पाकिस्तान में सुरक्षा एजेंसियों ने एक बड़े फिदायीन हमले की साजिश को नाकाम कर दिया है. पुलिस ने एक नाबालिग लड़की को उस वक्त डिटेन किया, जब वह अपने हैंडलर से मिलने के लिए बलूचिस्तान से कराची जा रही थी. अधिकारियों के मुताबिक, इस लड़की को सोशल मीडिया के जरिए कट्टरपंथी बनाया गया था और उससे आत्मघाती हमला कराने की तैयारी थी.
सिंध प्रांत के गृह मंत्री जियाउल हसन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि लड़की को संदिग्ध नहीं, बल्कि पीड़ित माना जा रहा है. इसलिए उसके खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया जाएगा और उसे राज्य की सुरक्षा में रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि यह गिरफ्तारी एक सामान्य बस चेकिंग के दौरान हुई, जब पुलिस को उसके व्यवहार पर शक हुआ.
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पूछताछ के दौरान लड़की ने बताया कि वह कई महीनों से सोशल मीडिया के जरिए एक प्रतिबंधित अलगाववादी संगठन के संपर्क में थी. पुलिस के अनुसार, इस संगठन ने उसे यह विश्वास दिलाया कि आत्मघाती हमला करने से उसे समाज में सम्मान और पहचान मिलेगी. अधिकारियों ने बताया कि फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर उसे धीरे-धीरे मानसिक रूप से तैयार किया गया.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में लड़की अपनी मां के साथ मौजूद रही, लेकिन उसकी पहचान छिपाने के लिए उसका चेहरा ढका गया. पुलिस ने उसका एक वीडियो बयान भी दिखाया, जिसमें उसने बताया कि कैसे वह संगठन के प्रभाव में आ गई और हमले के लिए तैयार हो गई.
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पाकिस्तान के सूचना मंत्री अत्ताउल्लाह तरार ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि अलगाववादी संगठन युवाओं, खासकर महिलाओं को हिंसा की ओर धकेल रहे हैं. उन्होंने कहा कि समय रहते लड़की को रोक लिया गया, जिससे बड़ी जनहानि टल गई.
अधिकारियों ने यह भी बताया कि हाल के वर्षों में ऐसे संगठनों द्वारा महिला हमलावरों के इस्तेमाल की कोशिशें बढ़ी हैं. इससे पहले भी कराची में एक महिला आत्मघाती हमलावर ने चीनी नागरिकों को निशाना बनाया था.