अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने फरवरी में कहा था कि भारत में मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए अमेरिका की विदेशी मदद एजेंसी USAID (जिसे अब लगभग बंद कर दिया गया है) ने 2.1 करोड़ डॉलर आवंटित किया था. अब खुद नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने इस दावे का खंडन किया है. दूतावास ने भारतीय विदेश मंत्रालय के सवाल के जवाब में कहा है कि एजेंसी की तरफ से ऐसी कोई मदद नहीं दी गई है.
विदेश मंत्रालय को दिए जवाब में दूतावास ने कहा, 'USAID ने वित्त वर्ष 2014 से 2024 तक भारत में वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए 2.1 करोड़ डॉलर की फंडिंग नहीं दी है, न ही इसने भारत में वोट प्रतिशत बढ़ाने से संबंधित कोई गतिविधि लागू की है.'
दूतावास ने 2014 से 2024 के बीच भारत में USAID के प्रोजेक्ट्स से संबंधित विस्तृत आंकड़े भी साझा किए हैं जिनमें प्रोजेक्ट के कार्यान्वयन साझेदार, उद्देश्य और उपलब्धियां शामिल हैं, साथ ही इस बात पर जोर दिया कि वोटरों से संबंधित कोई भी फंडिंग नहीं दी गई या फिर कोई प्रोग्राम भी नहीं चलाया गया.
दरअसल, 16 फरवरी 2025 को एलन मस्क की अध्यक्षता वाले अमेरिकी दक्षता विभाग (DOGE) ने अपनी एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें दुनिया भर में USAID 486 मिलियन डॉलर की फंडिंग रद्द करने की घोषणा की गई थी. इनमें जिन प्रोजेक्ट्स को लिस्ट किया गया था उसमें 'भारत में मतदान' के लिए 2.1 करोड़ डॉलर का आवंटन भी शामिल था.
हालांकि, अमेरिकी एजेंसी ने भारत को कभी इस तरह की फंडिंग दी ही नहीं थी. इस घोषणा को लेकर विदेश मंत्रालय ने 28 फरवरी को दूतावास से पिछले एक दशक में भारत में USAID की गतिविधियों का पूरा ब्यौरा, साथ ही एनजीओ और इसके कार्यान्वयन भागीदारों की लिस्ट मांगी.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने भाषणों में बार-बार DOGE की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहते आए हैं कि अमेरिकी टैक्सपेयर्स के पैसों को विदेशी चुनावों पर क्यों खर्च किया जाना चाहिए.
रिपब्लिकन गवर्नर्स एसोसिएशन की बैठक में उन्होंने कहा था, 'भारत में मतदान के लिए 2.1 करोड़ डॉलर. हम भारत के मतदान की परवाह क्यों कर रहे हैं? हमारे पास पहले से ही बहुत सारी समस्याएं हैं.'
उन्होंने इसे एक 'रिश्वत प्लान' करार देते हुए यह भी कहा था कि यह पैसा भारत के चुनावों को प्रभावित करने के लिए था. ट्रंप ने कई कार्यक्रमों में यह मुद्दा उठाया और बांग्लादेश को भी इस संबंध में पैसे दिए जाने की आलोचना की थी.
इस संबंध में इंडियन एक्सप्रेस ने भी एक जांच की थी जिसमें पता चला कि 2.1 करोड़ डॉलर का आंकड़ा वास्तव में भारत का नहीं, बल्कि बांग्लादेश में प्रोजेक्ट्स से संबंधित हो सकता है. इस जांच के सामने आने के बाद ट्रंप के बयानों और DOGE की घोषणा पर संदेह पैदा हुआ.
USAID से संबंधित यह विवाद ऐसे वक्त में सामने आया है जब ट्रंप प्रशासन USAID को भंग क रहा है. जनवरी 2025 में साइन किए गए एक कार्यकारी आदेश के तहत एजेंसी को चरणबद्ध तरीके से बंद कर दिया गया, जिसके तहत 83 प्रतिशत कार्यक्रमों में कटौती की गई, 94 प्रतिशत कर्मचारियों की छंटनी की गई और शेष कार्य अमेरिकी विदेश विभाग में जोड़ दिए गए.
भारत में USAID का संचालन आधिकारिक तौर पर जुलाई 2025 में बंद हो गया और इसके पार्टनरशिप को लेकर किए गए सभी समझौते अगस्त के मध्य तक खत्म हो गए हैं.