो सकते हैं. अगर यह भीड़-भाड़ वाले इलाके में फूटे, तो गंभीर चोटें आ सकती हैं या जान-माल का नुकसान हो सकता है.

जमीन पर प्रभाव

पहाड़ी इलाकों में, जैसे देहरादून, विस्फोट से भूस्खलन (landslide) का खतरा बढ़ सकता है. अगर 125 किलोग्राम डायनामाइट मसूरी की पहाड़ियों पर फूटे, तो मिट्टी और चट्टानों का बहाव निचले इलाकों में तबाही मचा सकता है.

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उदाहरण के लिए तुलना

1 किलोग्राम TNT (जो डायनामाइट से मिलता-जुलता है) एक छोटे घर को नष्ट कर सकता है. तो 125 किलोग्राम से एक छोटा गांव या औद्योगिक क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंच सकता है. यह ऊर्जा करीब 0.125 टन TNT के बराबर है, जो एक छोटे परमाणु बम (हिरोशिमा बम का 0.0001%) से बहुत कम है, लेकिन फिर भी स्थानीय स्तर पर खतरनाक है.

देहरादून में इतने डायनामाइट के मिलने का मतलब 

देहरादून उत्तराखंड की राजधानी है, जो हिमालय की तलहटी में बसा एक खूबसूरत शहर है. यहां सड़क निर्माण, हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स और भवन निर्माण के लिए डायनामाइट का इस्तेमाल आम है. लेकिन 125 किलोग्राम डायनामाइट का अनियंत्रित विस्फोट यहां के लिए गंभीर खतरा हो सकता है...

  • भूस्खलन का जोखिम: देहरादून के पहाड़ी इलाकों में पहले से ही भूस्खलन की समस्या है. 2021 की आपदा के बाद से यह और गंभीर हो गई है. इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोट से मिट्टी का ढांचा कमजोर हो सकता है.
  • आबादी का नुकसान: शहर में घनी आबादी वाले क्षेत्र जैसे राजपुर रोड या प्रेमनगर में अगर ऐसा विस्फोट हो, तो सैकड़ों लोग प्रभावित हो सकते हैं.
  • पर्यावरणीय नुकसान: विस्फोट से धूल, राख और प्रदूषण फैल सकता है, जो देहरादून की हवा और पानी को नुकसान पहुंचा सकता है.

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हालांकि, निर्माण में डायनामाइट का इस्तेमाल नियंत्रित तरीके से होता है, लेकिन अगर यह गलती से या आतंकवादी गतिविधियों में इस्तेमाल हो,तो परिणाम भयानक हो सकते हैं.

सुरक्षा और सावधानियां

  • नियंत्रित प्रयोग: डायनामाइट का इस्तेमाल केवल प्रशिक्षित लोगों और सरकार की अनुमति से होना चाहिए. देहरादून में खनन कंपनियों को सख्त नियमों का पालन करना पड़ता है.
  • जागरूकता: स्थानीय लोगों को विस्फोट के समय सुरक्षित दूरी बनाए रखनी चाहिए और आपातकालीन नंबर (112) याद रखने चाहिए.
  • निगरानी: सरकार को विस्फोटकों की बिक्री और भंडारण पर नजर रखनी चाहिए ताकि गलत हाथों में न जाएं.
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