अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ब्राज़ील के उत्पादों पर 50% अतिरिक्त टैरिफ लगाने के बाद ब्राज़ील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला डा सिल्वा ने बड़ा ऐलान किया है. लूला ने घोषणा की है कि वे BRICS देशों की एक ऑनलाइन बैठक बुलाएंगे, जिसमें टैरिफ के जवाबी कदम और साझा व्यापारिक मुद्रा पर चर्चा होगी.
लूला ने कहा, "हमारे लिए लोकतंत्र, वाणिज्यिक सम्मान और बहुपक्षवाद मायने रखते हैं. अमेरिका जो जुआ खेल रहा है, वह शायद उनके लिए काम न करे."
ट्रंप ने ब्राज़ील के सामानों पर 50% का टैरिफ लगाया है, जो पहले से लगे 10% के टैरिफ के अतिरिक्त है. इसके बाद राष्ट्रपति लूला ने घोषणा की है कि ब्राज़ील विश्व व्यापार संगठन (WTO) और अन्य राजनयिक माध्यमों से इस विवाद को सुलझाने की कोशिश करेगा. उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि इस विवाद के चलते वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ सीधे तौर पर कोई बातचीत नहीं करेंगे.
यह भी पढ़ें: पहले ब्राजील के राष्ट्रपति लूला और अब जेलेंस्की... ट्रंप से परेशान नेता पीएम मोदी को क्यों घुमा रहे फोन?
कॉमन ट्रेड करेंसी की वकालत
इससे पहले उन्होंने BRICS के लिए एक कॉमन ट्रेड करेंसी का समर्थन दोहराते हुए कहा था कि इससे डॉलर पर वैश्विक निर्भरता कम होगी. इसे लेकर ट्रंप चेतावनी जारी कर चुके हैं.
राष्ट्रपति लूला ने कहा था. "हम डॉलर को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते, यह एक महत्वपूर्ण मुद्रा है, लेकिन BRICS के भीतर व्यापार के लिए एक अलग मुद्रा का प्रयोग हमें करना चाहिए." उन्होंने यह भी कहा कि अगर यह प्रयोग असफल हुआ तो वे मान लेंगे कि वे गलत थे, लेकिन किसी को उन्हें यह साबित करना होगा.
ट्रंप ने कहा था कि अगर BRICS देश डॉलर को बाईपास करने वाली कोई मुद्रा बनाते हैं तो उन पर 100% टैरिफ लगाया जाएगा. जुलाई 2025 में उन्होंने सोशल मीडिया पर दोहराया कि BRICS की “एंटी-अमेरिकन” नीतियों का समर्थन करने वाले देशों पर अतिरिक्त 10% शुल्क भी लगेगा. ब्राज़ील ने टैरिफ विवाद में सीधे ट्रंप से बात न करने और WTO सहित कूटनीतिक माध्यमों से समाधान खोजने का निर्णय लिया है.
ब्रिक्स में शामिल हैं ये देश
आपको बता दें कि ब्रिक्स (BRICS) दुनिया की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है, जिसमें ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं. हाल ही में इस समूह का विस्तार हुआ है और इसमें मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश भी पूर्ण सदस्य के तौर पर शामिल हो गए हैं.