पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की सेहत की अफवाहों के बीच हजारों पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के समर्थक रावलपिंडी के आदियाला जेल के बाहर जुड़ गए हैं, जबकि पाकिस्तानी सुरक्षाबलों ने प्रदर्शन को रोकने के लिए पूरे रावलपिंडी में धारा 144 लगा दी है. इसके बावजूद इमरान के समर्थक भारी संख्या में रावलपिंडी पहुंच रहे हैं. वहीं, पाकिस्तानी सरकार ने खैबर पख्तूनख्वा (केएपी) में राष्ट्रपति शासन (गवर्नर रूल) लगाने की कवायद तेज कर दी है.
पीटीआई के प्रदर्शन को देखते हुए अधिकारियों ने जाति उमरा से अदियाला जेल तक जाने वाले सभी प्रमुख मार्गों को सील कर दिया है और इस्लामाबाद हाईकोर्ट के बाहर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया है. साथ ही पूरे इलाके में धारा 144 लागू कर दी है.
परिवार ने मांगा सबूत
दरअसल, आदियाला जेल में बंद इमरान खान के स्वास्थ्य और ठिकाने को लेकर रोहस्य गहरा गया है. सोशल मीडिया पर उनकी मौत की अफवाहें वायरल हो गईं, जिसके बाद पूरे पाकिस्तान के कई शहरों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. इमरान के बेटों ने अधिकारियों से अपने पिता के जिंदा होने का सबूत' मांगा है, जबकि उनकी बहनों ने जेल अधीक्षक और अन्य अधिकारियों के खिलाफ अदालत में अवमानना याचिका दायर की है.
इमरान खान की बहन ने सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को 'सबसे दमनकारी तानाशाह' कहा और चेतावनी दी कि अगर उन्हें या उनकी पत्नी को कुछ होता है तो इसके लिए मुनीर जिम्मेदार होंगे. खान के बेटे कासिम खान ने सोशल मीडिया पर कहा, 'पिछले छह हफ्तों से कोई संपर्क नहीं, कोई सबूत नहीं कि पिता जिंदा हैं.'
स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री और इमरान समर्थक सोहेल अफरीदी ने आठवीं बार इमरान खान से मिलने की कोशिश की थी, लेकिन जेल अधिकारियों ने इजाजत नहीं दी. इससे नाराज अफरीदी ने रात भर जेल के बाहर धरना दिया और आज आदियाला जेल के बाहर इमरान खान से मिलने की मांग को लेकर बड़ा धरना आयोजित करने का ऐलान किया है.
अफरीदी ने पीटीआई के लाइव स्ट्रीम पर कहा कि वे अब इस्लामाबाद हाईकोर्ट का रुख करेंगे.
केपी में राष्ट्रपति शासन की तैयारी
वहीं, उनका धरना खत्म होने के कुछ दिन बाद ही पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने खैबर पख्तूनख्वा में राष्ट्रपति शासन लगाने पर विचार कर प्रक्रिया तेज कर दी है.
एक मंत्री का कहा, 'केंद्र सरकार ने खैबर पख्तूनख्वा में 'सुरक्षा और शासन संबंधी मुद्दों' का हवाला देते हुए राष्ट्रपति शासन लगाने पर विचार कर रही है.' उन्होंने कहा कि प्रशासनिक ढांचा सुनिश्चित करने के लिए नितांत आवश्यक स्थितियों में ये एक संवैधानिक उपाय है. अंतिम निर्णय राष्ट्रपति के हाथ में है.
जूनियर लॉ एंड जस्टिस मिनिस्टर बर्रिस्टर अकील मलिक ने जियो न्यूज पर कहा, 'अफरीदी और उनकी टीम ने कोई कामकाजी स्थिति बनाने में बुरी तरह नाकाम रही है. वे केंद्र से समन्वय नहीं चाहते और जरूरी कार्रवाई भी नहीं करते.'
मलिक ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति शासन संवैधानिक उपाय है जो 'पूर्ण आवश्यकता' पर लगाया जाता है. अनुच्छेद 232 और 234 के तहत प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति फैसला लेंगे और बाद में संसद की संयुक्त बैठक से मंजूरी लेनी होगी. शुरुआत में राष्ट्रपति शासन दो महीने के लिए लगेगा, जरूरत पड़ने पर बढ़ाया जा सकता है. गवर्नर फयसल करीम कुंदी ने अपनी बर्खास्तगी की अफवाहों को खारिज किया, लेकिन कहा कि अगर पार्टी फैसला लेगी तो मान लेंगे.
मलिक ने केपी सरकार पर आरोप लगाया कि वे 'प्रांत को बाकी देश से काटने की योजना' बना रहे हैं. इस बीच डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, केपी के गवर्नर फैसल करीम कुंदी ने अपने संभावित प्रतिस्थापन के दावों का खंडन किया, लेकिन कहा कि अगर ऐसा होता है तो वे अपनी पार्टी के फैसले को स्वीकार करेंगे.