Mangrove Trees Plantation: भारत में पिछले कुछ सालों के दौरान समुद्री तूफानों की घटनाओं में इजाफा हुआ है. साल 2021 में भी देश के तटीय क्षेत्रों को साइक्लोन यास और तौकते से भयंकर तबाही झेलनी पड़ी. वैज्ञानिक इन घटनाओं के पीछे जलवायु में तेजी से हो रहे बदलाव को दोष देते हैं. इन्हीं सब स्थितियों से निपटने के लिए भारत सरकार MNREGA की मदद से एक ऐसी योजना पर काम कर रही है, जिससे आने वाले समय में तटीय क्षेत्रों में साइक्लोन की घटनाएं कम की जा सकती हैं.
आंध्र प्रदेश के अमरावल्ली गांव समेत तीन गांवों में केंद्र सरकार की तरफ से मैंग्रोव के पौधों को लगाने की प्रकिया तेज कर दी गई है. वैज्ञानिकों के अनुसार ये पौधे खारे पानी वाली जगह पर लगाए जाते हैं. इससे साइक्लोन की घटनाओं में कमी तो आती ही है. साथ ही जमीन को पानी के कटाव से बचाने में भी सफल रहते हैं.दूसरी तरफ वायुमंडल में मौजूद कॉर्बन डाई ऑक्साइड जैसे हानिकारक गैसों को कम करने में भी काफी हद तक सहायक है.
To protect villages from storms, erosion & to reduce the environmental impact in Amaravalli, Andhra Pradesh, mangroves are being planted. Supported by #MGNREGS #ClimateChange initiative, restoration of 20 acres of Mangroves is also being undertaken.
Read: https://t.co/YzohDj44QT— Ministry of Rural Development, Government of India (@MoRD_GOI) September 23, 2021
रोजगार के अवसर
इस योजना को मनरेगा के तहत संचालित किया जा रहा है. जिसकी वजह से ग्रामीणों के लिए लगातार रोजगार के लगातार अवसर उपलब्ध हो रहे हैं. साथ ही बाढ़, सूखे और कटाव से प्रभावित समुदायों के बीच जलवायु परिवर्तन के लिए जागरुकता भी फैल रही है.
कॉर्बन डाइ ऑक्साइड कम करने में सहायक
भारत कॉर्बन उत्सर्जन के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है. हालांकि भारत सरकार का कहना है कि वे 2030 तक वायुमंडल से 30 से 35 प्रतिशत तक कॉर्बन कम कर देंगे. बेंगलुरू स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के एक रिसर्च के अनुसार वृक्षारोपण और मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार के लिए चल रहे परियोजनाओं की मदद से देश के वातावरण से 102 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड कम किया गया.
तामिलनाडु में भी पॉयलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरुआत
आंध्र प्रदेश में जलवायु परिवर्तन संबंधी स्थितियों से निपटने के लिए तकरीबन 20 एकड़ में तीन जिलों में समुद्र तटों पर मैंग्रोव प्रजाति के पेड़ लगाए जा रहे हैं. वहीं पड़ोसी राज्य तमिलनाडु में, जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील माने जाने वाले दो जिलों में 1,000 से अधिक ग्राम परिषदों ने एक पायलट परियोजना के तहत इस योजना को अपनाया है. इन दोनों राज्यों में अगर सरकार की ये योजना सफल रही तो देशभर के अन्य क्षेत्रों में भी इसका प्रयोग किया जाएगा.