गुजरात दंगों पर SC का फैसला, बिलकिस बानो को मुआवजा, नौकरी और मकान दे सरकार

Bilkis bano case शीर्ष अदालत ने इससे पहले 29 मार्च को गुजरात सरकार से कहा था कि बंबई उच्च न्यायालय द्वारा दोषी ठहराए गए आईपीएस अधिकारी सहित सभी दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ दो सप्ताह के भीतर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए. लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई थी.

Advertisement
बिलकिस कई साल से न्याय पाने के लिए लड़ाई लड़ रही है (फाइल फोटो) बिलकिस कई साल से न्याय पाने के लिए लड़ाई लड़ रही है (फाइल फोटो)

परवेज़ सागर

  • नई दिल्ली,
  • 23 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 7:36 AM IST

उच्चतम न्यायालय ने गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान सामूहिक बलात्कार का शिकार हुई बिलकिस बानो को 50 लाख रुपये बतौर मुआवजा, नौकरी और आवास देने का फरमान सुनाया है. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को इस संबंध में आदेश दिया. बताते चलें कि अहमदाबाद के करीब हिंसक भीड़ ने गर्भवती बिलकिस बानों के साथ सामूहिक बलात्कार किया था और उसके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या कर दी थी.

Advertisement

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ को गुजरात सरकार ने सूचित किया कि इस मामले में दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है. पीठ को यह भी बताया गया कि पुलिस अधिकारियों के पेंशन आदि लाभ रोक दिए गए हैं.

इसी प्रकार बंबई उच्च न्यायालय ने दोषी आईपीएस अधिकारी की दो रैंक पदावनति कर दी है. बिलकिस बानो ने इससे पहले शीर्ष अदालत के समक्ष एक याचिका पर उन्हें पांच लाख रुपये मुआवजा देने की राज्य सरकार की पेशकश ठुकराते हुये ऐसा मुआवजा मांगा था, जो दूसरों के लिये नजीर बने.

शीर्ष अदालत ने इससे पहले 29 मार्च को गुजरात सरकार से कहा था कि बंबई उच्च न्यायालय द्वारा दोषी ठहराए गए आईपीएस अधिकारी सहित सभी दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ दो सप्ताह के भीतर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए. बानो की वकील शोभा गुप्ता ने इससे पहले न्यायालय से कहा था कि राज्य सरकार ने दोषी ठहराए गए पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है.

Advertisement

अधिवक्ता शोभा ने कोर्ट से यह भी कहा था कि गुजरात में सेवारत एक आईपीएस अधिकारी इस साल सेवानिवृत्त होने वाला है जबकि चार अन्य पहले ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं और उनकी पेंशन समेत सेवानिवृत्ति संबंधी लाभ रोकने जैसी कार्रवाई भी नहीं की गई है. राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता तुषार मेहता ने सफाई देते हुए कहा था कि इन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जा रही है.

बिलकिस बानो को मुआवजे के बारे में मेहता ने कहा था कि इस तरह की घटनाओं में पांच लाख रुपये मुआवजा देने की राज्य सरकार की नीति है. अभियोजन के अनुसार अहमदाबाद के पास रणधीकपुर गांव में उग्र भीड़ ने 3 मार्च 2002 को बिलकिस बानो के परिवार पर हमला बोला था. इस हमले के समय बिलकिस बानो पांच महीने की गर्भवती थी और उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था. साथ ही उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या कर दी गई थी.

इस मामले में विशेष अदालत ने 21 जनवरी, 2008 को 11 आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी जबकि पुलिसकर्मियों और चिकित्सकों सहित सात आरोपियों को बरी कर दिया था. उच्च न्यायालय ने 4 मई, 2017 को 5 पुलिसकर्मियों और 2 डाक्टरों को ठीक से अपनी ड्यूटी का निर्वहन नहीं करने और साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने के अपराध में भारतीय दंड संहिता की धारा 218 और धारा 201 के तहत दोषी ठहराया था.

Advertisement

इसके बाद शीर्ष अदालत ने 10 जुलाई, 2017 को दोनों डाक्टरों और आईपीएस अधिकारी आर.एस. भगोड़ा सहित चार पुलिसकर्मियों की अपील खारिज कर दी थी. इन सभी ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement