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बांग्लादेश में लिंचिंग और हिंसा के बीच खौफ में हिंदू, ढाका से आजतक की ग्राउंड रिपोर्ट

बांग्लादेश में हिंसा के बाद अल्पसंख्यक संस्थानों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. ढाकेश्वरी मंदिर के बाहर सशस्त्र पुलिस तैनात है. दीपू दास हत्या मामले की जांच शुरू हुई है. तनाव, विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई है.

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ढाकेश्वरी मंदिर के बाहर दीपू दास के लिए न्याय की मांग करते हुए लगे पोस्टर (Photo: ITG)
ढाकेश्वरी मंदिर के बाहर दीपू दास के लिए न्याय की मांग करते हुए लगे पोस्टर (Photo: ITG)

बांग्लादेश में हालिया हिंसा के बाद धार्मिक स्थलों और अल्पसंख्यक संस्थानों पर मंडराते खतरे को देखते हुए प्रशासन ने सशस्त्र पुलिस बल तैनात किया है. ढाका स्थित ढाकेश्वरी मंदिर के बाहर दीपू दास की हत्या के विरोध में पोस्टर्स लगे हैं, जिसमें न्याय की मांग की गई है. सड़कों पर आवाजाही शुरू होने के बावजूद देश में तनाव का माहौल बना हुआ है. 

यूनुस सरकार पर वैश्विक दबाव पड़ने के बाद दीपू दास मामले की जांच शुरू की गई है. छात्र और युवा हिंसा रोकने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं. 

तारिक रहमान की स्वदेश वापसी की तैयारियों के बीच विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. जगह-जगह सशस्त्र पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं. 

सशस्त्र सुरक्षा के साए में ढाकेश्वरी मंदिर

पिछले साल से ही अल्पसंख्यक संस्थानों और उनके धार्मिक स्थलों पर खतरे की आशंका बनी हुई है. जुलाई के बाद से स्थिति अधिक संवेदनशील हो गई है. मंदिर के बाहर पुलिस की मौजूदगी किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए जरूरी हो गई है. कट्टरपंथियों के निशाने पर होने के कारण सुरक्षा का कड़ा पहरा लगाया गया है.

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दीपू दास के लिए न्याय और वैश्विक दबाव

ढाकेश्वरी मंदिर के बाहर दीपू दास के लिए न्याय की मांग करते हुए कई पोस्टर्स लगाए गए हैं. केवल ढाका ही नहीं, बल्कि देश के कई हिस्सों में इस घटना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. हिंसक वारदातों को लेकर यूनुस प्रशासन पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ गया है. इसी वैश्विक दबाव की वजह से प्रशासन ने हिंसा की जांच शुरू करने का फैसला लिया है. सड़कों पर ट्रैफिक धीरे-धीरे लौट रहा है, लेकिन लोगों के मन में अब भी अनिश्चितता और असुरक्षा का भाव बना हुआ है.

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ज्वालामुखी पर बैठा बांग्लादेश...

बीएनपी नेता तारिक रहमान की वापसी को लेकर देशभर में तैयारियां चल रही हैं. हालांकि, हिंसा और विरोध प्रदर्शनों के बीच स्थिति बेहद नाजुक बनी हुई है. छात्र और युवा समाज में शांति बहाल करने और हिंसा रोकने की कोशिश कर रहे हैं. मौजूदा हालात को देखते हुए यह कहा जा रहा है कि बांग्लादेश इस समय ज्वालामुखी के मुहाने पर बैठा है. राजनीतिक अस्थिरता और सड़कों पर जारी आक्रोश के बीच कभी भी स्थिति बिगड़ सकती है. देश में बदलाव और असुरक्षा का यह माहौल चिंताजनक बना हुआ है.

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