आकाशतीर: भारत की स्वदेशी AI-बेस्ड एयर डिफेंस सिस्टम ने PAK की हालत खराब की

आकाशतीर भारत की स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकी में एक क्रांतिकारी कदम है. यह भारत के आसमान को सुरक्षित करता है. डीआरडीओ, इसरो और बीईएल की संयुक्त विशेषज्ञता ने एक ऐसी प्रणाली विकसित की है जो न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करती है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत को रक्षा नवाचार में अग्रणी बनाती है.

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आकाशतीर एयर डिफेंस सिस्टम कई लेयर की है, इसमें कई स्वदेशी हथियार है. (फाइल फोटोः PTI) आकाशतीर एयर डिफेंस सिस्टम कई लेयर की है, इसमें कई स्वदेशी हथियार है. (फाइल फोटोः PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 13 मई 2025,
  • अपडेटेड 2:05 PM IST

भारत ने रक्षा और स्वदेशी तकनीक के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है. 'मेड इन इंडिया, मेड फॉर इंडिया' के संकल्प के साथ, आकाशतीर (Akashteer) एक अगली पीढ़ी की कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) संचालित वायु रक्षा प्रणाली है, जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने संयुक्त रूप से विकसित किया है. 

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आकाशतीर: तकनीकी उत्कृष्टता का प्रतीक

आकाशतीर एक अत्याधुनिक वायु रक्षा प्रणाली है जो वास्तविक समय में शत्रु की गतिविधियों को ट्रैक करने, सटीक हमले करने और 99.9% की सटीकता के साथ खतरों को बेअसर करने में सक्षम है. यह प्रणाली पूरी तरह से स्वदेशी है, जिसका अर्थ है कि इसे विदेशी तकनीक या संसाधनों पर निर्भरता के बिना विकसित किया गया है. इसके सेंसर से लेकर हमले की प्रक्रिया तक, हर पहलू भारत में डिज़ाइन और निर्मित किया गया है, जो इसे वैश्विक स्तर पर एआई-संचालित रक्षा प्रणालियों में एक बेंचमार्क बनाता है.

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आकाशतीर की सबसे उल्लेखनीय विशेषता इसकी त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता है. यह प्रणाली न केवल शत्रु के हवाई खतरों, जैसे मिसाइलों, ड्रोनों या लड़ाकू विमानों, को तुरंत पहचानती है, बल्कि बिना किसी देरी के उन्हें नष्ट भी कर देती है. इसकी एआई-संचालित तकनीक वास्तविक समय में डेटा का विश्लेषण करती है, जिससे यह बदलते युद्ध परिदृश्यों में तुरंत निर्णय लेने में सक्षम होती है. यह क्षमता इसे आधुनिक युद्ध की जटिल चुनौतियों से निपटने के लिए आदर्श बनाती है.

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एलओसी और एलएसी पर तैनाती

आकाशतीर को विशेष रूप से भारत की संवेदनशील सीमाओं—नियंत्रण रेखा (एलओसी) और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी)—पर तैनात किया गया है. ये क्षेत्र भारत के लिए सामरिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, जहां पाकिस्तान और चीन के साथ तनावपूर्ण स्थिति देखने को मिलती है. आकाशतीर की तैनाती से भारत को इन क्षेत्रों में हवाई खतरों का मुकाबला करने की अभूतपूर्व क्षमता प्राप्त हुई है. यह प्रणाली न केवल सीमा पर शत्रु की गतिविधियों की निगरानी करती है, बल्कि किसी भी खतरे को तुरंत बेअसर करने में भी सक्षम है. यह भारत की स्वदेशी, एआई-संचालित युद्ध प्रौद्योगिकी में नेतृत्व का प्रमाण है.

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आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक

इस प्रणाली का विकास डीआरडीओ, इसरो और बीईएल के बीच सहयोग का उत्कृष्ट उदाहरण है. DRDO ने अपनी रक्षा अनुसंधान विशेषज्ञता, इसरो ने अंतरिक्ष और सेंसर तकनीक और बीईएल ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सिस्टम एकीकरण में अपनी क्षमता का योगदान दिया है. इस त्रिशक्ति ने न केवल एक विश्वस्तरीय रक्षा प्रणाली विकसित की है, बल्कि यह भी साबित किया है कि भारत विदेशी तकनीक पर निर्भरता के बिना अत्याधुनिक रक्षा समाधान बना सकता है.

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आकाशतीर का विकास और तैनाती भारत की रक्षा नीति में एक बड़े बदलाव को दर्शाता है. जहां पहले भारत कई रक्षा प्रणालियों के लिए विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर था, वहीं अब स्वदेशी नवाचारों के माध्यम से देश अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा कर रहा है. यह न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करता है, बल्कि रक्षा क्षेत्र में रोजगार सृजन और आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देता है.

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वैश्विक स्तर पर एक नया मानक

आकाशतीर केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक रक्षा परिदृश्य में भी एक गेम-चेंजर है. इसकी एआई-संचालित तकनीक, सटीकता और स्वदेशी डिज़ाइन इसे विश्व की सबसे उन्नत वायु रक्षा प्रणालियों में से एक बनाती है. इसके सेंसर और हथियार प्रणालियां इतनी उन्नत हैं कि वे जटिल और तेज़ गति वाले हवाई खतरों का भी सामना कर सकती हैं. 

आकाशतीर की सफलता ने वैश्विक रक्षा समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है. यह साबित करता है कि भारत न केवल रक्षा उपकरणों का आयातक है, बल्कि अब वह विश्वस्तरीय रक्षा प्रौद्योगिकी का निर्माता और निर्यातक बनने की दिशा में अग्रसर है.

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चुनौतियां और भविष्य की संभावनाएं

आधुनिक युद्ध में खतरे लगातार विकसित हो रहे हैं, जैसे कि हाइपरसोनिक मिसाइलें और उन्नत ड्रोन तकनीक. इन चुनौतियों का सामना करने के लिए आकाशतीर को नियमित रूप से अपग्रेड करना होगा. इसके अलावा, प्रणाली की तैनाती को देश के अन्य हिस्सों में भी विस्तारित करने की आवश्यकता है ताकि भारत की पूरी हवाई सीमा सुरक्षित हो सके. 

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