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Explainer: कजाकिस्तान में तेल और गैस का भंडार, लेकिन इसी की मारामारी, आखिर वहां हो क्या रहा है?

What is Happening on Kazakhstan: कजाकिस्तान में LPG की कीमतें दोगुनी हो गई हैं. इससे महंगाई भी बढ़ गई है जिससे लोगों का गुस्सा चरम पर है. कजाकिस्तान में हो रहे प्रदर्शन भारत के लिए क्या उम्मीद लेकर आए हैं.

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कजाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए हैं. (फाइल फोटो-AP)
कजाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए हैं. (फाइल फोटो-AP)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कजाकिस्तान में तेल-गैस की कीमतें दोगुनी
  • कीमतें बढ़ने पर देशभर में हिंसक प्रदर्शन
  • हिंसक प्रदर्शनों में अब तक 160 की मौत

What is Happening on Kazakhstan: मध्य एशियाई देश कजाकिस्तान हिंसा से जूझ रहा है. गैस की कीमतें बढ़ाए जाने के बाद शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया है. इन हिंसक प्रदर्शनों में 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. कजाकिस्तान 1990 में आजाद हुआ था. उसके बाद ये पहली बार है जहां इतने तेज हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं. रूस ने भी अपनी सेना भेज दी है. रूसी सैनिकों की मदद से सुरक्षाबल प्रदर्शन को कुचलने की कोशिश कर रहे हैं. 

क्यों मायने रखता है कजाकिस्तान?

- कजाकिस्तान, रूस और चीन के बीच में है. ये मध्य एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. यहां हाइड्रोकार्बन और धातुओं का खजाना है. 1991 में आजादी मिलने के बाद कजाकिस्तान में अरबों डॉलर का विदेशी निवेश आया है.

- रणनीतिक रूप से ये चीन समेत दक्षिण एशिया के बाजारों को रूस और यूरोप से सड़क, रेल और बंदरगाह के रास्तों से जोड़ता है. इसने खुद को चीन के 'बेल्ट एंड रोड' प्रोजेक्ट में बाधा बताया था.

- कजाकिस्तान यूरेनियम का उत्पादन करने में दुनिया में पहले नंबर पर है. तेल का निर्यात करने वाला ये दुनिया का 9वां बड़ा देश है. 2021 में यहां 85.7 मिलियन टन तेल का उत्पादन हुआ है. साथ ही ये कोयले का उत्पादन करने वाला 10वां सबसे बड़ा उत्पादक है.

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- अमेरिका के बाद कजाकिस्तान में सबसे ज्यादा बिटकॉइन माइनिंग (Bitcoin Mining) होती है. पिछले हफ्ते यहां हिंसा के चलते इंटरनेट बंद कर दिया गया. इससे बिटकॉइन नेटवर्क पर असर पड़ा और इसकी कीमत 10% से ज्यादा गिर गई.

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विरोध प्रदर्शन शांत करने के लिए सेना उतारनी पड़ी है. (फाइल फोटो-AP)

क्यों हो रही है कजाकिस्तान में हिंसा?

- कजाकिस्तान पहले सोवियत यूनियन का हिस्सा था और 1991 में अलग देश बना. यहां तेल और गैस का अकूत भंडार है. ये तेल उत्पादक देशों के समूह OPEC का भी सदस्य है. लेकिन फिर भी यहां तेल और गैस की कीमतें बढ़ रहीं हैं. 

- दरअसल, सरकार ने 2019 में LPG को लेकर एक नीति बनाई थी. इसे जनवरी 2019 में लागू किया गया था. जनवरी 2022 को ये नीति खत्म हो गई. कजाकिस्तान में घरेलू उपयोग में इस्तेमाल होने वाली LPG ईंधन के तौर पर इस्तेमाल होता है. देश की 90 फीसदी गाड़ियों में LPG का ही इस्तेमाल होता है. 

- पहले LPG की कीमतों का नियंत्रण सरकार के हाथ में था, लेकिन नीति खत्म होते ही नियंत्रण बाजार के हाथ में चला गया. इससे LPG की कीमतें तेजी से बढ़ते हुए दोगुनी हो गईं. 

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-  गैस की बढ़ी कीमतों को लेकर सबसे पहले 2 जनवरी को जानाओजेन शहर में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए. धीरे-धीरे विरोध की देश की पूर्व राजधानी और वित्तीय केंद्र माने जाने वाले अलमाटी और बाद में बाकी शहरों में पहुंच गई.

- कजाकिस्तान की आबादी महज 2 करोड़ है. इसकी करीब 10 लाख आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन जीने को मजबूर है. यहां महंगाई तेजी से बढ़ रही है. इन्फ्लेशन रेट 9% पहुंच गई है, जो 5 साल में सबसे ज्यादा है. इस कारण केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दर 9.75% तक बढ़ा दी है.

कौन है इन सबका जिम्मेदार?

- 68 साल के कासिम जोमार्त तोकायेव (Kassym-Jomart Tokayev) 2019 में राष्ट्रपति चुने गए थे. उनसे पहले नूरसुल्तान नजरबायेव (Nursultan Nazarbayev) यहां के राष्ट्रपति थे. नजरबायेव 29 साल तक राष्ट्रपति थे और वो आजाद कजाकिस्तान के पहले राष्ट्रपति हैं.

- हाल ही में तोकायेव ने खुद को शक्तिशाली सुरक्षा परिषद का प्रमुख भी घोषित कर दिया था. ये पहले पहले नजरबायेव के पास ही था. कजाकिस्तान में जब से विरोध प्रदर्शन शुरू हुए हैं, तब से नजरबायेव कहीं दिखाई भी नहीं दिए हैं. तोकायेव ने नजरबायेव के भतीजे समत अबीश को भी सिक्योरिटी पुलिस के सेकंड-इन-कमांड के पद से बर्खास्त कर दिया है.

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भारत के लिए क्या है इसके मायने?

- कजाकिस्तान में हो रही उथल-पुथल भारत के लिहाज से भी अहम है, क्योंकि पिछले कुछ सालों से भारत मध्य एशियाई देशों के साथ मजबूत संबंध बनाने की कोशिश कर रहा है.

-  बताया जा रहा है कि इस साल गणतंत्र दिवस पर मध्य एशियाई देशों के राष्ट्र प्रमुखों को न्योता दिया गया गया है. हालांकि, अस्थिरता के चलते कजाकिस्तान के राष्ट्रपति के इसमें शामिल होने पर कुछ साफ नहीं है.

- हालांकि, मध्य एशिया में हो रही अस्थिरता को भारत अपने लिए प्रतिकूल मानता है. हालांकि, भारत के लिए अब भी एक उम्मीद की किरण यही है कि इससे चीन की परेशानियां बढ़ सकती हैं.

 

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