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UNHRC में भारत की कूटनीतिक जीत, कश्मीर पर समर्थन हासिल करने में पाकिस्तान नाकाम

पाकिस्तान को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी है. UNHRC में पाकिस्तान कश्मीर पर आवश्यक समर्थन हासिल करने में विफल रहा.

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पाकिस्तान के पीएम इमरान खान (फाइल फोटो)
पाकिस्तान के पीएम इमरान खान (फाइल फोटो)

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  • UNHRC में प्रस्ताव पेश करने का आखिरी दिन था
  • पाकिस्तान आवश्यक समर्थन हासिल करने में असफल रहा

अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान एक बार फिर बेइज्जत हुआ है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में कश्मीर पर प्रस्ताव पेश करने का आज आखिरी दिन था, लेकिन पाकिस्तान आवश्यक समर्थन हासिल करने में असफल रहा. सूत्रों के मुताबिक ज्यादातर सदस्यों ने कश्मीर पर प्रस्ताव रखने के लिए पाकिस्तान का समर्थन करने से इनकार कर दिया.

दरअसल, कश्मीर पर प्रस्ताव पेश करने की आज आखिरी तारीख थी, लेकिन पाकिस्तान ऐसा नहीं कर पाया. प्रस्ताव पेश करने के लिए कम से कम 16 देशों के समर्थन की जरूरत थी. दुनिया के अलग-अलग देशों के सामने जाकर कश्मीर का रोना रोने वाला पाकिस्तान समर्थन जुटाने में नाकाम रहा. जिनेवा में UNHRC का 42 वां सत्र चल रहा है. इंडिया टुडे को सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान न्यूनतम समर्थन जुटाने में भी नाकाम रहा.

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क्या कहता है नियम

नियम कहता है कि किसी भी देश के प्रस्ताव पर कार्रवाई करने से पहले न्यूनतम समर्थन की जरूरत होती है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने इस्लामाबाद से जिनेवा के लिए रवाना होने से पहले कश्मीर पर प्रस्ताव का वादा किया था. UNHRC में इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी) के 15 देश हैं. पाकिस्तान को उम्मीद थी कि वह इसके बाद समर्थन जुटा लेगा. कश्मीर के मुद्दे पर एक संयुक्त बयान के प्रबंधन के बाद भी इस्लामाबाद वोट नहीं जुटा पाया.

पाकिस्तान ने इससे पहले 10 सितंबर को UNHRC को कश्मीर की स्थिति पर एक संयुक्त बयान सौंपा था. इसमें उसने 60 देशों के समर्थन की बात कही थी, लेकिन कौन से देश समर्थन कर रहे हैं, इसको वो नहीं बता पाया.47 सदस्यों वाले यूएनएचआरसी में पाकिस्तान के पास तीन विकल्प थे. प्रस्ताव, बहस या तो विशेष सत्र. प्रस्ताव तो अब इस विकल्प से बाहर ही हो गया.

विशेष सत्र सबसे मजबूत विकल्प हो सकता है, लेकिन उसे भी खारिज किया जाता है. सूत्रों के मुताबिक, सामान्य सत्र जो 27 सितंबर तक चलेगा, उसके बीच विशेष सत्र आयोजित नहीं किया जा सकता. वहीं बहस के लिए कम से कम 24 देशों के समर्थन की जरूरत होती है. ये दोनों विकल्प अति आवश्यक मामले में ही होते हैं.

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सूत्रों ने कहा कि कश्मीर पर मामला आठ सप्ताह बीतने के बाद भी न तो तत्काल जरूरी है और न ही यह गंभीर है क्योंकि भारत ने परिषद और सदस्य राज्यों को सूचित किया है कि स्थिति नियंत्रण में है और आश्वासन दिया कि प्रतिबंधों में ढील दी जाएगी.

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