अमेरिका के करीब जा रहा पाकिस्तान चीन को अपना असली रंग दिखाने लगा है. चीन की हर चालाकी पर आंख मूंदे रखने वाले पाकिस्तान ने अब आंखें खोल दी है जिससे चीनी कंपनियां मुश्किल में आ गई हैं. बुधवार को पाकिस्तान के टैक्स प्रमुख ने चीनी कंपनियों को चेतावनी दी कि वो या तो अपने प्रोडक्शन की पूरी डिटेल दें या फिर पाकिस्तान में अपना कामकाज बंद कर दें.
पाकिस्तान की तरफ से यह धमकी ऐसे वक्त में दी गई है जब चार चीनी कंपनियों के एक प्रतिनिधि ने संसदीय समिति को बताया कि उनकी मैनेजमेंट टीम मॉनिटरिंग कैमरे लगाने की इजाजत नहीं दे रही है. कंपनियों के प्रोडक्शन पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने हैं लेकिन चीनी कंपनियां इसकी इजाजत नहीं दे रही हैं.
पाकिस्तान के फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू (FBR) के चेयरमैन राशिद लैंगरियाल ने चीनी कंपनियों को चेतावनी सीनेट की स्थायी वित्त समिति की बैठक में दी. सरकार का कहना है कि टाइल बनाने वाली कंपनियां कम प्रोडक्शन दिखाकर हर साल लगभग 30 अरब रुपये के टैक्स की चोरी करती हैं.
लैंगरियाल ने कहा कि सरकार ने सभी सिरेमिक फैक्टरियों, चाहे वे स्थानीय हों या विदेशी, में प्रोडक्शन की निगरानी के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से लैस कैमरे लगाने का फैसला कर लिया है.
चार चीनी कंपनियों के प्रतिनिधि, जिनमें चीनी मैनेजमेंट भी शामिल था, समिति के सामने पेश हुए और सांसदों से अनुरोध किया कि वे FBR को कैमरे लगाने से रोकें. पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, बैठक की अध्यक्षता पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के सीनेटर सलीम मांडवीवाला ने की.
कंपनियों ने तर्क दिया कि प्रोडक्शन लाइनों में कैमरे लगाने से उनके ट्रेड सीक्रेट्स बाहर आ सकते हैं. लेकिन इस तर्क को पाकिस्तान के टैक्स प्रमुख ने खारिज कर दिया.
उन्होंने कहा कि FBR पहले ही चीनी निवेशकों को राहत दे चुका है और कैमरों की संख्या 16 से घटाकर हर फैक्टरी में सिर्फ 5 कर दी गई है. उन्होंने यह भी बताया कि कैमरे सिर्फ उन जगहों पर लगाए जाएंगे, जहां प्रोडक्शन को सही तरीके से मापा जा सके.
पाकिस्तान में टैक्स चोरी बड़ा मुद्दा है. यहां तक कि वो कंपनियां भी टैक्स चोरी करती हैं जो औपचारिक रूप से टैक्स नेट में शामिल हैं. इस समस्या पर काबू पाने के लिए सरकार ने 18 ऐसे सेक्टर्स में सीसीटीवी कैमरे लगाने का फैसला किया है, जिन्हें हाई-रिस्क वाले सेक्टर माना गया है. चीनी कंपनियों के एक स्थानीय प्रतिनिधि ने समिति को बताया कि उनके बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने प्रोडक्शन लाइन पर कैमरे लगाने से इनकार कर दिया है. वो डर रहे हैं कि इससे उनके ट्रेड सीक्रेट उजागर हो जाएंगे.
लैंगरियाल ने जवाब में कहा कि कैमरों की जगह ऐसे तय की गई है कि सिर्फ उत्पादन की मात्रा ही रिकॉर्ड हो, न कि कोई संवेदनशील जानकारी.
उन्होंने कड़े शब्दों में कहा, 'अगर आपका बोर्ड कैमरे लगाने के लिए तैयार नहीं है, तो आपको काम बंद कर देना चाहिए.' उन्होंने कंपनियों पर उत्पादन कम दिखाने का आरोप लगाया.
राज्य मंत्री बराय वित्त बिलाल अजहर कायानी ने कहा कि फैक्टरी मालिकों को इस सिस्टम से फायदा होगा, क्योंकि अब FBR के अधिकारी मौके पर मौजूद नहीं रहेंगे. उत्पादन AI आधारित वीडियो एनालिटिक्स के जरिए गिना जाएगा.
कायानी ने कहा कि कैमरों की संख्या घटाना इस बात का सबूत है कि सरकार कारोबारी समुदाय की चिंताओं को सुनने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा, 'असल मुद्दा यह है कि उत्पादन की सही गिनती हो, ताकि पूरा सेल्स टैक्स जमा हो सके.'
'सऊदी अरब तो नहीं करता सीसीटीवी कैमरों से निगरानी'
चीनी कंपनियों के प्रतिनिधि ने तर्क दिया कि उनके कारखाने सऊदी अरब और अन्य देशों में भी हैं, और वहां प्रोडक्शन लाइन पर कैमरे नहीं लगाए जाते. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने अचानक टैक्स नीतियों में बदलाव कर दिया और कंपनियों से सलाह-मशविरा किए बिना कैमरे लगाने का फैसला किया.
लैंगरियाल ने इसका जवाब देते हुए कहा कि यह फैसला पाकिस्तान टाइल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अनुरोध पर लिया गया था, जिन्होंने शिकायत की थी कि कुछ कंपनियां उत्पादन कम दिखाकर टैक्स चोरी कर रही हैं.
उन्होंने यह भी बताया कि चीनी उद्योग लंबे समय से टैक्स चोरी के लिए बदनाम रहा है, इसलिए सरकार ने शुगर मिलों में भी कैमरे लगाए हैं. यहां तक कि उद्योग मंत्री हारून अख्तर खान की शुगर फैक्टरी में भी कैमरे लगे हुए हैं, और उन्होंने इस पर कभी आपत्ति नहीं की.
लैंगरियाल ने कहा कि चीनी और सीमेंट सेक्टर में कैमरे लगने के बाद सरकार को इस वित्त वर्ष में क्रमशः 76 अरब रुपये और 102 अरब रुपये की अतिरिक्त आमदनी की उम्मीद है.