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पाकिस्तान में नौ दिनों तक रहने के बाद भारत लौटीं रीना छिब्बर, बताया- कैसा था लोगों का बर्ताव

पिंडी गर्ल के नाम से मशहूर रीना छिब्बर वर्मा पाकिस्तान के रावलपिंडी के अपने पुश्तैनी घर का दौरा कर भारत लौट आई हैं. वह इस दौरे से दोनों मुल्कों में काफी लोकप्रिय हो गईं. 75 साल के बाद रावलपिंडी पहुंचकर अपने घर को देखने का सपना पूरा करनी वाली रीना को लोगों का ढेर सारा प्यार मिल रहा है.

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पाकिस्तान से भारत लौटीं रीना छिब्बर वर्मा
पाकिस्तान से भारत लौटीं रीना छिब्बर वर्मा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 75 साल बाद रावलपिंडी के अपने घर पहुंचीं थी रीना छिब्बर वर्मा
  • 15 साल की उम्र में पाकिस्तान छोड़ भारत आ गई थीं

महाराष्ट्र के पुणे की रहने वाली रीना छिब्बर वर्मा पाकिस्तान के रावलपिंडी के अपने पुश्तैनी घर का दौरा कर सोमवार को भारत लौट आईं. वह सोमवार को वाघा बॉर्डर से होते हुए भारत पहुंचीं. रीना की आखिरी इच्छा रावलपिंडी के अपने घर जाने की थी. वह बेशक भारत लौट आई हैं लेकिन उनका दिल अभी भी रावलपिंडी में ही है. 

भारत पहुंचकर उन्होंने पत्रकारों को बताया, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है. मैं 75 साल बाद रावलपिंडी गई थी. वहां इतना प्यार मिला कि मैं बता नहीं सकती. मेरे पास अपनी खुशी जाहिर करने के लिए अल्फाज नहीं हैं. 

पाकिस्तान से यादों का पिटारा लेकर वतन लौटीं रीना ने कहा, मुझे नहीं लगता कि ऐसा पहले कभी किसी के साथ हुआ होगा. मैं अपने पुश्तैनी घर के उसी कमरे में एक रात सोई हूं, जहां मैं बचपन में सोया करती थी.

उन्होंने कहा, मुझे पाकिस्तान में उम्मीद से ज्यादा प्यार मिला. मेरी इच्छा एक बार अपना घर देखने की थी. मैं हमेशा कहती आई हूं कि मेरा होमटाउन रावलपिंडी है. जब मैंने 75 साल बाद पहली बार अपना घर देखा तो पुरानी यादें ताजा हो गई. मैं जब तक वहां रहीं, अपने परिवार को याद करती रही. वहां मेरी जो मेहमाननवाजी की गई, उसके लिए तहेदिल से शुक्रिया. 

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उन्होंने दोनों मुल्कों की सरकारों से वीजा व्यवस्था में ढील बरतने की गुहार लगाते हुए कहा, मैं दोनों मुल्कों की सरकारों से कहना चाहूंगी कि बंटवारे का दंश झेल रहे 90 साल से अधिक उम्र के लोगों का एक दूसरे के यहां आना-जाना आसान किया जाए ताकि वे अपना वो घर देख सकें, जो बंटवारे के बाद छोड़कर आ गए थे. 

वह कहती हैं कि अगर मौका मिलेगा तो वह दोबारा रावलपिंडी जाना चाहेंगी.

बता दें कि रीना लगभग नौ दिनों तक पाकिस्तान में रहीं. वह बीते बुधवार को रावलपिंडी पहुंचीं और बाद में रावलिपंडी के अपने पुश्तैनी घर का दौरा किया. इस दौरान पाकिस्तान की अवाम ने उन पर खूब प्यार लुटाया. रावलपिंडी के अपने घर पहुंचने पर ढोल और नगाड़ों से उनका स्वागत किया गया.

इस घर के प्रति रीना के लगाव को देखते हुए इस घर में रह रहे लोगों ने उन्हें रात को यहीं रुकने का न्योता दिया था.

रीना के पुश्तैनी घर में ही रात को उनके रुकने का इंतजाम किया गया. उन्हें रात में उसी कमरे में सोने का मौके मिला, जहां वह बचपन में सोया करती थीं. 15 साल की उम्र तक रीना मकान के पहली मंजिल के इसी कमरे में सोती थीं. इस कमरे के दरवाजे पर घर वालों ने रीना के नाम की नेमप्लेट भी लगा दी, जिस पर लिखा था, रीनाज होम यानी रीना का घर. 

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वह पाकिस्तान की अपनी इस यात्रा के दौरान अपने बचपन से जुड़ी जगहों को देखने से नहीं चूकीं. वह यात्रा के आखिरी पड़ाव पर लाहौर पहुंचीं थीं. उन्होंने लाहौर के फॉर्मैन क्रिश्चियन कॉलेज का भी दौरा किया. इस कॉलेज पहुंचकर वह बहुत भावुक हो गईं थी क्योंकि उनके पति ने 1945 में इसी कॉलेज से पढ़ाई की थी. 

उन्होंने पाकिस्तान के लोकप्रिय पर्यटन स्थल मरी का भी रुख किया. रीना की मरी से बहुत सारी यादें जुड़ी हैं. वह बताती हैं कि बचपन में वह अपने परिवार के साथ अक्सर मरी आया करती थीं. 

बता दें कि महज 15 साल की रीना अपने परिवार के साथ मई से जुलाई 1947 में भारत पहुंची थीं. उस समय सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे. पाकिस्तान के रावलपिंडी के अपने घर से 75 सालों से जुदा रही रीना कहती हैं, मैं अपने पुश्तैनी घर, मेरे पड़ोस और पिंडी की गलियों की यादें कभी नहीं मिटा पाई.

फेसबुक पर इंडिया-पाकिस्तान हेरिटेज क्लब (India Pakistan Heritage Club) की मुहिम से रीना छिब्बर वर्मा आखिरकार अपनी जन्मभूमि पाकिस्तान पहुंची. वह इससे पहले दो बार पाकिस्तान जाने की असफल कोशिश कर चुकी थीं.

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