बिहार का वह क्षेत्र जिसने महागठबंधन को डुबोया, एक इलाके में फिसलीं 33 सीटें

बिहार चुनाव 2025 में शाहाबाद–मगध इलाका एनडीए के लिए सबसे बड़ा गेम-चेंजर साबित हुआ. इस क्षेत्र की 48 सीटों में से एनडीए ने 39 जीत लीं, जबकि महागठबंधन यहां 33 सीटें हार गया. 2020 में सिर्फ 8 सीटें जीतने वाले एनडीए को इस बार 31 सीटों का भारी फायदा मिला.

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पीएम मोदी की सभाओं और अमित शाह की रणनीति से शाहाबाद–मगध में एनडीए को मिला निर्णायक फायदा (Photo: PTI) पीएम मोदी की सभाओं और अमित शाह की रणनीति से शाहाबाद–मगध में एनडीए को मिला निर्णायक फायदा (Photo: PTI)

हिमांशु मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 15 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:05 PM IST

Decoding why Mahagathbandhan lost Bihar elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में शाहाबाद–मगध का इलाका वह निर्णायक क्षेत्र बनकर उभरा जिसने एनडीए की जीत को मजबूती दी और महागठबंधन के सपनों को ध्वस्त कर दिया. इस इलाके की 48 सीटों में से 39 पर एनडीए की जीत ने पूरे चुनाव का रुख बदल दिया. 

यह नतीजे इसलिए भी अहम हैं क्योंकि 2020 के चुनाव में एनडीए यहां सिर्फ 8 सीटों तक सीमित रह गया था, लेकिन इस बार 31 सीटों का अभूतपूर्व उछाल देखने को मिला.

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बीजेपी की ओर से इस क्षेत्र पर विशेष रणनीति बनाई गई. चुनाव सह-प्रभारी सीआर पाटिल और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने लगातार दौरे किए और स्थानीय समीकरणों को समझकर प्रत्याशी चयन, गुटबाज़ी को संभालने और सहयोगी दलों के साथ तालमेल पर अतिरिक्त ध्यान दिया. इन प्रयासों का असर सीधा नतीजों में दिखा.

खास बात यह रही कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस इलाके में 8–10 बड़ी सभाएं कीं. उनके भाषणों और ग्राउंड कनेक्ट ने चुनावी हवा को पूरी तरह पलट दिया. गृह मंत्री अमित शाह ने भी चुनावी कैंपेन में क्षेत्र को विशेष प्राथमिकता दी, जिससे बीजेपी की चुनावी मशीनरी और सक्रिय हुई.

बीजेपी ने शाहाबाद-मगध की 17 सीटों पर चुनाव लड़ा और 14 सीटें जीतकर रिकॉर्ड प्रदर्शन किया. वहीं वामपंथी दलों का इस इलाके में लगभग सफाया हो गया. 

यह भी पढ़ें: पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह पर BJP का बड़ा एक्शन, 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित

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शाहाबाद के भोजपुर, बक्सर, कैमूर और रोहतास तथा मगध के गया, औरंगाबाद, नवादा, जहानाबाद और अरवल जैसे जिले पहले नक्सल प्रभाव के लिए जाने जाते थे, लेकिन इस बार यहां की राजनीति पूरी तरह बदल गई.

कुल मिलाकर, बीजेपी की आक्रामक रणनीति, बड़े नेताओं की मौजूदगी, सहयोगी दलों का तालमेल और स्थानीय सामाजिक समीकरणों की पकड़ - इन सभी ने मिलकर शाहाबाद–मगध को एनडीए का मजबूत किला बना दिया और बिहार चुनाव के अंतिम नतीजों पर भी गहरा असर छोड़ा.

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