अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग के साथ अपने लंबे वक्त से चले आ रहे विवाद को फिर से हवा दे दी है. इस बार उन्होंने ग्रेटा एक उपद्रवी महिला बताया है, जिन्हें सैकड़ों अन्य फ़िलिस्तीनी समर्थक कार्यकर्ताओं के साथ इज़रायल से निर्वासित किया गया.
ग्रेटा थनबर्ग की सक्रियता के बारे में पूछे जाने पर ट्रंप ने कहा, "वह बस एक उपद्रवी महिला हैं. उन्हें क्रोध नियंत्रण की समस्या है. मुझे लगता है कि उन्हें डॉक्टर से मिलना चाहिए. अगर आप कभी उन्हें देखें- एक युवा होने के बावजूद, वह बहुत गुस्सैल हैं. वह बहुत पागल हैं."
डोनाल्ड ट्रंप ने जून 2025 में भी इसी तरह की बयानबाजी की थी, जिसमें उन्होंने थनबर्ग को अजीब, युवा और गुस्सैल बताया था और कहा था कि उन्हें गुस्से की समस्या है. ट्रंप ने ब्रिटिश ध्वज वाले जहाज मैडलीन पर सवार होकर ग्रेटा के इज़रायल पहुंचने की उनकी कोशिश की भी आलोचना की थी. बता दें कि ग्रेटा थनबर्ग को इजरायल की सेना ने रोक दिया था.
उस वक्त, ट्रंप ने कहा था, "मैंने देखा कि क्या हुआ. वह निश्चित रूप से अलग हैं." इससे पहले ग्रेटा थनबर्ग का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें उन्होंने कहा दावा किया था कि इज़रायली सैनिकों ने उनका अपहरण कर लिया था. हालांकि, इज़रायल के विदेश मंत्रालय ने बेड़े को रोके जाने के बाद बंदियों के साथ दुर्व्यवहार की खबरों को पूरी तरह झूठ बताया है.
ग्रेटा थनबर्ग के लिए हज़ारों लोग एथेंस पहुंचे...
इस बीच, इज़रायल द्वारा निष्कासित किए जाने के बाद, 22 साल की ग्रेटा थनबर्ग सोमवार को एथेंस पहुंचीं, जहां लोगों ने बेहद जोशीले अंदाज में उनका स्वागत किया. स्वीडिश एक्टिविस्ट ग्रेटा उन 479 कार्यकर्ताओं में शामिल थीं, जिन्हें इज़रायली सेना ने गिरफ्तार किया था. ये ग्रुप गाज़ा की नौसैनिक नाकाबंदी तोड़ने की कोशिश कर रहा था. इज़रायल ने सोमवार को थनबर्ग सहित 171 लोगों को निर्वासित कर दिया, जिससे निष्कासित लोगों की कुल संख्या 341 हो गई.

तुर्की प्रत्यर्पित किए गए कार्यकर्ताओं के मुताबिक, ग्रेटा थनबर्ग के साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार किया गया और उन्हें हिरासत के दौरान इज़रायली झंडा पहनने के लिए मजबूर किया गया.
ग्रीक विदेश मंत्रालय ने कहा कि 161 कार्यकर्ता एथेंस पहुंचे, जिनमें थनबर्ग और करीब 20 देशों के नागरिक शामिल थे.
अपनी हिरासत से बेपरवाह, ग्रेटा थनबर्ग ने गाजा में इज़रायल के हमले के खिलाफ एक कड़ा संदेश दिया. उन्होंने एयरपोर्ट पर जमा भीड़ से कहा, "मैं बिल्कुल साफ कर दूंं, वहां नरसंहार चल रहा है. हमारी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्थाएं फ़िलिस्तीनियों के साथ विश्वासघात कर रही हैं. वे सबसे भयानक युद्ध अपराधों को भी नहीं रोक पा रहे हैं."
ग्रेटा थनबर्ग ने यह भी कहा कि इस फ़्लोटिला का टारगेट उन जगहों पर कार्रवाई करना है, जहां सरकारें फेल रही हैं. उन्होंने आगे कहा, "ग्लोबल सुमुद फ़्लोटिला के साथ हमारा मकसद उन जगहों पर आगे आना था, जहां हमारी सरकारें अपने क़ानूनी दायित्व निभाने में फेल रही हैं."
(एजेंसी के इनपुट के साथ)