बिहार में चुनाव आयोग की तरफ से स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR का अभियान चलाया जा रहा है. बिहार में विधानसभा चुनाव के चंद महीने पहले चुनाव आयोग के इस अभियान को लेकर जहां एक तरफ सियासत हो रही है तो वहीं दूसरी तरफ विपक्षी खेमे में खड़े राजनीतिक दल इस पूरी प्रक्रिया को लेकर ही सवाल खड़े कर रहे हैं.
आगामी 25 जुलाई तक चुनाव आयोग की तरफ से यह विशेष अभियान चलाकर मतदाताओं से 11 दस्तावेजों के साथ उनके फॉर्म लिए जाएंगे. SIR की प्रक्रिया से 'आधार' को बाहर रखा गया है और इसी वजह से सबसे ज्यादा बवाल भी मचा हुआ है. जिन 11 दस्तावेजों को SIR से जोड़ा गया है उनमें आवासीय प्रमाण पत्र एक ऐसा दस्तावेज है जो सहज तरीके से ज्यादातर मतदाताओं के पास उपलब्ध हो सकता है या फिर इसे जल्द से जल्द बनवाया जा सकता है.
आवासीय प्रमाण पत्र बनवाने की होड़
बिहार में हर जिले में इस वक्त आवासीय प्रमाण पत्र बनवाने वालों की भीड़ बढ़ी है. लेकिन सीमांचल के सात जिलों से आवासीय प्रमाण पत्र को लेकर जो आवेदकों के आंकड़े आए हैं, वह बेहद चौंकाने वाले हैं. सीमांचल के इन सात जिलों में घुसपैठ एक बड़ी समस्या रही है. नेपाल के साथ-साथ बांग्लादेश से घुसपैठ को लेकर इन जिलों में सरकार हमेशा से अलर्ट मोड में नजर आती रही है.
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SIR को लेकर जो प्रक्रिया चल रही है उसके लिए सीमांचल के सात जिलों में जुलाई के अंदर आवासीय प्रमाण पत्र के लिए आवेदन के आंकड़ों ने सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. इन आंकड़ों से बिहार सरकार भी अलर्ट मोड में आ गई है. सरकार के सूत्रों के मुताबिक आवेदकों की बड़ी संख्या को देखते हुए इसकी खास मॉनिटरिंग और वेरिफिकेशन के निर्देश दिए गए हैं.
सीमांचल के सात जिले पूर्णिया, कटिहार, अररिया, किशनगंज, सहरसा, सुपौल और मधेपुरा में बड़ी तादाद में आवासीय प्रमाण पत्र के लिए आवेदन आए हैं. जाहिर है SIR को देखते हुए आवासीय प्रमाण पत्र बनाकर आवेदक वोटर के तौर पर अपना वेरिफिकेशन करवाना चाहते हैं. इन आवेदनों का सीधा मकसद वोटर लिस्ट से अपने नाम को जोड़ने के लिए एक जरूरी दस्तावेज के तौर पर इस दस्तावेज का इस्तेमाल करना है. इन सभी सात जिलों में अप्रैल, मई और जून महीने में आवासीय प्रमाण पत्र के लिए जितने आवेदन आए उससे कई गुना ज्यादा आवेदन जुलाई महीने के पहले 13 दिन में सरकार को मिले हैं.
सात जिलों के आंकड़े क्या बता रहे?
पूर्णिया: सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पूर्णिया में अप्रैल के दौरान आवासीय प्रमाण पत्र के लिए कुल 67295 आवेदन आए. इसी तरह मई में आवासीय प्रमाण पत्र के लिए कुल 38039 आवेदन मिले जबकि जून में कुल 43970 आवेदन प्राप्त हुए. इन तीन महीने के आंकड़ों से उलट जुलाई महीने में एक से 13 जुलाई के बीच पूर्णिया जिले में आवासीय प्रमाण पत्र के लिए 98200 आवेदन प्राप्त हुए हैं. इनमें से 39382 आवेदकों को आवासीय प्रमाण पत्र जारी भी किया जा चुका है.
कटिहार: कटिहार जिले में अप्रैल महीने के अंदर 60818 आवेदन, मई महीने में 32515 आवेदन, जून महीने में 38271 आवेदन आवासीय प्रमाण पत्र के लिए मिले थे. एक से 13 जुलाई के बीच 132884 आवेदन आवासीय प्रमाण पत्र के लिए मिल चुके थे. इनमें से 37720 आवेदकों को सर्टिफिकेट भी जारी किए जा चुके हैं.
