'जासूस' ज्योति मल्होत्रा को इन वजहों से नहीं मिली जमानत, कोर्ट ने कहा- राष्ट्रीय सुरक्षा को पहुंचा सकती है नुकसान!

YouTuber Jyoti Malhotra Case: यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा को कोर्ट से राहत नहीं मिली. कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को ठुकराते हुए कहा कि मामला बेहद गंभीर है. उनकी रिहाई से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है. ज्योति पर पाकिस्तान के लिए जासूसी का आरोप लगा है.

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कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ जमानत देना सार्वजनिक हित के विपरीत होगा. (File Photo: ITG) कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ जमानत देना सार्वजनिक हित के विपरीत होगा. (File Photo: ITG)

aajtak.in

  • हिसार ,
  • 25 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 5:43 PM IST

हरियाणा के हिसार जिले की अदालत ने ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के तहत गिरफ्तार यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा (33) की जमानत याचिका खारिज कर दी है. 'ट्रैवल विद JO' नाम से यूट्यूब चैनल चलाने वाली ज्योति मल्होत्रा को 16 मई को हिसार पुलिस ने जासूसी के शक में पकड़ा था. वो फिलहाल न्यायिक हिरासत में है.

एडिशनल सेशंस जज डॉ. परमिंदर कौर की अदालत ने आदेश में कहा कि यदि आरोपी को जमानत पर छोड़ा गया तो वह जांच में बाधा डाल सकती है, डिजिटल सबूतों से छेड़छाड़ कर सकती है और इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंच सकता है. अदालत के 23 अक्टूबर के विस्तृत आदेश में कई बातों का साफ जिक्र किया गया है.

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इस केस में ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट और भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के तहत गंभीर आरोप हैं. रिकॉर्ड पर मौजूद फॉरेंसिक मटेरियल, एसएमएसी (मल्टी-एजेंसी सेंटर) की इंटेलिजेंस रिपोर्ट और विदेशी अधिकारी से संपर्क की बातें मिलकर यह शक पैदा करती हैं कि आरोपी को रिहा करना सार्वजनिक हित के खिलाफ होगा.

जज ने कहा, ''यदि जमानत देने से सार्वजनिक व्यवस्था या राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है, तो अदालत को बेल देने से बचना चाहिए.'' उन्होंने कहा कि बेल पर विचार करते समय यह जरूरी है कि उपलब्ध सबूतों को समग्र रूप से देखा जाए. आदेश के मुताबिक, एसएमएसी इनपुट में दिखाए गए इंटेलिजेंस लिंक, याचिकाकर्ता को विदेशी नागरिक से जोड़ने वाले कम्युनिकेशन, डिलीट किए गए डेटा का फॉरेंसिक रिकंस्ट्रक्शन और विदेशी दौरों से संबंधित संदिग्ध गतिविधियों का फैक्टुअल मैट्रिक्स मिलकर एक गंभीर प्राइमा फेसी केस बनता है.

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कोर्ट ने माना कि इन सभी तथ्यों को देखते हुए आरोपी को जमानत देना उचित नहीं होगा. जज ने आदेश में लिखा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में सामान्य दंड कानूनों की तरह ढील नहीं दी जा सकती. उन्होंने कहा, ''यह केस राज्य के संप्रभु हितों को प्रभावित करने की संभावना रखता है. इसलिए अदालत को सावधानी बरतनी होगी.''

सूत्रों के मुताबिक, ज्योति मल्होत्रा नवंबर 2023 से पाकिस्तान हाई कमीशन के अधिकारी एहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश के संपर्क में थी. भारत सरकार ने 13 मई को दानिश को जासूसी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में देश से निष्कासित कर दिया था. पुलिस का दावा है कि आईएसआई ज्योति मल्होत्रा को एसेट के रूप में तैयार कर रही थी. 

यह भी कहा गया कि ज्योति मल्होत्रा ने भारत के संवेदनशील इलाकों के वीडियो और विजुअल्स विदेशी एजेंसी के साथ साझा किए. ज्योति मल्होत्रा के वकील ने दलील दी कि वह एक महिला हैं, परिवार की अकेली कमाने वाली हैं. उनका पिछला रिकॉर्ड साफ-सुथरा है. कोर्ट ने स्वीकार किया कि ऐसे तर्क आमतौर पर सामाजिक दृष्टि से महत्व रखते हैं. 

लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में यह पब्लिक इंटरेस्ट की जगह नहीं ले सकते. कोर्ट ने लिखा, ''ऐसे मामलों में आरोपी को जमानत देने से जांच पर असर पड़ सकता है और राज्य की सुरक्षा को जोखिम हो सकता है. इसलिए यह कोर्ट आरोपी को रिहा करने से इंकार करती है.'' बचाव पक्ष ने यह भी कहा कि इंटेलिजेंस इनपुट अभी अनटेस्टेड हैं.

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अभियोजन पक्ष विदेशी एजेंटों को संवेदनशील जानकारी देने का सबूत नहीं दे पाया है. कोर्ट ने कहा कि यह सभी पहलू ट्रायल में साबित या खारिज होंगे, लेकिन इस स्टेज पर अदालत को उपलब्ध मटेरियल देखकर ही निर्णय लेना होगा. कोर्ट ने उल्लेख किया कि आरोपी की विदेशी यात्राओं और पाक अधिकारी से वीआईपी ट्रीटमेंट” जैसे तथ्य जांच में अहम हैं. 

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