चीन शिनजियांग प्रांत को तिब्बत से जोड़ने वाली अपनी अब तक की सबसे महत्वाकांक्षी रेल परियोजना बनाने जा रहा है, जिसका एक हिस्सा भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास से गुजरेगा. यह जानकारी एक मीडिया रिपोर्ट में दी गई है.
हांगकांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, 'इस साल इस रेल परियोजना पर काम शुरू होने की उम्मीद है. इसके लिए एक सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी बनाई गई है, जो शिनजियांग के होतान से तिब्बत की राजधानी ल्हासा तक रेल लाइन के निर्माण और संचालन की देखरेख करेगी.'
95 अरब युआन की शुरुआती पूंजी
शिनजियांग-तिब्बत रेलवे कंपनी (XTRC) को आधिकारिक रूप से 95 अरब युआन (करीब 13.2 अरब अमेरिकी डॉलर) की पूंजी के साथ रजिस्टर्ड किया गया है. यह कंपनी पूरी तरह चीन स्टेट रेलवे ग्रुप की होगी. इसका लक्ष्य है कि 2035 तक ल्हासा को केंद्र बनाकर 5,000 किलोमीटर लंबा रेलवे नेटवर्क बनाया जाए.
रिपोर्ट के अनुसार, रजिस्टर्ड पूंजी केवल शुरुआती फंडिंग है, कुल लागत इससे कहीं अधिक होगी. उदाहरण के लिए, 1,800 किमी लंबी सिचुआन-तिब्बत रेलवे बनाने में करीब 320 अरब युआन (45 अरब अमेरिकी डॉलर) का खर्च आया था.
LAC के पास से गुजरेगा रूट
रिपोर्ट के मुताबिक, 'रेल मार्ग के कुछ हिस्से भारत-चीन बॉर्डर (LAC) के पास से गुजरेंगे, जिससे इसे सीमावर्ती क्षेत्र में सामरिक महत्व मिलेगा, जहां बाकी चीन की तुलना में कम बुनियादी ढांचा है.'
चीन की पहले की एक बड़ी परियोजना, शिनजियांग-तिब्बत हाइवे (G219) भी विवादित अक्साई चिन क्षेत्र से होकर बनाया गया था, जो 1962 के युद्ध का बड़ा कारण बना था. भारत अक्साई चिन को अपने ऐतिहासिक दावों और पुराने समझौतों के आधार पर अपना अभिन्न हिस्सा मानता है.
चार प्रमुख रेल मार्गों में से एक
शिनजियांग-तिब्बत रेलवे तिब्बत को बाकी देश से जोड़ने वाली चार प्रस्तावित लाइनों में से एक है. अन्य तीन रेल सेवाएं तिब्बत को चिंगहाई, सिचुआन और युन्नान प्रांतों से जोड़ेंगी. इनमें चिंगहाई-तिब्बत लाइन चालू हो चुकी है, जबकि बाकी दो पर निर्माण कार्य जारी है. तिब्बत हवाई, सड़क और रेल नेटवर्क से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है. ल्हासा से हाई-स्पीड रेल नेटवर्क अरुणाचल प्रदेश की सीमा के पास तक पहुंच चुका है.