अररिया: अप्रैल के दौरान 47241, मई में 22591, जून महीने में 27710 आवेदन मिले जबकि इस महीने 13 जुलाई तक 53556 आवेदन मिल चुके थे. इनमें से 12620 आवेदकों को आवासीय प्रमाण पत्र जारी भी कर दिए गए हैं.
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किशनगंज: आवासीय प्रमाण पत्र के लिए आवेदन के सबसे चौंकाने वाले आंकड़े किशनगंज से सामने आए हैं. जिले में अप्रैल में 36664, मई में 26834 और जून में 33042 आवेदन मिले थे जबकि इस साल 13 जुलाई तक के यहां 323378 आवेदन सरकार को मिल चुके थे. इनमें से 84295 आवेदकों को आवासीय सर्टिफिकेट भी जारी कर दिए गए. खास बात यह है कि सरकार ने किशनगंज जिले में तकरीबन 2 लाख ऐसे आवेदनों को होल्ड कर रखा है जिनके वेरिफिकेशन को लेकर संदेह है.
सहरसा: सहरसा में भी आवासीय प्रमाण पत्र को लेकर वही हाल है. यहां अप्रैल में 45971, मई में 24017 और जून में 24060 आवेदन मिले. लेकिन 13 जुलाई तक इस महीने में 45033 आवेदन हासिल हुए. इनमें से 30566 आवेदकों को आवासीय प्रमाण पत्र जारी किए जा चुके हैं.
सुपौल: सुपौल जिले में भी आवासीय प्रमाण पत्र बनाने वाले लोगों की तादाद तेजी से बढ़ी है. यहां अप्रैल में 48530, मई महीने में 26078 और जून में 31029 आवेदन मिले थे लेकिन 13 जुलाई तक यहां आंकड़े 62305 जा पहुंचे. इनमें से 23825 आवेदन को सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया है.
मधेपुरा: यहां जुलाई महीने के अंदर आवेदकों की संख्या सबसे कम नजर आती है, हालांकि अप्रैल के दौरान मधेपुरा में 54755, मई में 25165, जून में 30375 आवेदन आवासीय प्रमाण पत्र के लिए आए थे. इस महीने 13 जुलाई तक कुल 37423 आवेदन मिल चुके थे. इनमें से 17752 आवेदकों को आवासीय प्रमाण पत्र जारी भी किया जा चुके हैं.
वोटर लिस्ट में बने रहने की चुनौती
सीमांचल के जिलों में घुसपैठ एक बड़ी समस्या रही है. माना जाता है कि इन जिलों में घुसपैठ करने वाले लोगों ने धीरे-धीरे भारतीय नागरिकता के लिए जरूरी दस्तावेजों का जुगाड़ कर लिया. ऐसे लोगों के पास आधार जैसे दस्तावेज भी हैं. आधार के जरिए वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाना भी आसान हो गया था, लेकिन अब आधार को SIR के दौरान जरूरी दस्तावेजों की लिस्ट से बाहर कर चुनाव आयोग ने ऐसे लोगों के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी है.
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चुनाव आयोग ने जिन 11 दस्तावेजों को SIR के साथ जोड़ा है उनमें सबसे सहज तरीके से आवासीय प्रमाण पत्र ही बनवाया जा सकता है. जाहिर है, आवासीय प्रमाण पत्र के जरिए वोटर लिस्ट में बने रहने का मकसद ही सीमांचल के जिलों में ऐसे आवेदकों की तादाद बढ़ा रहा है.
अलर्ट पर बिहार सरकार
'आजतक' को राज्य सरकार के अंदरूनी सूत्रों से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक सीमांचल में आवासीय प्रमाण पत्र के लिए आवेदकों की बड़ी संख्या ने सरकार के कान खड़े कर दिए हैं. आवासीय प्रमाण पत्र जारी करने के लिए सरकार ने एक समय सीमा तय कर रखी है, इसके लिए वेरिफिकेशन के कुछ मापदंड भी तय किए गए हैं. लेकिन अब सीमांचल के जिलों में वेरिफिकेशन प्रक्रिया को सख्त किया गया है. आवेदकों की तरफ से दी गई जानकारी की गंभीरता से जांच की जा रही है.
शशि भूषण कुमार