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'गाजा को कंसन्ट्रेशन कैंप बनाकर छोड़ेंगे...', नेतन्याहू के किस प्लान पर भड़के इजरायल के पूर्व प्रधानमंत्री

इजरायल के पूर्व प्रधानमंत्री ओल्मर्ट का कहना है कि इजरायली सरकार की नीतियां और योजनाएं गाजा को कंसन्ट्रेशन कैंप में बदल सकती हैं. उन्होंने यह बयान गाजा को मानवीय शहर में तब्दील करने के नेतन्याहू सरकार की योजना के ऐलान के बाद दिया है. 

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इजरायल के पूर्व पीएम एहुद ओल्मर्ट ने नेतन्याहू पर साधा निशाना (Photo: AFP)
इजरायल के पूर्व पीएम एहुद ओल्मर्ट ने नेतन्याहू पर साधा निशाना (Photo: AFP)

गाजा इस समय अस्तित्व के संकट से जूझ रहा है. भुखमरी और बीमारी से बेहाल गाजा के लोगों के सामने अब तक का सबसे बड़ा संकट खड़ा है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने इजरायल के हमलों से बेहाल गाजा को ट्रंप सिटी बनाने का सपना देखा है. इस बीच इजरायल के पूर्व प्रधानमंत्री एहुद ओल्मर्ट (Ehud Olmert) ने इसकी आलोचना की है.

इजरायल के पूर्व प्रधानमंत्री ओल्मर्ट का कहना है कि इजरायली सरकार की नीतियां और योजनाएं गाजा को कंसन्ट्रेशन कैंप में बदल देंगी उन्होंने यह बयान गाजा को मानवीय शहर (Humanitarian City) में तब्दील करने के नेतन्याहू सरकार की योजना के ऐलान के बाद दिया है. 

उन्होंने नेतन्याहू सरकार की इस योजना को जातीय नरसंहार (Ethnic Cleansing) बताया है. इजरायल गाजा में फिलीस्तीनी आबादी को एक सीमित क्षेत्र में केंद्रित करके उनकी जनसांख्यिकीय और सांस्कृतिक पहचान को कमजोर करने की कोशिश कर सकता है.

ओल्मर्ट ने इजरायल सरकार की नीतियों पर टिप्पणी करते हुए चेतावनी दी कि गाजा में मानवीय शहर के नाम पर बनाए जा रहे ढांचे वास्तव में गाजा को एक कंसन्ट्रेशन कैंप में बदल सकते हैं. उन्होंने इसे इजरायल द्वारा गाजा की आबादी को नियंत्रित करने और उनकी गतिविधियों को सीमित करने की रणनीति का हिस्सा बताया. बता दें कि एहुद ओल्मर्ट 2006 से 2009 तक इजरायल के प्रधानमंत्री रहे हैं.

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गाजा में इजरायल की नाकाबंदी और सैन्य कार्रवाइयों के कारण पहले से ही भुखमरी, दवाओं की कमी और बुनियादी ढांचे की तबाही जैसी समस्याएँ गंभीर हो चुकी हैं. संयुक्त राष्ट्र और अन्य संगठनों ने चेतावनी दी है कि गाजा में भुखमरी का खतरा मंडरा रहा है.

दरअसल कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि इजरायल, गाजा में एक ऐसी व्यवस्था बनाने की योजना पर काम कर रहा है, जिसमें गाजा के कुछ हिस्सों को Humanitarian City के रूप में विकसित किया जाए. इस योजना को इजरायल और अमेरिका समर्थित संगठनों द्वारा गाजा में प्रभावित लोगों को सहायता प्रदान करने के लिए प्रस्तावित किया गया है. हालांकि, ओल्मर्ट और अन्य आलोचकों का मानना है कि यह योजना गाजा की आबादी को नियंत्रित करने और उनकी स्वतंत्रता को सीमित करने का एक तरीका है, जो कंसन्ट्रेशन कैंप जैसी स्थिति पैदा कर सकती है.

बता दें कि गाजा में पिछले डेढ़ साल से चल रहे इजरायल-हमास युद्ध ने वहां की स्थिति को अत्यंत गंभीर बना दिया है. 43,000 से अधिक फिलीस्तीनियों की मौत और 90 फीसदी आबादी का बेघर होना इसकी भयावहता को दर्शाता है. इजरायल की नाकाबंदी के कारण गाजा को खुले आसमान का जेल कहा जाने लगा है.

अमेरिका ने इजरायल को गाजा में मानवीय सहायता बढ़ाने के लिए 30 दिन का अल्टीमेटम दिया है, ऐसा ना होने पर सैन्य सहायता में कटौती की चेतावनी दी है. संयुक्त राष्ट्र और अन्य मानवीय संगठनों ने गाजा में भुखमरी और स्वास्थ्य संकट की चेतावनी दी है.

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